- कोरोना के कारण पूरी दुनिया में 2 अरब लोग गंवा सकते हैं नौकरी
- अध्ययन में पाया गया है कि 6 में से एक व्यक्ति की जा सकती है नौकरी
- काम के तरीके में आएगा बड़ा बदलाव 30, वर्क फ्रॉम होम की बढ़ेगी अहमियत
नई दिल्ली: कोरोना वायरस के प्रकोप का पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर तगड़ा झटका लगा है। माना जा रहा है कि इसके कारण उपजे मंदी के हालात 1930 में आई मंदी से भी खतरनाक हो सकते हैं। ऐसे में बेरोजगारी के भी चरम पर पहुंचने की संभावना है। बोस्टन कन्सटल्टिंग ग्रुप(बीसीजी) द्वारा किए गए एक शोध के मुताबिक, दुनिया की आधी कामगार आबादी यानी तकरीबन 2 अरब लोगों की नौकरी पर कोरोना वायरस के कारण पैदा हुई वैश्विक मंदी के कारण खतरा मंडरा रहा है।
बीसीजी ने अपनी रिपोर्ट में इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन(आईएलओ) द्वारा लगाए गए अनुमानों का हवाला देते हुए कहा, कोविड-19 के प्रकोप से उत्पन्न संकट के कारण वैश्विक कार्यबल में होने वाले आमूल-चूल बदलावों को नजरअंदाज करना कठिन है। इस साल वैश्विक श्रम आय घाटा 3.4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगा।
6 में से एक व्यक्ति गंवाएगा नौकरी
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि अगले दो से तीन महीनों में दुनिया में छह में से एक कामकाजी व्यक्ति अपनी नौकरी खो देगा। वैश्विक बेरोजगारी की दर 17 प्रतिशत से अधिक हो जाएगी। लेबर मार्केट पर कोरोना संकट का प्रभाव उद्योगों पर अलग-अलग तरह का होगा। संक्रमण को रोकने के लिए उठाए गए लॉकडाउन और क्वारनटाइन जैसे कदमों की वजह से सबसे ज्यादा लोग लोग सीधे तौर पर प्रभावित होंगे। दुनियाभर में नौकरियों में होने वाली छंटनी के 80 प्रतिशत से अधिक मामले गैर-खाद्य खुदरा क्षेत्र, विनिर्माण, पर्यटन, होटल, पर्यटन और निर्माण जैसे क्षेत्रों में होने की संभावना है।
कब सुधरेंगे हालात?
रिपोर्ट में हालात में सुधार के बारे में कहा गया है कि, 'हम उम्मीद करते हैं कि दुनिया की बेरोजगारी दर 2020 के अंत तक संतुलन में वापस आने लगेगी। हालांकि, महामारी ने पहले ही दीर्घकालिक संरचनात्मक बदलाव की प्रक्रिया की शुरुआत कर दी है। लचीली और ऑफिस से दूर रहकर काम करने यानी वर्क फ्रॉम होम जैसी कार्ययोजनाओं को पहली ही अमलीजामा पहनाया जा चुका है। वहीं ऑटोमेशन पर भी काम शुरू हो चुका है। ऐसे में ये परिवर्तन अगले दशक में डेढ़ अरब यानी 1.5 बिलियन नौकरियों को प्रभावित करेगा।
नौकरियों के लिए होगी नए कौशल की आवश्यकता
बीसीजी का अनुमान है कि 2030 तक ऑटोमेशन(स्वचालन) की वजह से मौजूदा नौकरियों में से 12 प्रतिशत के खत्म होने का खतरा है। वहीं दूसरी तरफ तकरीबन 30 प्रतिशत नौकरियों के लिए पूरी तरह से नए कौशल( स्किल) की आवश्यकता होगी। अध्ययन ने यह भी संकेत दिए गए हैं कि कुल वैश्विक कार्यबल में से 10 प्रतिशत से अधिक के स्थायी रूप से दूर से यानी वर्क फ्रॉम होम करने की संभावना है, जबकि ऑफिस एम्प्लॉइज के लिए यह आंकड़ा 30 प्रतिशत तक पहुंच सकता है।