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HR के पास इंवेस्टमेंट प्रूफ जमा नहीं किया? जानिए अब आपके साथ क्या होने वाला है

Updated Feb 22, 2021 | 14:16 IST

कर्मचारियों को किसी एक वित्तीय वर्ष के दौरान दो बार HR के निवेश प्रमाण जमा करने होते हैं। नहीं करने पर आपको नुकसान हो सकता है।

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निवेश प्रमाण जमा करना जरूरी है
मुख्य बातें
  • किसी भी कर्मचारी को साल में दो बार निवेश के बारे में बताने के लिए कहा जाता है
  • एक बार अप्रैल-मई में, हालांकि इस अवधि में निवेश प्रमाण नहीं देने होते हैं
  • जबकि दिसंबर-जनवरी निवेश प्रमाण पत्र देने होते हैं, नहीं तो आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है

कर्मचारियों को किसी एक वित्तीय वर्ष के दौरान दो बार अपने नियोक्ता के मानव संसाधन (HR) विभाग में निवेश से संबंधित दस्तावेज जमा करने के लिए कहा जाता है। अप्रैल-मई अवधि में वित्त वर्ष की शुरुआत और दिसंबर-जनवरी में दूसरी बार। पहले में (अप्रैल-मई) किसी भी प्रमाण देने की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि यह आपके द्वारा अगले वित्त वर्ष के दौरान किए जाने वाले निवेश की एक अस्थायी घोषणा है जबकि आपको दूसरी बार (दिसंबर-जनवरी) निवेश का प्रमाण प्रस्तुत करने की जरुरत होती है।
  
यह नियोक्ताओं द्वारा कर्मचारी के वेतन में टैक्स कटौती पर स्रोत या टीडीएस पर टैक्स कटौती की गणना करने के लिए किया जाता है जो बाद में इनकम टैक्स विभाग को प्रस्तुत किया जाता है। हालांकि जिन लोगों ने पहले से ही अपनी टैक्स प्लानिंग कर ली है। उन्हें किसी भी तरह की दिक्कत नहीं है। हालांकि जीवन बीमा प्रीमियम जैसे कुछ निवेश की तारीख बाद के महीनों में होते हैं, जिसके कारण निवेश दस्तावेज जमा नहीं किए जा सकते हैं।

जब आप अपने दस्तावेज HR के पास जमा नहीं करते हैं तो क्या होता है?

इनकम टैक्स दाखिल करने के समय कर्मचारी द्वारा निवेश कटौती का दावा किया जा सकता है और संबंधित निवेश प्रमाण टैक्स विभाग को प्रस्तुत किए जा सकते हैं। अगर आप समय पर दस्तावेज जमा नहीं करते हैं तो आपको ज्यादा टीडीएस का भुगतान करना पड़ता है, लेकिन आईटीआर दाखिल करने के समय आईटी विभाग से वापसी दावा किया जा सकता है। यह प्रक्रिया कर्मचारी को धारा 8सी के तहत टैक्स बचाने के लिए उपलब्ध सभी निवेश विकल्पों का भी आकलन करने की अनुमति देती है। 

निवेश प्रमाण के जरुरी दस्तावेजों की लिस्ट

  1. किराए की रसीदें: मासिक किराया रसीदें, जिनमें मकान मालिक का नाम, मकान मालिक का पैन या स्व-घोषणा जब किराया सालाना 1 एक लाख रुपए से अधिक हो। किराया कैश में भुगतान करने पर रेंट रसीदें, जिस पर राजस्व टिकटें लगा होना जरुरी है।
  2. होम लोन पर ब्याज: किसी स्व-कब्जे वाली संपत्ति के लिए लागू, पूरे वित्तीय वर्ष के दौरान टैक्सपेयर बैंक या एनबीएफसी से प्राप्त ब्याज प्रमाणपत्र कुल ब्याज और मूल भुगतान के साथ जमा कर सकते हैं। बिल्डर से प्राप्त कंप्लेशन सर्टिफिकेट या कर्मचारी से स्व-घोषणा भी कुछ मामलों में जरुरी है।   
  3. बीमा प्रीमियम, ULIP या पेंशन योजना: बीमा प्रीमियम के भुगतान की रसीदें, जो खुद के लिए, माता-पिता के लिए, जीवनसाथी या बच्चों के लिए जमा की गई हों। 
  4. अन्य निवेश जैसे कि नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (NSC), पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड, ELSS, बच्चों की ट्यूशन फीस, होम लोन पर चुकाए जाने वाले मूलधन, मेडिक्लेम - सेक्शन 80 D के तहत कटौती, प्रीवेंटिंव हेल्थ चेकअप , एनपीएस, धारा 80जी के तहत पात्र दान शामिल कर सकते हैं।

हालांकि टैक्सपेयर को आईटीआर दाखिल करने के समय निवेश के प्रमाण प्रस्तुत करने की जरूरत नहीं है, लेकिन यह सलाह दी जाती है कि अगर आप आईटी विभाग से उसी के लिए नोटिस प्राप्त करते हैं तो दस्तावेजों को सुरक्षित रखें। 
 

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