Edible Oil Price: सभी तेल-तिलहन की कीमतों में नरमी, जानिए ताजा भाव
Edible Oil Price: देश के थोक तेल-तिलहन बाजार में करीब सभी तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट दर्ज हुई। सरसों, मूंगफली एवं सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल तथा बिनौला तेल के दाम कम हुए। जानिए ताजा भाव।
तेल और तिलहन के दाम में गिरावट
Edible Oil Price: मलेशिया एक्सचेंज में जारी गिरावट के बीच देश के थोक तेल-तिलहन बाजार में मंगलवार (5 नवंबर 2024) को लगभग सभी तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट दर्ज हुई। इसके चलते सरसों, मूंगफली एवं सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल तथा बिनौला तेल के दाम कमजोर बंद हुए। शिकॉगो एक्सचेंज में सुधार चल रहा है। मलेशिया एक्सचेंज में लगभग दो प्रतिशत की गिरावट है।
सूत्रों ने कहा कि सहकारी संस्था नाफेड ने करीब 53 हजार टन सरसों की बिकवाली की जिसकी वजह से सरसों तेल-तिलहन में गिरावट है। वहीं, मूंगफली की नई फसल की आवक बढ़ने से मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में भी गिरावट है। नौबत तो यह है कि कुछ समीक्षक, आयात शुल्क में वृद्धि होने के बाद जो खाद्य तेलों के महंगा होने की आशंका जता रहे थे, उन्हें यह जानकर आश्चर्य होगा कि राजस्थान में मूंगफली तेल का थोक दाम आयातित तेल से भी सस्ता हो चला है।
सूत्रों ने कहा कि विदेशों में कमजोर मांग की वजह से ऊंचे दाम वाले देशी सोयाबीन डीओसी की मांग प्रभावित हुई है। दूसरी ओर, इस स्थिति को देखते हुए, जो स्टॉकिस्ट पहले स्टॉक जमा कर रहे थे, वे अब पीछे हटने लगे है। इससे सोयाबीन तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट आई है। उन्होंने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में आई गिरावट के कारण सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतें कमजोर हुई हैं। मूंगफली जैसे तेल की गिरावट का असर बिनौला पर भी देखने को मिला जिसमें नरमी आई है।
सूत्रों ने कहा कि देश में महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश में कपास नरमा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बिक रहा है। वहीं दूसरी ओर राजस्थान, हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में इसकी कीमत एमएसपी के आसपास है। इनके असल कारणों को जानना जरूरी है कि कहीं इसकी वजह बिनौला के मिलावटी खल का बढ़ता कारोबार तो नहीं है। जो मिलावटी बिनौला खल न सिर्फ कपास उत्पादन को नुकसान पहुंचायेगा बल्कि मवेशियों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। पिछले काफी समय से बिनौला के मिलावटी खल की शिकायतें मिल रहीं हैं लेकिन इसकी खोज खबर लेने वाला कौन होगा वह दिख नहीं रहा।
इस प्रकार रहे तेल-तिलहनों के भाव
- सरसों तिलहन - 6,600-6,650 रुपये प्रति क्विंटल।
- मूंगफली - 6,450-6,725 रुपये प्रति क्विंटल।
- मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 15,250 रुपये प्रति क्विंटल।
- मूंगफली रिफाइंड तेल - 2,300-2,600 रुपये प्रति टिन।
- सरसों तेल दादरी- 14,000 रुपये प्रति क्विंटल।
- सरसों पक्की घानी- 2,280-2,380 रुपये प्रति टिन।
- सरसों कच्ची घानी- 2,280-2,405 रुपये प्रति टिन।
- तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
- सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 14,200 रुपये प्रति क्विंटल।
- सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,850 रुपये प्रति क्विंटल।
- सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 10,350 रुपये प्रति क्विंटल।
- सीपीओ एक्स-कांडला- 12,650 रुपये प्रति क्विंटल।
- बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,900 रुपये प्रति क्विंटल।
- पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 14,300 रुपये प्रति क्विंटल।
- पामोलिन एक्स- कांडला- 13,350 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
- सोयाबीन दाना - 4,575-4,625 रुपये प्रति क्विंटल।
- सोयाबीन लूज- 4,275-4,310 रुपये प्रति क्विंटल।
- मक्का खल (सरिस्का)- 4,200 रुपये प्रति क्विंटल।
सूत्रों ने कहा कि जब तक देशी तेल-तिलहनों का अपना बाजार विकसित करने की ओर ध्यान नहीं दिया जायेगा, किसानों को उनका माल लाभकारी मूल्य पर बिकने का भरोसा नहीं दिया जायेगा, देश में तेल-तिलहन का उत्पादन बढ़ना मुश्किल है।
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