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सबसे बड़े बैंक फ्रॉड पर EXCLUSIVE जानकारी, 12.50 करोड़ की पेंटिंग, घड़ियां जब्त

Updated Jul 28, 2022 | 16:34 IST

Biggest Bank Fraud: केंद्रीय जांच ब्यूरो भारत के सबसे बड़े बैंक फ्रॉड मामले की जांच कर रहा है। मामले में टाइम्स नाउ नवभारत के रिपोर्टर अनुज मिश्रा एक्सक्लूसिव जानकारी दे रहे हैं।

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भारत के सबसे बड़े बैंक फ्रॉड पर EXCLUSIVE रिपोर्ट, एक्शन में CBI
मुख्य बातें
  • जून 2022 में केंद्रीय जांच ब्यूरो ने देश के सबसे बड़े बैंक धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया था।
  • जब्त की गई 5.50 करोड़ रुपये की पेंटिंग्स साल 1964 और 1956 की हैं।
  • आरोप है कि प्रमोटरों ने डायवर्ट किए गए फंड के जरिए महंगी वस्तुओं का अधिग्रहण किया था।

नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े बैंक फ्रॉड (Biggest Bank Fraud) के मामले में बड़ा अपडेट सामने आया है। 34,615 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) कार्रवाई कर रहा है। सीबीआई ने 12.50 करोड़ की महंगी पेंटिंग्स और घड़ियां बरामद की हैं। मामले में एसएच रजा (SH Raza) और एफएन सूजा (FN Souza) की 5.50 करोड़ रुपये की पेंटिंग, जैकब एंड कंपनी (Jacob & Co) और फ्रैंक मुलर जिनेवे की कुल 5 करोड़ रुपये की दो घड़ियां और सोने और 2 करोड़ रुपये के हीरे के आभूषण बरामद हुए हैं। 34 हजार करोड़ से बड़ी धोखाधड़ी के इस मामले में 17 बैंकों को चूना लगाया गया था।

जारी है जांच 
पिछले हफ्ते, एजेंसी डीएचएफएल के निदेशकों कपिल वधावन (Kapil Wadhawan) और धीरज वधावन (Dheeraj Wadhawan) को मामले के सिलसिले में सुनवाई के लिए दिल्ली ले आई थी। पहले मुंबई में विभिन्न स्थानों पर आरोपियों के परिसरों की तलाशी ली गई थी, जिसमें आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद हुए थे। आगे की जांच जारी है।

अनुज मिश्रा ने बताया कि दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (DHFL) के कपिल वधावन और धीरज वधावन के नेतृत्व में जो कंपनी बनाई गई थी, उनके जरिए ये पैसा डायवर्ट किया गया था। इसमें यूनियन बैंक सहित 17 बैंकों का पैसा है। अभी पूछताछ में यह पता लगाया जा रहा है कि ये पैसे कौसे डायवर्ट किए गए। इस मामले कार्रवाई लगातार की जा रही है। पहले भी छापेमारी के दौरान महंगी पेंटिंग बरामद हुई थी।

अब तक की सबसे बड़ी बैंक धोखाधड़ी, 34,615 करोड़ का हुआ फ्रॉड

(तस्वीर साभार: CBI)

साल 2021 में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने सीबीआई को डीएचएफएल के प्रमोटरों और तत्कालीन प्रबंधन की जांच करने के लिए कहा था, जिसमें यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले बैंकों के कंसोर्टियम को 40,623.36 करोड़ रुपये (30 जुलाई 2020 तक) का नुकसान हुआ था।

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