- लॉकडाउन में राहत के साथ ही महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले के केला किसानों विदेशों से ऑर्डर मिलने लगे हैं
- लॉकडाउन के दौरान केले का भाव 500 रुपए प्रति क्विंटल दाम मिल रहे थे
- अब भाव 900 रुपए प्रति क्विंटल तक मिलने लगा है
औरंगाबाद : कोरोना वायरस महामारी के कारण लागू किए गए लॉकडाउन में राहत के साथ ही महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले के अर्धापुर तहसील में केले की खेती करने वाले किसानों को खाड़ी देशों से निर्यात की मांग मिलने लगी है, जिससे उन्हें अपनी उपज की बेहतर कीमत पाने में मदद मिल रही है। राज्य में कृषि विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि केला और दूसरी फसलों के निर्यात के लिए विभाग किसानों का मार्गदर्शन कर रहा है।
केले का निर्यात ओमान, ईरान, इराक और दुबई
मुंबई से करीब 570 किलोमीटर दूर स्थित अर्धापुर और नांदेड़ के दूसरे हिस्सों में पानी की उपलब्धता के कारण केले की खेती बहुतायत से की जाती है। स्थानीय किसान नीलेश देशमुख ने बताया कि लगभग 40 टन केले अब हर दिन अर्धापुर से ओमान, ईरान, इराक और दुबई को निर्यात किए जा रहे हैं।
900 रुपए प्रति क्विंटल मिल रहे हैं दाम
उन्होंने बताया कि निर्यात की गुणवत्ता वाले केले का चयन अर्धापुर के विभिन्न खेतों से किया जाता है और प्रतिदिन करीब 40 टन केले का निर्यात किया जा रहा है। लॉकडाउन के दौरान हमें केले के लिए 500 रुपए प्रति क्विंटल दाम मिल रहे थे, लेकिन अनलॉकिंग की प्रक्रिया में हमें 900 रुपए प्रति क्विंटल तक भाव मिलने लगा है। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन से पहले केले का भाव 1,400 रुपए प्रति क्विंटल था।
अर्धापुर में100 एकड़ की जाएगी खेती
इस इलाके में पिछले कई वर्षों से किसान केले की विभिन्न किस्मों की खेती कर रहे हैं। देशमुख ने कहा कि वह और दूसरे किसान अब अर्धापुर में कम से कम 100 एकड़ क्षेत्र में निर्यात के मकसद से केले की एक विशिष्ट किस्म को उगाने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसानों ने पैकेजिंग विधि में भी सुधार किया है और अब निर्यात के लिए फलों को बक्से में सील किया जा रहा है। इसके साथ ही नुकसान 25 फीसदी से घटकर एक फीसदी रह गया है।
प्रतिबंधों में ढील के बाद अच्छी कीमत मिलने लगी
एक अन्य स्थानीय किसान विभीषण दुधाते ने बताया कि प्रतिबंधों में ढील के बाद अच्छी कीमत मिलने लगी है और विदेशों में फसल की मांग बढ़ रही है।
नांदेड़ के कृषि अधीक्षक रविशंकर चालवाडे ने कहा कि विभाग निर्यात आधारित फसलों की खेती में किसानों की मदद कर रहा है।