Oil Seeds Prices: बीते हफ्ते घटे सभी तेल-तिलहन के दाम, खरीफ तिलहन फसलों की आवक बढ़ने का असर

Oil Seeds Prices: जो सरसों मिलें चल नहीं रही थीं, वे मिलें चल पड़ी हैं, किसानों की फसल खप रही है और आगे जाकर कीमतों पर भी अनुकूल असर आने की संभावना बनी है। आगे तिलहन उत्पादन बढ़ाने को लेकर किसानों का उत्साह भी बढ़ सकता है।

घटे तेल-तिलहन के दाम

मुख्य बातें
  • घटे तेल-तिलहन के दाम
  • सभी तेल-तिलहन के रेट फिसले
  • खरीफ तिलहन फसलों की आवक बढ़ी

Oil Seeds Prices: खरीफ तिलहन फसलों की आवक बढ़ने के बीच देश के खाद्य तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह सभी तेल-तिलहनों के दाम में गिरावट देखने को मिली। इस दौरान सरसों, सोयाबीन और मूंगफली तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन के अलावा बिनौला तेल के दाम नुकसान के साथ बंद हुए। बाजार सूत्रों ने कहा कि खाद्य तेल-तिलहन कारोबार के समीक्षकों की यह आशंका आधारहीन साबित हुई है कि आयात शुल्क बढ़ाने के बाद खाद्य तेलों की महंगाई बढ़ जायेगी। इसके उलट आयात शुल्क बढ़ाये जाने के बाद मूंगफली जैसे महंगे खाद्य तेल के थोक दाम भी गुजरात और राजस्थान में टूटे हैं।

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गुजरात में कहां पहुंचा रेट

गुजरात में शुल्क वृद्धि से पहले मूंगफली तेल का थोक भाव 148 रुपये लीटर बैठता था जो शुल्क वृद्धि के बाद घटकर 135 रुपये लीटर रह गया है। इसी तरह राजस्थान में जिस मूंगफली तेल का थोक दाम पहले 130 रुपये लीटर था वह अब घटकर 118 रुपये लीटर रह गया है।

आवक बढ़ने और महंगा होने के कारण लिवाली कमजोर होने के बीच समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तेल-तिलहन में गिरावट रही। उन्होंने कहा कि आयात शुल्क में वृद्धि करने का सरकार का फैसला देश के तेल-तिलहन उद्योग के अनुकूल साबित हुआ है।

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