Edible Oil Price: सरसों की आवक घटने से सरसों तेल-तिलहन की बढ़ी कीमत, जानिए अन्य तेलों का क्या है भाव

Edible Oil Price: मंडियों में सरसों की आवक घटने के कारण दिल्ली के थोक तेल-तिलहन बाजार में सोमवार को सरसों तेल-तिलहन कीमतों में सुधार देखने को मिला। यहां जानिए अन्य तेलों का क्या भाव है।

खाने वाले तेल का भाव (तस्वीर-Canva)

Edible Oil Price: विदेशी बाजारों में मिले-जुले रुख के बीच मंडियों में सरसों की आवक घटने के कारण दिल्ली के थोक तेल-तिलहन बाजार में सोमवार को सरसों तेल-तिलहन कीमतों में सुधार देखने को मिला। इसके अलावा खाने की मांग के कारण मूंगफली तेल-तिलहन, नमकीन बनाने वाली कंपनियों की मांग के कारण कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल तथा बिनौला के मिलावटी खल के दाम कमजोर होने की वजह से इसके नुकसान को कम करने के लिए खाद्य तेल के दाम बढ़ाने से बिनौला तेल कीमतों में सुधार आया। शिकॉगो और मलेशिया एक्सचेंज में घट-बढ़ चल रही है।

सूत्रों ने कहा कि विदेशों में बायोडीजल के निर्माण के लिए खाद्य तेलों का इस्तेमाल बढ़ने के बीच विदेशों में सोयाबीन के डी-आयल्ड केक (डीओसी) की प्रचुरता बढ़ रही है। इससे विदेशों में सोयाबीन डीओसी की बहुतायत होने से वहां डीओसी के दाम टूट रहे हैं और इससे देशी सोयाबीन डीओसी की मांग गंभीर रूप से प्रभावित हुई है। देश में डीओसी का दाम घटकर 32,500 रुपये क्विंटल रह गया जो महीने भर पहले 37,500 रुपये क्विंटल था। डीओसी की कमजोर निर्यात मांग से सोयाबीन तिलहन में गिरावट देखने को मिली। सरकार को देशी महंगे बैठने वाले डीओसी का निर्यात बढ़ाने के लिए सब्सिडी देने के बारे में विचार करना चाहिये। दूसरी ओर सोयाबीन तेल के दाम पूर्वस्तर पर बने रहे।

सूत्रों ने बताया कि महाराष्ट्र के किसान रुई और मिलावटी बिनौला खल के दाम कम होने की शिकायत कर रहे हैं। कपास की फसल में लगभग 33 प्रतिशत रुई निकलती है जबकि 67 प्रतिशत खल और तेल निकलता है। किसानों को कपास की बिक्री में होने वाली कमी की भरपाई बिनौला खल की बिक्री से पूरी होती है। बिनौला के असली खल का दाम अधिक बैठता है जिसके कारण कपास की बिक्री प्रभावित होती है। महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश में मिलावटी खल का कारोबार रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है इसकी वजह से कपास के दाम भी प्रभावित हो रहे हैं। किसानों से नमी वाली कपास नरमा की खरीद कम दाम पर की जा रही है। ऐसे में मिलावटी बिनौला खल के कारोबार पर अंकुश लगाने के बारे में गंभीर प्रयास करने होंगे नहीं तो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किसानों से खरीद करने का वादा पूरा करना संभव नहीं दिखता।

End Of Feed