Inflation: भले ही टमाटर हो 100, प्याज 70 रु, लेकिन किसानों को नहीं मिलता है फायदा, तो फिर किसकी कमाई
Inflation: प्याज किसानों को उपभोक्ताओं के खर्च का केवल 36 प्रतिशत मिलता है। वहीं टमाटर में 33 प्रतिशत और आलू के मामले में 37 प्रतिशत है। वहीं चने पर उपभोक्ता खर्च का लगभग 75 प्रतिशत, मूंग और अरहर के मामले में यह 70 प्रतिशत तथा 65 प्रतिशत किसानों के पास गया। है।

ऊंची कीमतों का किसानों को फायदा नहीं
Inflation:भले ही प्याज, टमाटर, आलू की कीमतों ने लोगों का बजट बिगाड़ दिया है। लेकिन उसका फायदा किसानों से ज्यादा बिचौलियों को मिल रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के एक शोध पत्र में यह बात सामने आई है। उसके अनुसार प्याज किसानों को उपभोक्ताओं के खर्च का केवल 36 प्रतिशत मिलता है। वहीं टमाटर में 33 प्रतिशत और आलू के मामले में 37 प्रतिशत है। शोध पत्र में स्थिति को बेहतर बनाने के लिए कृषि मार्केटिंग क्षेत्र में सुधार का सुझाव दिया गया है। इसमें किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य प्राप्त करने में मदद के लिए निजी मंडियों की संख्या बढ़ाने की बात शामिल है। वहीं चने पर उपभोक्ता खर्च का लगभग 75 प्रतिशत, मूंग और अरहर के मामले में यह 70 प्रतिशत तथा 65 प्रतिशत किसानों के पास गया। है।
क्यों बिचौलिए उठाते हैं फायदा
टमाटर, प्याज और आलू की कीमतों को लेकर सब्जियों की महंगाई पर अध्ययन पत्र में कहा गया है कि चूंकि सब्जियां जल्दी खराब होने वाली वस्तुएं हैं, ऐसे में टमाटर, प्याज और आलू की मार्केटिंग में पारदर्शिता में सुधार के लिए निजी मंडियों की संख्या को बढ़ाया जा सकता है। प्रतिस्पर्धा से स्थानीय स्तर की कृषि उपज बाजार समिति के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने में भी मदद मिल सकती है। महंगाई को लेकर हाल के दबाव के पीछे खाद्य मुद्रास्फीति को जिम्मेदार ठहराया गया है। इसमें टमाटर, प्याज और आलू के दाम में भारी उतार-चढ़ाव सबसे चुनौतीपूर्ण रही हैं।
ई-नाम पर पर बढ़े फोकस
शोध पत्र को आर्थिक अनुसंधान विभाग (डीईपीआर) के कर्मचारियों तथा बाहर के लेखकों ने मिलकर तैयार किया है। शोधकर्ताओं ने पाया कि बाजारों में मौजूदा कमियों को कम करने में मदद के लिए ई-राष्ट्रीय कृषि बाजारों (ई-एनएएम) का लाभ उठाया जाना चाहिए। इससे किसानों को प्राप्त कीमतों में वृद्धि होगी जबकि दूसरी तरफ उपभोक्ताओं द्वारा भुगतान की जाने वाली कीमतें कम होंगी।शोध पत्र में टमाटर, प्याज और आलू के मामले में किसान उपज संगठनों को बढ़ावा देने की बात कही गयी है। साथ ही प्याज में खासकर सर्दियों की फसल के लिए वायदा कारोबार शुरू करने की वकालत की गयी है। इससे अनुकूलतम मूल्य खोज और जोखिम प्रबंधन में मदद मिलेगी। आरबीआई ने साफ किया है कि शोध पत्र में विचार लेखकों के हैं और यह उसके आधिकारिक विचार नहीं हैं।
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