- एविएशन टर्बाइन फ्यूल की नई कीमत 30 जून 2022 तक लागू होगी।
- 2022 के छह महीनों में एटीएफ की कीमत 91 फीसदी बढ़ी है।
- झारखंड ने हवाई संपर्क बढ़ाने के साथ टूरिज्म सेक्टर को भी बढ़ावा देने के लिए वैट कम किया।
नई दिल्ली। एविएशन टर्बाइन फ्यूल (Aviation Turbine Fuel) या जेट ईंधन में लगातार हो रही वृद्धि की वजह से घरेलू और अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्रा जल्द ही महंगी होगी क्योंकि एक एयरलाइन की परिचालन लागत में एटीएफ (ATF) का 40 फीसदी हिस्सा होता है। गुरुवार को नई दिल्ली में एटीएफ की कीमत (ATF price) में 16.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई। इसके बाद यह 1.41 लाख रुपये प्रति किलोलीटर के सर्वकालिक उच्च स्तर को छू गई। पिछले 3 महीनों में यह सबसे बड़ी बढ़ोतरी है। एटीएफ की कीमत 1,21,476 रुपये प्रति किलोलीटर से बढ़कर 1,41,233 रुपये प्रति किलोलीटर हो गई।
किराया बढ़ाएंगी कंपनियां
साल 2022 के छह महीनों में एटीएफ की कीमतें लगभग दोगुनी हो गई हैं। अब बढ़ती कीमतों और रुपये में गिरावट से निपटने के लिए एयरलाइन कंपनियों के पास किराए में बढ़ोतरी करना ही एकमात्र विकल्प है क्योंकि ये दोनों कारक कैरियर की परिचालन लागत में योगदान करते हैं।
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कितना बढ़ेगा हवाई किराया?
इस संदर्भ में स्पाइसजेट के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक अजय सिंह ने TOI को बताया कि मौजूदा कीमतें अस्थिर हैं और एयरलाइन को हवाई किराए में कम से कम 10 फीसदी से 15 फीसदी की वृद्धि करने की आवश्यकता होगी। सरकार जेट ईंधन पर काफी वैट और शुल्क लगाती है, जिससे भारत में एटीएफ अब दुनिया में सबसे महंगा है।
झारखंड सरकार ने कम किया ATF पर वैट
सिंह ने आगे बताया कि जेट ईंधन स्पाइसजेट की परिचालन लागत का 50 फीसदी है और जून 2021 से कीमतों में 120 फीसदी की वृद्धि हुई है। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों से एटीएफ की कीमतों को कम करने का आग्रह किया। उल्लेखनीय है कि झारखंड सरकार ने राज्य में विमान ईंधन पर मूल्य वर्धित कर (VAT) 20 फीसदी कम करके चार फीसदी कर दिया है।