Isha Ambani: महिला किसानों की तरक्की कैसे होगी? ईशा अंबानी ने कही ये बात
रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) की बेटी ईशा अंबानी पीरामल (Isha Ambani Piramal) ने कृषि टैक्नोलॉजी में लैंगिक समावेशन को पारंपरिक रूप से सामाजिक नजर से देखा जाता रहा है। उन्होंने कहा कि प्राइवेट सेक्टर ने यह बात स्वीकार की है कि महिला किसानों को प्राथमिकता देना आर्थिक और रणनीतिक दोनों दृष्टि से फायदेमंद होगा।
ईशा अंबानी ने कहा कि भारत में महिला किसानों के लिए अनुकूल माहौल
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की सदस्य ईशा अंबानी पीरामल (Isha Ambani Piramal) ने कृषि मूल्य सीरीज में लैंगिक-समावेशी नजरिया अपनाने का आह्वान करते हुए कहा है कि महिलाओं के राजनीतिक सशक्तीकरण से महिलाओं की अगुवाई वाले कृषि टैक्नोलॉजी समाधानों को अपनाने का अनुकूल माहौल तैयार है। रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) की पुत्री ईशा ने गुरुवार को प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा है कि कृषि टैक्नोलॉजी में लैंगिक समावेशन को पारंपरिक रूप से सामाजिक नजर से देखा जाता रहा है।
उन्होंने विश्व आर्थिक मंच (WEF) की ‘महिला किसानों के लिए कृषि टैक्नोलॉजी: समावेशी विकास के लिए एक व्यावसायिक मामला’ शीर्षक वाली अंतर्दृष्टि रिपोर्ट की प्रस्तावना में लिखा कि शुक्र है कि हाल के वर्षों में प्राइवेट सेक्टर ने यह बात स्वीकार की है कि महिला किसानों को प्राथमिकता देना आर्थिक और रणनीतिक दोनों दृष्टि से फायदेमंद होगा। उन्होंने कहा कि लैंगिक-समावेशी समाधान से कृषि मूल्य सीरीज को कई महत्वपूर्ण तरह के फायदे हो सकते हैं, जिससे उत्पादकता तथा खाद्य सुरक्षा बढ़ेगी।
ईशा के अगले महीने स्विट्जरलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक मंच (WEF) की वार्षिक बैठक में हिस्सा लेने की उम्मीद है। इसमें व्यापार, सरकार, शिक्षा तथा समाज के अन्य क्षेत्रों से कई अन्य भारतीय तथा वैश्विक अधिकारी भी हिस्सा लेंगे।
डब्ल्यूईएफ की अंतर्दृष्टि रिपोर्ट में इस पर जोर दिया गया है कि उत्पाद, मूल्य, प्रचार, स्थान और लोग यानी 5पी (प्रोडक्ट, प्राइस, प्रमोशन, प्लेस और पीपल) को अपनाकर लैंगिक समावेशी कृषि प्रौद्योगिकी पहल को किस तरह से अधिक सफल बनाया जा सकता है।
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) के अनुसार, वैश्विक कृषि कार्यबल में महिलाओं की हिस्सेदारी 43 प्रतिशत हैं। वहीं विकासशील देशों में खाद्यान्न उत्पादन में उनकी हिस्सेदारी 60-80 प्रतिशत है।
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