Oil Prices: तेल-तिलहन की कीमतों में हो रहा सुधार, विदेशी बाजारों में आ रही तेजी

विदेशी बाजारों में तेजी और देश में त्योहारी मांग के कारण थोक तेल-तिलहन बाजार में बुधवार को सभी तेल-तिलहन कीमतों में मजबूती आई। अलग-अलग मानदंड अपनाने के कारण दोनों तेलों के आयात शुल्क मूल्य भिन्न हो जाते हैं और दोनों तेलों के भाव का अंतर बढ़ जाता है। यही हाल पाम, पामोलीन का भी है।

तेल-तिलहन की कीमतों में हो रहा सुधार, विदेशी बाजारों में आ रही तेजी

Oil Prices: विदेशी बाजारों में तेजी और देश में त्योहारी मांग के कारण थोक तेल-तिलहन बाजार में बुधवार को सभी तेल-तिलहन कीमतों में मजबूती आई तथा सरसों, मूंगफली एवं सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चे पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तेल और बिनौला तेल के दाम लाभ दर्शाते बंद हुए। शिकॉगो एक्सचेंज और मलेशिया एक्सचेंज में पिछले दो दिन से तेजी है। बाजार सूत्रों ने कहा कि नरम खाद्य तेलों (सॉफ्ट आयल) का आयात शुल्क मूल्य एक समान होना चाहिये। ऐसा नहीं होने की स्थिति में इनका आयात प्रभावित हेाता है।

सूरजमुखी और सोयाबीन का तेल

मौजूदा समय में सूरजमुखी और सोयाबीन पर आयात शुल्क 27.5% लागू है। लेकिन सूरजमुखी तेल पर आयात शुल्क उसके मौजूदा भाव (आयात के भाव) से हिसाब से लगता है जबकि सोयाबीन पर आयात शुल्क नीचे भाव पर निर्धारित होता है। इस अलग-अलग मानदंड अपनाने के कारण दोनों तेलों के आयात शुल्क मूल्य भिन्न हो जाते हैं और दोनों तेलों के भाव का अंतर बढ़ जाता है। यही हाल पाम, पामोलीन का भी है। सूत्रों ने कहा कि नेपाल के रास्ते शुल्क मुक्त आयात की छूट से देश की तेल मिलें और किसान परेशान हैं।

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कुछ ऐसी रहीं तिलहन की कीमतें

इस कारण हाल के दिनों में की गई आयात शुल्क वृद्धि का मकसद बेअसर हो रहा है। इस मुद्दे को तेल संघों को सरकार के समक्ष उठाना चाहिये। अगर इस तेल को नेपाल से सटे देश के सीमावर्ती राज्यों में राशन दुकानों से बंटवा दिया जाये तो स्थानीय तेल मिलों और उद्योग तथा किसानों पर कोई दुष्प्रभाव नहीं आयेगा। तिलहन की मौजूदा कीमतें कुछ इस प्रकार रहीं:

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