Edible Oil-Oilseeds: बीते हफ्ते बढ़े खाद्य तेल-तिलहनों के दाम, विदेशी बाजारों में तेजी और त्योहारी मांग का दिखा असर

Edible Oil-Oilseeds: देश में आयातित खाद्य तेलों का आयात शुल्क बढ़ाने के बाद सरसों तेल के दाम में 10 रुपये प्रति लीटर दाम बढ़े हैं। वहीं दूसरी ओर मूंगफली जैसे महंगे खाद्य तेल के थोक दाम कम हुए हैं। राजस्थान में तो मूंगफली तेल, आयातित तेलों के अलावा सरसों तेल से भी नीचे थोक दाम पर बिक रहा है।

बढ़े खाद्य तेल-तिलहनों के दाम

मुख्य बातें
  • बढ़े खाद्य तेल-तिलहनों के दाम
  • बीते हफ्ते हुआ इजाफा
  • विदेशी बाजारों और त्योहारी मांग बढ़ने का असर

Edible Oil-Oilseeds: विदेशी बाजारों में तेजी और देश में त्योहारी मांग बढ़ने से देश के खाद्य तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह सभी तेल-तिलहनों के दाम मजबूत बंद हुए। इस तेजी के कारण सरसों, सोयाबीन एवं मूंगफली तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल के दाम में सुधार देखने को मिला। बाजार सूत्रों ने कहा कि बीते हफ्ते में कच्चे पामतेल (सीपीओ) का भाव 1,200 डॉलर प्रति टन हो गया जो उसके पिछले सप्ताह 1,135-1,140 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह सोयाबीन तेल का दाम 1,140-1,045 डॉलर प्रति टन से बढ़कर बीते हफ्ते में 1,242-1,247 डॉलर प्रति टन हो गया। इसके अलावा त्योहारी मांग बढ़ने से सभी तेल-तिलहनों में सुधार दर्ज हुआ।

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आयात पर पड़ सकता है असर

सूत्रों ने कहा कि सरकार को सूरजमुखी तेल की ही तरह आयात होने वाले सोयाबीन तेल, सीपीओ और पामाोलीन तेल के लिए भी बाजार भाव के हिसाब से आयात शुल्क मूल्य (टैरिफ) निर्धारण की व्यवस्था कर देनी चाहिये, क्योंकि आयात शुल्क में वृद्धि के बाद सूरजमुखी और बाकी तेल के आयात शुल्क मूल्य निर्धारण के अलग-अलग मानदंड अपनाने की वजह से अब इन्हीं खाद्य तेलों के आयात भाव का अंतर काफी बढ़ जाता है, जिससे सूरजमुखी महंगा बैठता है। इससे इसका आयात प्रभावित हो सकता है।

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