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Tax: CBDT ने इनकम टैक्स के अपराधों को निपटाने के लिये ये स्कीम शुरू की

Updated Sep 12, 2019 | 12:16 IST | भाषा

CBDT ने इनकम टैक्स से जुड़े अपराधों को सुलझाने के लिए वन टाइम सेटलमेंट स्कीम जारी की है। टैक्सपेयर्स इस स्कीम का फायदा 31 दिसंबर 2019 तक उठा सकते हैं। जानिए इसके दायरे में कौन से लोग आएंगे।

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तस्वीर साभार:&nbspThinkstock
सीबीडीटी ने मुकदमे कम करने के लिए कदम उठाया।

नई दिल्ली: आयकर अपराधों को आपसी समझौते के जरिये निपटाने को लेकर सरकार ने सुविधा शुरू की है। करदाता 31 दिसंबर तक एक बार इस सुविधा का लाभ उठा सकते हैं। केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के ताजा निर्देश में यह कहा गया है।

इसमें कहा गया है कि यह एकबारगी उपाय करदाताओं की परेशानियों को कम करने के लिये किया गया है। इसके साथ ही इससे अदालतों के समक्ष भी लंबित कर विवादों का बोझ भी कम होगा। सीबीडीटी की इस सुविधा के तहत लंबित कर और अधिभार का भुगतान करने पर सहमति बन जाने पर कर अधिकारी अपराध करने वाले करदाता अथवा कर अपवंचक के खिलाफ मामले को आगे अदालत में नहीं ले जायेगा।

निर्देश में कहा गया है कि ऐसे मामले सीबीडीटी के नोटिस में लाये गये हैं जहां करदाता कर अपराधों के निपटान के लिये आवेदन नहीं दे पाये क्योंकि इनमें समझौता आवेदन 12 महीने के बाद किया गया।

सीबीडीटी के नौ सितंबर को जारी इस निर्देश के मुताबिक किसी भी करदाता को इस सुविधा का लाभ उठाने के लिये सक्षम प्राधिकरण के समक्ष आवेदन करना होगा। ये सक्षम प्राधिकरण, प्रधान मुख्य आयुक्त अथवा मुख्य आयुक्त, प्रधान महानिदेशक अथवा आयकर विभाग महानिदेशक के समक्ष 31 दिसंबर 2019 को अथवा इससे पहले करना होगा।

बोर्ड ने हालांकि, इसमें यह भी कहा है कि यह राहत ऐसे मामलों में उपलब्ध नहीं होगी जिन मामलों में सामान्य तौर पर निपटान के लिये समझौता नहीं होता है। सीबीडीटी का इशारा गंभीर किस्म की कर चोरी, वित्तीय अपराध, आतंकवाद वित्तपोषण, धन शोधन, अवैध विदेशी संपत्ति को रखना, बेनामी संपत्ति और जिस मामले में पहले न्यायालय ने दोषी ठहराया हो।

सीबीडीटी ने कहा है कि इस सुविधा के तहत जिन आयकर अपराधों के निपटान के लिये आवेदन किया जा सकता है उनमें किसी भी अदालत के समक्ष 12 महीने से अधिक समय से मुकदमे की प्रक्रिया लंबित हो। अथवा ऐसे मामले जहां किसी अपराध के लिये समझौता करने के बारे में पहले दिया गया आवेदन केवल इसलिये वापस ले लिया गया कि वह आवेदन 12 महीने के बाद दिया गया। या फिर इससे पहले मामले के निपटान के लिये कोई आवेदन तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया गया।

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