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क्रिप्टो पर निर्मला सीतारमण का बड़ा बयान, कहा- क्रिप्टो कोई करेंसी नहीं हो सकती

Updated Jul 18, 2022 | 16:41 IST

Nirmala Sitharaman on cryptocurrency: भारत के केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने हाल ही में कहा था कि क्रिप्टोकरेंसी एक स्पष्ट खतरा है।

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क्रिप्टो कोई करेंसी नहीं हो सकती: वित्त मंत्री (Pic: iStock)
मुख्य बातें
  • लोकसभा में प्रश्न के लिखित उत्तर में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने क्रिप्टो पर बयान दिया।
  • 25वीं FSR में आरबीआई गवर्नर ने क्रिप्टोकरेंसी को 'स्पष्ट खतरा' बताया था।
  • इस महीने से क्रिप्टो संपत्ति की एक साल में 10,000 रुपये से ज्यादा की लेनदेन पर टीडीएस लागू हुआ है।

नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) पर बड़ा बयान दिया। सीतारमण ने लोकसभा में कहा कि जोखिमों और लाभों के मूल्यांकन पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग के बाद ही क्रिप्टो पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है या इसपर कोई कानून प्रभावी हो सकता है। उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने उल्लेख किया है कि क्रिप्टोकरेंसी एक मुद्रा नहीं है क्योंकि हर आधुनिक मुद्रा को केंद्रीय बैंक या सरकार द्वारा जारी करने की आवश्यकता होती है।

इसके अलावा वित्त मंत्री ने लोकसभा में कहा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतें और वैश्विक वित्तीय स्थितियों के सख्त होने से डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हुआ है। उन्होंने कहा कि एक अन्य कारण यह भी था कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार से लगभग 14 बिलियन डॉलर निकाल लिए हैं।

इन मुद्राओं के मुकाबले मजबूत हुआ है रुपया 
सीतारमण ने कहा कि ब्रिटिश पाउंड, जापानी येन और यूरो जैसी मुद्राएं अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये की तुलना में अधिक कमजोर हुई हैं और इसलिए, भारतीय रुपया 2022 में इन मुद्राओं के मुकाबले मजबूत हुआ है।

रुपये के मूल्य में गिरावट से निर्यात में तेजी आ सकती है जो अर्थव्यवस्था को सकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। मूल्य में गिरावट से आयात और अधिक महंगा हो जाएगा।

आरबीआई रखता है विदेशी मुद्रा बाजार पर नजर
भारतीय रिजर्व बैंक नियमित रूप से विदेशी मुद्रा बाजार पर नजर रखता है और अत्यधिक अस्थिरता की स्थिति में हस्तक्षेप भी करता है। आरबीआई ने हाल के महीनों में ब्याज दरों में वृद्धि की है जिससे भारतीय रुपये रखने का आकर्षण बढ़ गया है।

विदेशी पोर्टफोलियो पूंजी का बाहर जाना भारतीय रुपये के मूल्यह्रास का एक प्रमुख कारण है। उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में, खास कर अमेरिका में मौद्रिक प्रबंधन, विदेशी निवेशकों को उभरते बाजारों से धन निकालने के लिए प्रेरित करता है। उन्होंने कहा कि विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने वित्त वर्ष 2022-23 में भारतीय इक्विटी बाजारों से करीब 14 अरब डॉलर की निकासी की है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)

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