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Financial Planning: बढ़ सकती है होम लोन की EMI, क्या आप आर्थिक रूप से हैं तैयार?

Updated Nov 11, 2021 | 17:41 IST

Financial Planning: भारतीय रिजर्व बैंक अगले साल की दूसरी छमाही से रेपो दर में वृद्धि कर सकता है। इससे होम और ऑटो लोन ग्राहक प्रभावित होंगे। क्योंकि ये ज्यादातर रेपो रेट से जुड़े होते हैं।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
Financial Planning: बढ़ सकती है होम लोन की EMI
मुख्य बातें
  • बढ़ती मुद्रास्फीति की वजह से केंद्रीय बैंक रेपो रेट बढ़ा सकता है।
  • रेपो दर बढ़ने से होम और ऑटो लोन ग्राहक प्रभावित होंगे।
  • फिलहाल रेपो रेट 4 फीसदी पर है।

Financial Planning: अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे कोविड-19 महामारी के प्रभाव से उबर रही है। अर्थशास्त्रियों का मानना ​​​​है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) जल्द ही ब्याज दरों की सामान्य प्रक्रिया शुरू कर सकता है और अगले साल की दूसरी छमाही से रेपो दर में वृद्धि कर सकता है। अगर आरबीआई रेपो रेट बढ़ाता है तो इससे होम और ऑटो लोन ग्राहक प्रभावित होंगे क्योंकि ये ज्यादातर रेपो रेट से जुड़े होते हैं।

उल्लेखनीय है कि केंद्रीय बैंक ने वित्तीय बोझ को कम करने और अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार में मदद करने के लिए, दो क्रमिक कटौती में रेपो दर में अभूतपूर्व 110 आधार अंकों की कमी की थी। अब रेपो रेट 4 फीसदी पर है। इस रेपो रेट में कटौती के बाद होम लोन की दरें 6.50 फीसदी तक कम हो गई हैं। हालांकि ये कम दरें हमेशा के लिए लागू नहीं है और जल्द ही बढ़ सकती हैं क्योंकि देश में मुद्रास्फीति (inflation) भी बढ़ रही है।

उदारहण से समझें रेपो रेट बढ़ने से कितना बढ़ेगा बोझ
मान लीजिए कि अगले एक साल में होम लोन की दरों में 125 आधार अंकों की बढ़ोतरी होती है। ऐसे में आपके होम लोन की दर 6.75 फीसदी से बढ़कर 8 फीसदी हो जाएगी। अगर आपके पास 50 लाख रुपये का होम लोन है, जिसके लिए आप 38,018 रुपये ईएमआई के तौर पर चुका रहे हैं, तो आपकी ईएमआई 3,804 रुपये बढ़कर 41,822 रुपये हो जाएगी। इसका मतलब सालाना 45,648 रुपये का अतिरिक्त खर्च होगा। क्या आप इस अतिरिक्त वित्तीय बोझ के लिए तैयार हैं?

ध्यान रहे कि जब होम लोन की दरें 10 से 25 आधार अंकों तक बढ़ जाती हैं तो बैंक आमतौर पर ईएमआई नहीं बढ़ाते हैं। ऐसे मामलों में, वे ईएमआई को स्थिर रखने के लिए लोन की अवधि बढ़ाते हैं। हालांकि, अगर होम लोन की दरों में 100 आधार अंकों या इससे अधिक की वृद्धि होती है तो बैंकों ईएमआई बढ़ाने के लिए मजबूर हो जाते हैं।

बढ़ी हुई ईएमआई को सही से मैनेज करना आपके लिए तब तक आसान नहीं होगा जब तक आपकी आय नहीं बढ़ती। वित्तीय प्लानर्स का मानना है कि इस स्थिति से निपटने के लिए आपको उचित दर पर होम लोन लेना चाहिए और शेष ईएमआई को SIP के जरिए डेट फंड में निवेश करना चाहिए। उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि आपने 20 साल की अवधि के लिए 50 लाख रुपये का होम लोन लिया है और इसके लिए आठ फीसदी ब्याज दर के हिसाब से आप ईएमआई के तौर पर 41,822 रुपये देते है। वहीं 6.75 फीसदी ब्याज पर आपको 38,018 रुपये ईएमआई देनी होगी। इस मामले में आप ऐसे सोचें की आपके होम लोन की दर 8 फीसदी ही है और 3,804 रुपये की अंतर राशि को हर महीने डेट म्यूचुअल फंड में SIP के माध्यम से निवेश करें। यदि दरें बढ़ती भी हैं, तो यह अतिरिक्त कॉर्पस आपकी मदद करेगा और ब्याज दर में हुई वृद्धि का आप पर असर नहीं पड़ेगा।

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