- केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत स्कीम के तहत आने वाले प्रत्येक पात्र प्रवासी को हर महीने पांच किलो अनाज और प्रत्येक परिवार को एक किलो चना मुफ्त देने का प्रावधान किया था
- मई के कोटे का सिर्फ 15.2% जबकि जून के कोटे का महज 11.6% अनाज बंट पाया
- प्रवासियों के लिए शुरू की गई मुफ्त अनाज वितरण की योजना को जून के बाद आगे नहीं बढ़ाया गया
नई दिल्ली : कोरोना काल में प्रवासी मजदूरों की समस्या देश की राजनीति के केंद्र में रही है, मगर उनको मुफ्त अनाज बांटना राज्यों के लिए मुश्किल हो गया। आत्मनिर्भर भारत स्कीम के तहत आवंटित कुल अनाज का सिर्फ 13 फीसदी ही बंट पाया जबकि आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और गोवा जैसे कुछ राज्यों में तो कुछ भी वितरण नहीं हुआ। केंद्र सरकार ने कोरोना महामारी के संकट काल में प्रवासी गरीबों के लिए आत्मनिर्भर भारत स्कीम के तहत मई और जून में वितरण के लिए 8,00,268 टन अनाज का आवंटन किया, लेकिन जून के आखिर तक सिर्फ 10,7032 टन अनाज बंट पाया। इस प्रकार कुल आवंटन का महज 13.37 फीसदी अनाज का ही वितरण हो पाया।
मई में सिर्फ 15.2%, जून में 11.6% अनाज बंटा
केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक विरतण मंत्री राम विलास पासवान ने देशभर में आठ करोड़ प्रवासियों के अनुमान के आधार पर मई और जून के दौरान प्रवासियों के लिए 800268 टन अनाज का आवंटन किया था, लेकिन मई के कोटे का सिर्फ 15.2% जबकि जून के कोटे का महज 11.6% अनाज बंट पाया। हालांकि राजस्थान में मई और जून दोनों महीनों में प्रवासियों के आवंटित अनाज का 95.1% वितरण हुआ।
प्रवासी श्रमिकों का सही डाटा उपलब्ध नहीं
केंद्रीय मंत्री का हालांकि कहना है कि यह योजना जिस मकसद से शुरू की गई थी उसकी पूर्ति हुई लेकिन इस बात को वह खुद भी स्वीकार करते हैं कि राज्यों के पास प्रवासी श्रमिकों का सही डाटा उपलब्ध नहीं होने से अनुमान मुताबिक अनाज का वितरण नहीं हो पाया। पासवान ने हाल ही में कहा था कि प्रवासियों के लिए शुरू की गई मुफ्त अनाज वितरण की इस योजना का मकसद सिर्फ यही था कि कोरोना महामारी के संकट की इस घड़ी में देश में कोई भूखा न रहे और जरूरतमंदों को अनाज मिल पाए।
प्रवासी मजदूरों की तादाद करीब 8 करोड़ का था अनुमान
कोरोना काल में इस योजना के तहत विभिन्न राज्यों में फंसे हुए प्रवासियों की तादाद तकरीबन आठ करोड़ होने अनुमान लगाया गया था लेकिन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, मई में देशभर में 1,21,62028 लोगों ने इस योजना का लाभ उठाया जबकि जून में लाभार्थियों की संख्या सिर्फ 92,44,277 रही। मतलब, आठ करोड़ की जगह एक करोड़ भी प्रवासी श्रमिकों के आंकड़े नहीं जुटाए जा सके।
शर्ते की वजह से लाभार्थियों की पहचान करना हुआ मुश्किल
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक विभिन्न स्रोतों से प्रवासी श्रमिकों के जो आंकड़े उपलब्ध हो पाए उनको इस योजना का लाभ मिला। हालांकि जानकार बताते हैं कि योजना के तहत कम अनाज वितरण की मुख्य वजह इसकी शर्ते थीं जिनके कारण लाभार्थियों की पहचान करना मुश्किल हो गया। शर्तो के अनुसार, इस योजना के पात्र वही व्यक्ति हो सकते हैं जिनको राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लाभार्थी या अनाज वितरण की अन्य योजनाओं के लाभार्थी नहीं हैं।
हर महीने 5 किलो अनाज और 1 किलो चना मिलता था
केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत स्कीम के तहत आने वाले प्रत्येक पात्र प्रवासी को हर महीने पांच किलो अनाज और प्रत्येक परिवार को एक किलो चना मुफ्त देने का प्रावधान किया था। इसी प्रकार एनएफएसए के लाभार्थियों के लिए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना शुरू की गई जिसके तहत अप्रैल से ही प्रत्येक लाभार्थी को पांच किलो अनाज और एक किलो दाल का वितरण किया जा रहा है और इस योजना की उपयोगिता को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जून के बाद इसे पांच महीने आगे बढ़ाकर नवंबर तक कर दिया है। लेकिन प्रवासियों के लिए शुरू की गई मुफ्त अनाज वितरण की योजना को जून के बाद आगे नहीं बढ़ाया गया।