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Air India का विनिवेश इस फाइनेंशियल ईयर में पूरा होना मुश्किल

Updated Dec 20, 2020 | 14:47 IST

नमक से लेकर सॉफ्टवेयर बनाने वाला टाटा समूह तथा अमेरिका का कोष इंटरअप्स इंक समेत कई इकाइयों ने सरकारी एयरलाइन में हिस्सेदारी खरीदने को लेकर पिछले सप्ताह प्रारंभिक बोलियां लगायी। 

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एयर इंडिया के विनिवेश की प्रक्रिया अगले वित्त वर्ष तक खींच सकती है

नयी दिल्ली: एयर इंडिया के विनिवेश की प्रक्रिया अगले वित्त वर्ष तक खींच सकती है। एक अधिकारी ने कहा कि चालू वित्त वर्ष 2020-21 में अब तीन महीने से कुछ ही अधिक समय बचे हैं, ऐसे में विनिवेश प्रक्रिया के पूरा होने की संभावना बहुत कम है।बोली जमा करने की समयसीमा 14 दिसंबर को समाप्त हुई।एयर इंडिया के 200 से अधिक कर्मचारियों के समूह ने भी इंटरअप्स के साथ मिलकर रूचि पत्र (EOI) जमा किया है।

एक अधिकारी ने कहा, 'सौदा परामर्शदाता छह जनवरी को पात्र बोलीदाताओं को सूचित करेंगे। उसके बाद बोलीदाताओं को एयर इंडिया की स्थिति के बारे में पूरी जानकारी से जुड़े आंकड़ें उपलब्ध कराये जाएंगे।’’अधिकारी ने कहा, ‘‘शेयर खरीद समझौता बोलीदाताओं के साथ साझा किया जाएगा। उसके बाद वित्तीय बोलियां आमंत्रित की जाएंगी।'

उसने कहा, 'सौदा अगले वित्त वर्ष में पूरा होगा क्योंकि हमारा अनुमान है कि बोलीदाताओं को आंकड़ों (वर्चुअल डाटा रूम) तक पहुंच और वित्तीय बोली जमा करने से पहले कई सवाल होंगे।' सरकार एयर इंडिया में अपनी पूरी 100 प्रतिशत हिस्सेदारी बेच रही है। कंपनी 2007 में घरेलू एयरलाइन इंडियन एयरलाइंस के विलय के बाद से घाटे में है।

हिस्सेदारी बिक्री प्रक्रिया में कोविड-19 महामारी के कारण देरी हुई है और सरकार एयरलाइन के लिये प्रारंभिक बोली लगाने को लेकर समयसीमा पांच बार बढ़ा चुकी है।सरकार 2017 से एयर इंडिया को बेचने का प्रयास कर रही है, लेकिन किसी ने कोई खास रूचि नहीं दिखायी। इसको देखते हुए सरकार ने इस बार सौदे से जुड़ी शर्तों को हल्का बनाया है। इसके तहत संभावित बोलीदाताओं को इस बारे में निर्णय करना है कि एयरलाइन का कितना कर्ज वे सौदे के तहत लेना चाहते हैं। अबतक बोलीदाताओं को पूरे 60,074 करोड़ रुपये के कर्ज की जिम्मेदारी लेने की जरूरत थी।

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