- सुप्रीम कोर्ट ने टाटा संस के चेयरमैन पद से साइरस मिस्त्री को हटाने को सही ठहराया
- साइरस मिस्त्री बोले- फैसले से निराश हूं लेकिन दिल साफ था
- एनसीएलएटी ने साइरस मिस्त्री के पक्ष में फैसला सुनाया था।
नई दिल्ली। रतन टाटा के साथ हुए विवाद में साइरस मिस्त्री को सुप्रीम कोर्ट से हार का सामना करना पड़ा है। अदालत ने एनसीएलएटी के उस फैसले को खारिज कर दिया था जिसमें साइरस मिस्त्री को एक बार फिर टाटा संस को एग्जीक्यूटिव चेयरमैन बनाने के निर्देश थे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निराशा जाहिर करते हुए साइरस मिस्त्री का कहना है कि एग्जीक्यूटिव चेयरमैन रहते हुए उन्हें जो फैसला करना था उसे किया। उन्होंने वही किया जो टाटा संस की बेहतरी के लिए अच्छा था। फैसला भले ही उनके खिलाफ हो उनका दिल साफ था। इरादे गलत नहीं थे।
व्यक्तिगत तौर पर निराश लेकिन दिल है साफ
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद टाटा संस के चेयरमैन एमिरट्स रतन टाटा ने कहा कि जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने निष्पक्ष फैसला सुनाया उसकी वो सराहना करते हैं।सुप्रीम कोर्ट के फैसले के चार दिन बाद उन्होंने कहा कि माइनॉरिटी शेयरधारक होने की वजह से वो व्यक्तिगत तौर पर निराश हैं। यद्यपि वो टाटा ग्रुप के मामले गवर्नेंस के मुद्दे पर सीधे तौर पर कुछ नहीं सकते।
साइरस मिस्त्री ने दायर की थी याचिका
टाटा संस में अपनी हिस्सेदारी के लिए उचित मुआवजे पर मिस्त्री के परिवार द्वारा नियंत्रित शापूरजी पल्लोनजी (एसपी) समूह की याचिका को खारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि एसपी समूह के शेयरों का मूल्य टाटा संस के इक्विटी के मूल्यांकन पर निर्भर करेगा। और यह उचित मूल्य क्या होना चाहिए यह निर्धारित करने में शामिल नहीं होगा। पिछले साल, कैश-स्ट्रैप वाले एसपी ग्रुप ने स्पष्ट कर दिया था कि वे टाटा संस से अलग होना चाहते हैं। समूह ने टाटा संस में अपनी 18.4 प्रतिशत हिस्सेदारी का मूल्य लगभग 1.75 लाख करोड़ रुपये आंका है। हालांकि, टाटा संस का कहना है कि यह मूल्य 70,000 रुपये से 80,000 करोड़ रुपये के बीच है।
2012 में मिस्त्री बने थे टाटा संस के चेयरमैन
मिस्त्री को रतन टाटा ने 29 दिसंबर, 2012 को टाटा संस का चेयरमैन बनाया था। लेकिन 24 अक्टूबर, 2016 को हटा दिया गया। रतन टाटा के इस फैसले को साइरस मिस्त्री ने एनसीएलएटी में अपील की और फैसला उनके पक्ष में आया। इसके बाद रतन टाटा, एनसीएलएटी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए।