नई दिल्ली: फिच सोल्यूशंस ने सोमवार को भारत की चालू वित्त वर्ष के आर्थिक वृद्धि के अपने पहले के अनुमान को घटाकर 4.9 प्रतिशत कर दिया। पहले उसने इसे 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था।एजेंसी ने कहा है कि कोरोना वायरस के प्रभाव से आपूर्ति श्रृंखला गड़बड़ाने और घरेलू मांग कमजोर पड़ने से उसने वृद्धि का अनुमान घटाया है।एजेंसी ने भारत की वित्त वर्ष 2020-21 की वृद्धि के अनुमान को भी 5.9 प्रतशत से घटाकर 5.4 प्रतिशत कर दया गया है।
फिच सोल्यूशंस ने भारत के परिदृश्य पर अपनी ताजा रपट में कहा है, ‘फिच सोल्यूशंस वित्तीय वर्ष 2019- 20 के लिये भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि के अनुमान को पहले घोषित 5.1 प्रतिशत से घटाकर 4.9 प्रतिशत कर रहा है। वहीं वित्त वर्ष 2020- 21 के लिये भी इसे पहले के 5.9 प्रतिशत से घटाकर 5.4 प्रतिशत कर दिया गया है।’भारत की जीडीपी वृद्धि चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर- दिसंबर) के दौरान घटकर 4.7 प्रतिशत रही । दूसरी तिमाही के संशोधत अनुमानों में यह 5.1 प्रतिशत बतायी गयी। हालांक प्रारंभिक अनुमान में दूसरी तिमाही की वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत बतायी गयी थी।
सरकार के स्तर पर खपत धीमी रहने, सकल सथायी पूंजी निर्माण में बड़ी गिरावट आने और शुद्ध निर्यात योगदान मामूली रहने से जीडीपी वृद्धि धीमी पड़ी है। एजेंसी का कहना है कि ‘वर्ष 2020- 21 के बजट के उद्योग जगत को समर्थन देने में असफल रहने से भी पहले से ही ऋण की तंगी झेल रहे उद्योग जगत को मामूली राहत ही मिल पायेगी। गैर- बैंकिंग क्षेत्र में कई बड़ी कंपनयों के ध्वस्त हो जाने की वजह से नकदी की तंगी बनी हुई है।’
एजेंसी की राय में चीन में संक्रामक कोरोना वायर महामारी के फैलने की वजह से भारत में आटोमोबाइल और इलेक्ट्रानिक्स आपूर्ति श्रृंखला गड़बड़ाने की आशंका है। इसका देश के निर्यातोन्मुख विनिर्माण पर प्रभाव पड़ सकता है। होगा साथ ही व्यापक आधार वाले सेवा क्षेत्र पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा। फिच सोल्यूशंस ने कहा है क उसे 2020- 21 में विनिर्माण और सेवा क्षेत्र की गतवधयों में सुधार आने की उम्मीद है। उसने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि कृिष क्षेत्र में संभावनायें बेहतर होने और अगले वित्त वर्ष के बजट में दिये गये वित्तीय समर्थन से आर्थक गतिविधयों में सुधार आयेगा।’