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'हमारा बजाज'! घर-घर में बजाज स्‍कूटर को लोकप्रिय बनाने वाले उद्योगपत‍ि राहुल बजाज नहीं रहे

Updated Feb 12, 2022 | 19:06 IST

बजाज ऑटो के पूर्व चेयरमैन उद्योगपति राहुल बजाज का 83 साल की उम्र में निधन हो गया। देश के विकास में अहम योगदान के लिए उन्‍हें पद्मभूषण अलंकरण से भी नवाजा गया है। उन्‍हें बजाज स्‍कूटर को घर-घर में लोकप्रिय बनाने का श्रेय जाता है।

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उद्योगपति राहुल बजाज का निधन
मुख्य बातें
  • बजाज ऑटो के पूर्व चेयरमैन उद्योगपति राहुल बजाज नहीं रहे
  • 83 साल की उम्र में उनका निधन हो गया, वह बीते कुछ समय से बीमार थे
  • 'हमारा बजाज' जैसे मशहूर टैगलाइन के साथ उन्‍होंने बजाज के स्‍कूटर को घर-घर में एक नई पहचान दिलाई

Rahul Bajaj passes away: बजाज ऑटो के पूर्व चेयरमैन उद्योगपत‍ि राहुल बजाज का निधन हो गया है। वह 83 साल के थे। एक समय में वह बजाज ऑटो के पर्याय बन गए थे। बजाज समूह के एक बयान में कहा गया है कि पुणे में अपने परिवार के करीबी सदस्‍यों के बीच शनिवार को उन्‍होंने अंतिम सांस ली। उन्‍होंने बीते साल साल अप्रैल में ही बजाज ऑटो के चेयरमैन पद से इस्तीफा दिया था।

भारतीय कॉर्पोरेट विज्ञापन उद्योग में कंपनी के दोपहिया वाहन के लिए सबसे प्रसिद्ध टैगलाइनों में 'आप बस बजाज को हरा नहीं सकते' और 'हमारा बजाज' खूब लोकप्रिय रहे हैं। यह एक समय में मध्‍यमवर्गीय परिवार की पसंद हुआ करता था और ऐसे प्रसिद्ध टैगलाइनों के जरिये बजाज के दोपह‍िया वाहन को घर-घर में लोकप्रिय बनाने में राहुल बजाज का अहम योगदान रहा है।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उनके निधन पर अपनी संवेदना प्रकट की हैं-

पीएम मोदी ने भी उनके निधन पर गहरा दुख जताते हुए ट्वीट किया है- 

राहुल बजाज के निधन से उद्योग जगत में शोक की लहर है। बायकॉन चीफ किरण मजूमदार शॉ ने राहुल बजाज को श्रद्धांजलि देते हुए लिखा, 'बजाज समूह के पूर्व चेयरमैन उद्योगपति राहुल बजाज का 83 साल की उम्र में निधन- मैं स्‍तब्‍ध हूं- वह बहुत करीबी मित्र थे और हमेशा याद आएंगे। देश ने अपना महान सपूत और राष्‍ट्र निर्माता खोया है।' उन्‍होंने दिवंगत आत्‍मा की शांति के लिए प्रार्थना की। 

मूलत: महाराष्‍ट्र के रहने वाले राहुल बजाज का जन्म 1938 में हुआ था। वह राज्‍यसभा के सदस्‍य भी रहे। 1965 में उन्‍होंने बजाज ग्रुप का जिम्‍मा संभाला था, जिसके बाद फिर बजाज समूह ने उद्योग जगत में सफलता की नई ऊंचाइयों को छुआ। तकरीबन 50 साल तक उन्होंने अपनी कंपनी में अलग-अलग जिम्‍मेदारियों का निर्वहन किया। 2001 में उन्‍हें पद्भूषण से सम्‍मानित किया गया।

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