- अप्रैल में रिटेल महंगाई दर 8 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। जो बढ़कर 7.79 फीसदी पर आ गई।
- अकेले पेट्रोल-डीजल के एक्साइज ड्यूटी में कमी से 0.30 फीसदी तक महंगाई घट सकती है।
- पिछले 10 दिनों में सरकार ने पेट्रोल-डीजल, खाद्य तेल, गेहू, चीनी और स्टील की कीमतों पर कमी लाने के लिए अहम कदम उठाए हैं।
Record Inflation and Government Steps:रिकॉर्ड तोड़ महंगाई ने मोदी सरकार को ताबड़-तोड़ एक्शन लेने के लिए मजबूर कर दिया है। सरकार ने महंगाई पर राहत देने के लिए प्रमुख रूप से रोटी-मकान को टारगेट किया है। इसके लिए उसने सबसे पहले पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती के लिए एक्साइज ड्यटी घटाई है। उसके बाद उसने सोयबीन और सन फ्लावर तेलों पर लगने वाले आयात शुल्क को भी 2 साल के लिए खत्म कर दिया है। साथ ही घर बनाने की लागत घटाने के लिए स्टील के आयात शुल्क में कटौती की है। जाहिर है सरकार की कोशिश है कि रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी महंगाई को कम किया जाय। सरकार के यह कदम कितने कारगर होंगे और उसका कब असर दिखेगा, अब इसी का सबको इंतजार है।
सरकार को क्यों उठाना पड़ा कदम
असल में अप्रैल महीने के महंगाई के आंकड़ों ने सरकार के सामने नई मुसीबत खड़ी कर दी थी। एक तरफ तो रिटेल महंगाई दर ने आठ साल के उच्चतम स्तर पर पहुंचकर आम लोगों के बजट को बिगाड़ दिया। और रही सही कसर रिकॉर्ड थोक महंगाई ने पूरी कर दी। अप्रैल में रिटेल महंगाई दर 7.79 फीसदी और थोक महंगाई दर 15.08 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई। महंगाई की गंभीरता को इस तरह समझा जा सकता है, कि सबसे ज्यादा असर खाने-पीने की चीजों पर पड़ा है। जिसकी वजह से तेल-घी की महंगाई दर 17.28 फीसदी, सब्जियों की महंगाई दर 15.41 फीसदी तक पहुंच गई। हालात इस तरह नियंत्रण से बाहर हो रहे हैं कि आरबीआई को मौद्रिक नीति से पहले ही रेपो रेट में 0.40 फीसदी की बढ़ोतरी करनी पड़ी। जिससे कि मांग और आपूर्ति का संतुलन बनाया जा सके।
कितनी मिलेगी राहत और क्या होगा असर
कोटक मनी मार्केट की 23 मई को जारी रिपोर्ट के अनुसार सरकार द्वारा महंगाई को काबू में पाने के लिए उठाए कदमों का अहम असर दिखेगा। इसके तहत पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में कटौती से महंगाई में 0.30 फीसदी के करीब कमी आ सकती है।इसी तरह स्टील और प्लास्टिक के कच्चे माल के कस्टम ड्यूटी में कटौती और दूसरे कदमों से महंगाई में 0.24 फीसदी की कमी आ सकती है। हाल में उठाए गए अन्य कदमों को देखते हुए रिटेल महंगाई दर वित्त वर्ष 2022-23 में 6.4 फीसदी के स्तर पर आ सकती है। हालांकि इन कदमों से सरकार के राजस्व पर भी असर होगा। उसे पेट्रोल-डीजल पर एक लाख करोड़ रुपये के सालाना राजस्व का नुकसान होगा। इसी तरह एलपीजी पर 200 रुपये की सब्सिडी से सालाना 61 अरब रुपये का नुकसान होगा।
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सरकार ने क्या उठाए कदम
सबसे पहले सरकार ने गेहूं की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए 13 मई को उसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। भारत ने ऐसा इसलिए किया क्योंकि भले ही वह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं का उत्पादन करने वाला देश है। लेकिन बदलते मौसम के कारण सीजन में कम उत्पादन की आशंका और निर्यात की वजह से कीमतों में बढ़ोतरी को देखते हुए सरकार ने निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया। सरकार ने इस साल 11.13 करोड़ टन गेहूं उत्पादन का अनुमान लगाया गया था। लेकिन गेहूं उत्पादक राज्यों में 45 डिग्री सेंटीग्रेड से ज्यादा तापमान की वजह से इस बार उत्पादन में 15-20 फीसदी तक कमी का अनुमान है। इसे देखते हुए अब सरकार ने गेहूं उत्पादन का अनुमान 10.5 करोड़ टन कर दिया है।
इसके बाद लंबे समय से पेट्रोल-डीजल की कीमतों के लेकर विपक्ष के निशाने पर रही सरकार ने 22 मई को एक्साइज ड्यूटी में कटौती कर दी। सरकार ने इसके तहत पेट्रोल पर 8 रुपये और डीजल पर 6 रुपये की कटौती की है। इसका असर भी दिखा कि विपक्ष द्वारा शासित राज्य महाराष्ट्र, केरल, राजस्थान ने 23 मई को पेट्रोल-डीजल पर वैट घटा दिया। सरकार के इस कदम का असर महंगाई पर दिखने की उम्मीद है। क्योंकि डीजल में की गई कटौती से तुरंत माल ढुलाई की लागत घटती है। जिसका असर कीमतों पर दिखता है।
सरकार ने इसी कड़ी में प्लास्टिक उत्पादों के उत्पादन लागत में कमी लाने के लिए नाफ्था (2.5 फीसदी से 1 फीसदी), प्रोपाइलीन ऑक्साइड (5 फीसदी से 2.5 फीसदी), पीवीसी (10 फीसदी से 7 फीसदी) के आयात शुल्क में कटौती कर दी। इसके अलावा स्टील की लागत कम करने के लिए उसके कच्चे माल के आयात शुल्क में 2.5-5 फीसदी तक कटौती की है। और स्टील के निर्यात पर अंकुश लगाने के लिए निर्यात शुल्क बढ़ाने और उत्पादों को उसके दायरे में लाने के कदम उठाए ।
24 मई को सरकार ने एक और अहम कदम उठाते हुए कच्च सोयाबीन तेल और सनफ्लॉवर तेल पर लगने वाले आयात शुल्क को 2 साल के लिए खत्म कर दिया है। नया फैसला 20 लाख मिट्रिक टन सोयाबीन तेल और 20 लाख मिट्रिक टन सनफ्लॉवर तेल के आयात पर लागू होगा। इसके अलावा एग्रीकल्चर एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट सेस को भी खत्म कर दिया है।
सरकार ने इसी तरह एक जून से चीनी के निर्यात पर भी रोक लगा दी है। इसके तहत सरकार ने चीनी निर्यात पर पूरी तरह प्रतिबंध नहीं लगाया है। बल्कि इसे फ्री से रिस्ट्रिक्टेड श्रेणी में डाल दिया गया है। वहीं यूरोपीय यूनियन (ईयू), अमेरिका और टैरिफ रेट कोटा (टीआरक्यू) के तहत होने वाले निर्यात पर कोई प्रतिबंध नहीं है। कॉमर्स मिनिस्ट्री के नोटिफिकेशन के अनुसार निर्यात के संबंध में डायरेक्टरेट ऑफ शुगर दिशानिर्देश जारी करेगा। चीनी निर्यात पर शर्तों के साथ प्रतिबंध 1 जून से 31 अक्टूबर 2022 तक जारी रहेगा। मौजूदा चीनी सीजन 2021-22 में 100 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति होगी। अभी तक 90 लाख टन चीनी निर्यात के सौदे हुए हैं।
कांग्रेस ने पेट्रोल-डीजल पर साधा निशाना
महंगाई काबू में लाने के लिए पेट्रोल-डीजल के एक्साइज ड्यूटी पर हुई कटौती पर कांग्रेस ने निशाना साधा है। पार्टी के प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने सरकार के फैसले के बाद कि ये कौन सा गणित है कि आप पहले पिछले 60 दिनों में पेट्रोल के दाम 10 रुपए बढ़ा दो और फिर पेट्रोल के ऊपर एक्साइज ड्यूटी आप 8 रुपए घटा दो। वो कौन सा गणित है कम करने का, जिसमें पिछले 60 दिनों में 10 रुपए बढ़ा दो और 7 रुपए कम कर दो? इसी तरह अप्रैल 2014 में पेट्रोल पर केन्द्र सरकार 9 रुपए 48 पैसे प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी लेती थी। जो आज मई, 2022 में कम करने के बावजूद, यह 19 रुपए 90 पैसे है। वहीं अप्रैल, 2014 में केन्द्र सरकार 3 रुपए 56 पैसे प्रति लीटर डीजल पर एक्साइज ड्यूटी लेती थी। वह कम करने के बावजूद आज 15 रुपए 80 पैसे प्रति लीटर हुई है।