नई दिल्ली: पिछले एक दशक में सोने के भाव में जबरदस्त उछाल आया है। साल साल पहले जहां सोने का भाव 20 हजार रुपये से कम था, वहीं अब सोने का भाव 40 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के करीब पहुंच गया है। यानी 10 साल पहले खरीद गए सोने का भाव लगभग दोगुना हो गया है। सोने में निवेश करना भारतीय निवेशकों की पहली आदत या यूं कहें कि यह निवेश का परंपरागत तरीका है।
क्वांटम एएमसी के सीनियर फंड मैनेजर- अल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट, चिराग मेहता ने बताया, ' पिछले दशक के दौरान एक भारतीय निवेशक के लिए सोने से अर्जित प्रतिलाभ लगभग 8 फीसदी था। इस प्रतिलाभ में अंतरराष्ट्रीय स्वर्ण कीमतों में बढ़ोतरी और रुपये में तेज ह्रास का लगभग उतना ही योगदान रहा है।'
अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संकट से बढ़ा सोने का भाव
उन्होंने बताया, 'अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने का मूल्य विश्वव्यापी वित्तीय संकट के बाद और अधिक हो गया, किन्तु उसके बाद केन्द्रीय बैंकों की जोखिम उठाने की ललक बढ़ाने और सोने की पीछे भागने की बहुत कम गुंजाईश छोड़ने की आपाधापी की शक्ति के नीचे दबा रहा। भारतीय रुपये का ह्रास लगातार जारी है, जैसा कि इसके लगातार बढ़ते वित्तीय और चालू खाता घाटे से झलकता है, जो रुपये में आंके जाने पर सोने के लिए मददगार है।'
चिराग ने बताया कि अगले दशक की संभावना में वैश्विक स्थूलआर्थिक परिस्थतियों की दिशा में और अधिक अनिश्चितता की झलक दिखती है, जिसका दायरा बढ़े हुए राजनैतिक जोखिमों, वैश्विक कर्ज में भारी बढ़ोतरी, भ्रमित केंद्रीय बैंक और सरकारी नीतियों तक होगा। यह सोचना नादानी होगी कि आसानी से सुलभ मुद्रा और उच्चतर परिसंपत्ति मूल्य वास्तव में मौजूदा आर्थिक समस्यायों के समाधान हो सकते हैं। निवेशकों को एक नए 'नार्मल' (सामान्य) के लिए तैयार रहना चाहिए, जहां केन्द्रीय बैंक चिरस्थायी नीतिगत तिकड़मों की अवस्था में फंसे हुए दिखाई देंगे।
धनतेरस के दिन | सोने का भाव रुपये प्रति 10 ग्राम में |
3 नवंबर 2010 | 19704 रुपये |
24 अक्टूबर 2011 | 26691 रुपये |
11 नवंबर 2012 | 31640 रुपये |
1 नवंबर 2013 | 29847 रुपये |
21 अक्टूबर 2014 | 27558 रुपये |
9 नवंबर 2015 | 25648 रुपये |
28 अक्टूबर 2016 | 29932 रुपये |
17 अक्टूबर 2017 | 29635 रुपये |
5 नवंबर 2018 | 32,800 रुपये |
25 अक्टूबर 2019 | 39,240 रुपये |
अगले साल भी होगी सोने की कीमतों में बढ़ोतरी
उन्होंने बताया, 'इसके परिणामस्वरूप विश्व अर्थव्यवस्था आसानी से सुलभ मुद्रा-प्रेरित वृद्धि और कष्टकर मंदी के बीच झूलती दिखाई देगी। ऋणात्मक दरों की लम्बी अवधि के माध्यम से इसके द्वारा उत्पन्न पूंजी के विस्थापन के कारण इस प्रयोगात्मक केंद्रीय बैंकिंग का बुरा अंत संभावित है। सोने की कीमतों में दीर्घकालिक प्रवृत्ति मौद्रिक प्रणाली और अर्थव्यवस्था में आत्मविश्वास के सामान्य स्तर में बदलावों से प्रेरित हैं। आर्थिक पृष्ठभूमि को देखते हुए यह सचमुच तार्किक कहा जा सकता है कि सोने की कीमतें बढ़ेंगी।
चिराग ने मुताबिक, 'रुपये का विमूल्यन सोने की कीमतों में कुछ वृद्धि करेगा। दीर्घकालिक औसत और भारत के मौजूदा लेखा घाटे में ढांचागत असंतुलन की तुलना में वास्तविक प्रभाव के सन्दर्भ में लगभग 11% के अधिमूल्यन की; परिणति रुपये की क्रमिक गिरावट होगी और भारतीय निवेशकों के लिए सोने की कीमतों में वृद्धि होगी।'