- बुखार और खांसी की शिकायत के बाद लड़के के पिता हुए थे अस्पताल में भर्ती
- अस्पताल का कहना है कि लड़का नाबालिग था इसलिए नहीं सौंपा शव
- पिता की मौत हो जाने के बाद मकान मालिक ने लड़के को घर से निकाला
आगरा : उत्तर प्रदेश में कोरना संकट ने कई मामलों में प्रशासन की असंवेदनशीलता एवं लापरवाही उजागर की है। अब ताजा मामला आगरा का है जहां एक 16 साल के लड़के को अपने पिता का शव पाने में 10 दिन तक इंतजार करना पड़ा। अस्पताल प्रशासन ने लड़के को यह कहते हुए शव सौंपने से इंकार कर दिया कि वह अभी नाबालिग है। खास बात यह है कि लड़के के परिवार में उसके पिता के अलावा कोई और नहीं था। हालांकि, पुलिस के दखल के बाद लड़के को अपने पिता का शव मिल सका।
कोरोना से हुई लड़के के पिता की मौत
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना से संक्रमित होने पर लड़के के पिता को दीनदयाल अस्पताल में भर्ती किया गया था। पिता की मौत हो जाने पर लड़का कई बार अस्पताल गया और शव सौंपे जाने की मांग की। जबकि अस्पताल प्रशासन ने उसे हर बार वहां से डांटकर भगा दिया। मामले की जानकारी होने पर पुलिस ने अस्पताल से संपर्क किया जिसके बाद लड़के को अपने पिता का शव मिल सका। इस मामले में अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) पर अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन न करने का आरोप लगाया गया है। उनके खिलाफ जांच का आदेश दिया गया है।
21 अप्रैल को हुए थे अस्पताल में भर्ती
रिपोर्ट के मुताबिक अपनी परेशानी के बारे में बताते हुए लड़के ने कहा कि उसके पिता को बुखार और खांसी होने पर गत 21 अप्रैल को अस्पताल में भर्ती किया गया। इसके दो दिनों के बाद उनकी मौत हो गई। लड़के ने बताया, 'मैंने पिता के अंतिम संस्कार के लिए अस्पताल प्रशासन से शव सौंपने की मांग की। इस पर अस्पताल प्रशासन ने मुझसे किसी संरक्षक अथवा किसी बड़े व्यक्ति के साथ आने के लिए कहा। उन्होंने मेरी बात नहीं सुनी।'
मकान मालिक ने लड़को को मकान से निकाला
लड़के ने इस मामले में अपने मकान मालिक से मदद लेनी चाही लेकिन मकान मालिक ने मदद करने की बजाय उसे गुमराह किया। मकान मालिक ने लड़के से कहा कि उसके पिता का अंतिम संस्कार पहले ही हो चुका है। इसके बाद मकान मालिक ने उसे घर से बाहर निकाल दिया। उसे लगा कि लड़के के पिता की मौत हो चुकी है ऐसे में उसे मकान का किराया नहीं मिल पाएगा। घर से निकाले जाने के बाद लड़का सड़कों पर घूता रहा।
स्थानीय व्यक्ति ने की मदद
स्थानीय व्यक्ति महेश मिश्रा ने इस लड़के को सड़क पर घूमते हुए देखा। मिश्रा लड़के और उसके पिता को जानते थे। लड़के का पिता मजदूर थे। मिश्रा ने दोनों को एक साथ कई बार देखा था। महेश ने इस बारे में ससनीगेट पुलिस से संपर्क किया। पुलिस की मदद से लड़के को अपने पिता का शव गत तीन मई को मिला। लड़के के पास अपने पिता का अंतिम संस्कार करने के पैसे नहीं थे। एनजीओ मानव उपकार ने अंत्येष्टि में लड़के की मदद की।
जांच के आदेश
अलीगढ़ के मुख्य चिकित्सा अधिकारी बीपी कल्याणी ने अस्पताल की तरफ से लापरवाही की बात स्वीकार की। उन्होंने कहा कि अस्पताल प्रशासन ने मृत व्यक्ति का शव 10 दिनों तक अपने पास रखा। चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि अस्पताल को इस बारे में पुलिस को सूचित करना चाहिए था।