जीपीएफ या जनरल प्रोविडेंट फंड, पीपीएफ अकाउंट की तरह है लेकिन यह भारत में सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए है। जीपीएफ सभी सरकारी कर्मचारियों को अपनी सैलरी के एक निश्चित प्रतिशत में जनरल प्रोविडेंट फंड में योगदान करने की अनुमति देता है। कोई भी सरकारी कर्मचारी अपनी नौकरी के दौरान इस फंड में निवेश करता है और रिटायरमेंट के समय यह पैसा निकाल सकता है।
प्रोविडेंट फंड तीन तरह के होते हैं। जनरल प्रोविडेंट फंड (जीपीएफ), पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) और ईम्पलोयी प्रोविडेंट फंट (ईपीएफ)। हालांकि तीनों के योगदान, नियम कायदे में और इसके लाभ में अंतर होते है।
सामान्य भविष्य निधि (General Provident Fund) के लिए कौन पात्र है?
जीपीएफ (केंद्रीय सेवा) नियम 1960 के अनुसार सभी अस्थायी सरकारी कर्मचारियों को एक वर्ष की निरंतर सेवा के बाद सभी पुन: नियोजित पेंशनरों (प्रोविडेंट फंड में प्रवेश के लिए पात्र के अलावा अन्य) और सभी स्थायी सरकारी कर्मचारी इस फंड के सदस्यता के लिए पात्र हैं।
GPF पर ब्याज दर क्या है?
जीपीएफ की सदस्यता लेने वाले सभी सरकारी कर्मचारियों को वित्त वर्ष 2020-21 (अप्रैल-मार्च) में ब्याज दर की 7.1 प्रतिशत मिलेगी। जीपीएफ में सरकारी नियमों के अनुसार ब्याज दर रिवाइज होती है। सामान्य भविष्य निधि (General Provident Fund) सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए है और यह पेंशन और पेंशनर्स कल्याण विभाग के अंतर्गत आता है।
जीपीएफ की सदस्यता की वैधता
कोई भी सरकारी कर्मचारी इस फंड के लिए मासिक सदस्यता ले सकता है, केवल उस अवधि को छोड़कर जब वह निलंबन में हो।
GPF सदस्यता कब समाप्त होती है
रिटायरमेंट की तारीख से तीन महीने पहले प्रोविडेंट फंड की सदस्यता रोक दी जाती है। सदस्यता की दरें ग्राहक की सैलरी के 6 प्रतिशत से कम नहीं होंगी और न ही उसकी कुल आय से अधिक होगी।