मुंबई: मुकेश अंबानी की खुदरा कारोबार अनुषंगी रिलायंस रिटेल वेंचर्स लिमिटेड (आरआरवीएल) में निवेशकों की बौछार हो रही है और अबू धाबी निवेश प्राधिकरण (एडीआईए) ने मंगलवार को 1.20 प्रतिशत इक्विटी के लिए 5,512.50 करोड़ रुपए निवेश का ऐलान किया है। आरआरवीएल में यह आठवां निवेश प्रस्ताव है। एडीआईए का निवेश आरआरवीएल की 4.285 लाख करोड़ रुपए की प्री-मनी इक्विटी वैल्यू पर हुआ है।
एडीआईए के निवेश के साथ आरआरवीएल में एक माह के भीतर सात निवेशकों के आठ निवेश प्रस्तावों से 8.48 प्रतिशत के लिए 37,710 करोड़ रुपए निवेश आ चुका है। आरआरवीएल के वैश्विक निवेशकों में सिल्वर लेक, केकेआर, जनरल अटलांटिक,मुबाडला, जीआईसी और टीपीजी शामिल हैं। सिल्वर लेक.के दो निवेश प्रस्ताव हैं।
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी ने एडीआईए के निवेश पर कहा, 'हम अबूधाबी की कंपनी के वर्तमान निवेश और लगातार साथ देने से प्रसन्न हैं और उसके चार दशकों के वैश्विक मजबूत ट्रैक रिकार्ड के आरआरवीएल को लाभ की आशा करते हैं। एडीआईए का यह निवेश रिलायंस इंडस्ट्रीज की सुदृढ़ता और संभावनाओं के साथ व्यवसाय कारोबार के क्षेत्र में समग्र बदलाव की पहल को दर्शाता है।' एडीआईए के कार्यकारी निदेशक हमाद शाहवान अल्दहाहेरी ने कहा कि आरआरवीएल भारत के खुदरा बाजार में तेजी के साथ मजबूती से उभरा है और भौतिक और डिजिटल आपूर्ति श्रंखला में मजबूत पहचान बनाई है। कंपनी ने संभावित वृद्धि के पथ पर मजबूती से कदम बढ़ा दिए हैं।
रिलायंस रिटेल लिमिटेड के देश भर मे फैले 12 हजार से ज्यादा स्टोर्स में सालाना करीब 64 करोड़ खरीददार आते हैं। यह भारत का सबसे बड़ा और सबसे तेजी से विकसित होने वाला रिटेल कारोबार है। रिलायंस रिटेल के पास देश के सबसे लाभदायक रिटेल बिजनेस तमगा भी है। कंपनी खुदरा वैश्विक और घरेलू कंपनियों, छोटे उद्योगों, खुदरा व्यापारियों और किसानों का एक ऐसा तंत्र विकसित करना चाहती है, जिससे उपभोक्ताओं को किफायती मूल्य पर सेवा प्रदान की जा सके और लाखों रोजगार पैदा किए जा सकें।
रिलायंस रिटेल ने अपनी नई वाणिज्य रणनीति के तहत छोटे और असंगठित व्यापारियों का डिजिटलीकरण शुरू किया है। कंपनी का लक्ष्य दो करोड़ व्यापारियों को इस नेटवर्क से जोड़ना है। यह नेटवर्क व्यापारियों को बेहतर टेक्नॉलोजी के साथ ग्राहकों को बेहतर मूल्य पर सेवाएं देने में सक्षम बनाएगा।आरआरवीएल ने हाल ही में देश के खुदरा कारोबार में तीन दशक से अधिक समय तक जमीं फ्यूचर समूह का 24713 करोड़ रुपये में अधिग्रहण किया था।