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बीमा कंपनियों ने 80C के तहत की निवेश सीमा बढ़ाने की मांग, क्या बजट में मिलेगी राहत?

Updated Jan 30, 2022 | 16:19 IST

Union Budget 2022-23: सेक्शन 80सी के तहत करदाताओं को पीपीएफ, ईपीएफ, इत्यादि में डिडक्शन का फायदा मिलता है।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
बीमा कंपनियों ने 80C के तहत की निवेश सीमा बढ़ाने की मांग, क्या बजट में मिलेगी राहत?
मुख्य बातें
  • वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को 2022-23 का आम बजट पेश करेंगी।
  • करदाताओं के लिए आयकर अधिनियम के सेक्शन 80सी के तहत मिलने वाली 1.5 लाख रुपये की छूट अहम है।
  • सेक्शन 80सी के तहत छूट बढ़ाने की मांग की जा रही है।

Budget 2022: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) 1 फरवरी को संसद में वर्ष 2022-23 के लिए आम बजट (Union Budget 2022-23) पेश करेंगी। इस साल बजट में व्यक्तिगत करदाता राहत की उम्मीद कर रहे हैं। टैक्सपेयर्स को इनकम टैक्स एक्ट 1961 के सेक्शन 80सी के तहत कई तरह के खर्चों और निवेश पर छूट मिलती है। एक्सपर्ट्स चाहते हैं कि अलग-अलग टैक्स-सेविंग निवेश और खर्च में सेक्शन 80सी की लिमिट बढ़ाई जानी चाहिए।

बीमा कंपनियां कर रही छूट की मांग
बीमा कंपनियां आगामी आम बजट में आयकर अधिनियम की धारा 80सी के तहत बीमा प्रीमियम के भुगतान पर अलग से एक लाख रुपये की छूट की मांग कर रही हैं ताकि अधिक लोगों को बीमा के दायरे में लाया जा सके। बीमा कंपनियां यह भी चाहती हैं कि स्वास्थ्य बीमा उत्पादों पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की वर्तमान 18 फीसदी दर को घटाकर पांच फीसदी किया जाए ताकि ऐसे उत्पाद आम लोगों के लिए अधिक किफायती हो सकें।

केनरा एचएसबीसी ओबीसी लाइफ इंश्योरेंस के मुख्य वित्तीय अधिकारी तरूण रस्तोगी ने कहा कि, 'उद्योग की नीति निर्माताओं से लंबे समय से उम्मीद रही है कि लोगों को जीवन बीमा लेने के लिए प्रोत्साहित करने को लेकर धारा 80सी के तहत बीमा प्रीमियम के भुगतान पर कम से कम एक लाख रुपये की अलग से छूट दी जाए।'

मौजूदा समय में 1,50,000 रुपये है छूट की सीमा
मौजूदा समय में सभी वित्तीय उत्पाद आयकर छूट की धारा (80सी) के तहत आती हैं और इसकी सीमा 1,50,000 रुपये है। एडलवाइस टोकिओ लाइफ इंश्योरेंस के कार्यकारी निदेशक सुब्रजीत मुखोपाध्याय ने कहा, 'हम आशा करते हैं कि बजट में जीवन बीमा के प्रीमियम के भुगतान पर कर कटौती के लिए अलग खंड बनाने पर विचार होगा।'

एगीस फेडरल लाइफ इंश्योरेंस के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी विघ्नेश शाहणे ने कहा कि धारा 80सी में फिलहाल सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF), इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS) और राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र समेत कई निवेश विकल्प शामिल हैं। वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए टर्म पॉलिसी के लिए अलग खंड अच्छा होगा।

बीमा नियामक आईआरडीएआई की वार्षिक रिपोर्ट 2020-21 के मुताबिक देश में बीमा लेने की दर सकल घरेलू उत्पाद की 4.2 फीसदी है जबकि वैश्विक स्तर पर यह आंकड़ा 7.4 फीसदी है। मार्च 2021 तक गैर-जीवन बीमा लेने की दर बमुश्किल एक फीसदी थी।
(इनपुट एजेंसी- भाषा)

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