नई दिल्ली: बैंक लगातार धोखेबाजों के खिलाफ लोगों को चेतावनी देते रहते हैं, ग्राहकों से अपने बैंकिंग डिटेल, एटीएम पिन डिटेल, क्रेडिट कार्ड नंबर आदि को शेयर न करने की सलाह मैसेज और अन्य माध्यम से देते हैं। इन चेतावनियों के बावजूद, अगर ग्राहक अभी भी बुनियादी एहतियाती मानदंडों का पालन करने में विफल रहते हैं और जालसाजों के शिकार होते हैं। वे इसके लिए बैंकों को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि गुजरात के अमरेली जिले में उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने पीड़ितों के मुआवजे के दावों को इस आधार पर स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि उसकी खुद की लापरवाही के कारण उसे धोखा दिया गया। मामला कुर्जी जाविया नामक एक रिटायर शिक्षक से संबंधित है। 2 अप्रैल 2018 को, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के प्रबंधक के रूप में किसी व्यक्ति ने जाविया के एटीएम कार्ड के डिटेल मांगे, जिसे बाद उसने शेयर कर दिया। अगले दिन जब उनके खाते में 39,358 रुपए की पेंशन जमा हुई, साथ ही साथ 41,500 रुपए डेबिट हो गए यानी पैसे अकाउंट से निकल गए। भयभीत, जाविया ने बैंक को फोन किया लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। जाविया ने अपनी शिकायत में कहा कि अगर बैंकों ने जल्दबाजी में जवाब दिया और इस तरह खोई रकम के लिए एसबीआई पर मुकदमा किया और मुकदमे में नुकसान के लिए 30,000 रुपए हर्जाने की मांग की।
कंज्यूमर कोर्ट ने हालांकि फैसला दिया कि जब से बैंको द्वारा बार-बार चेतावनी नहीं देने के बावजूद जाविया ने अपना बैंकिंग डिटेल शेयर किया है तो उसकी शिकायत पर कोई सुनवाई नहीं होगी।
ग्राहक अधिसूचना के लिए बैंकों को RBI की गाइडलाइंस
आरबीआई ने अपने 2017 के सर्कुलर में कहा था कि बैंकों को अपने ग्राहकों से एसएमएस अलर्ट के लिए और ईमेल अलर्ट के लिए अनिवार्य रूप से रजिस्ट्रेशन करने के लिए कहना चाहिए, जहां कहीं भी इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग लेनदेन हो रहा हो। आरबीआई ने कहा कि बैंकों को अनिवार्य रूप से ग्राहकों को एसएमएस अलर्ट भेजना चाहिए और ईमेल अलर्ट भेजना चाहिए, जो भी रजिस्टर्ड हैं।