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Digital Payments: गुड न्यूज, UPI, RuPay कार्ड से लेनदेन पर वसूले गए चार्ज वापस करेंगे बैंक

Updated Aug 31, 2020 | 14:56 IST

Digital Payments: डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए  केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने बैंकों से कहा कि रुपे कार्ड या यूपीआई से किए गए ट्रांजेक्शन पर वसूले गए चार्ज को वापस करें।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
डिजिटल लेनदेन

नई दिल्ली : डिजिटल ट्रांजेक्शन करने वालों के लिए खुशखबरी है। इनकम टैक्स विभाग ने रविवार (30 अगस्त) को बैंकों से कहा है कि वे रुपे कार्ड या भीम-UPI जैसे डिजिटल के माध्यम से किय गए ट्रांजेक्शन पर एक जनवरी 2020 के बाद वसूले गए शुल्क को वापस करें। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने इनकम टैक्स एक्ट की धारा 269SU के तहत निर्धारित इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों पर फी लगाने संबंधी एक सर्कुलर में बैंकों को सलाह दी कि वे इन माध्यम से किए जाने वाले भविष्य के किसी भी ट्रांजेक्शन पर कोई फी न लगाएं।

सरकार ने डिजिटल ट्रांजेक्शन को प्रोत्साहित करने और कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने के लिए वित्त अधिनियम 2019 में धारा 269SU के रूप में एक नया प्रावधान जोड़ा है। एक्ट के तहत यह अनिवार्य किया गया है कि पिछले वर्ष 50 करोड़ रुपए से अधिक का कारोबार करने वाले व्यक्ति तत्काल प्रभाव से तय इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से भुगतान की व्यवस्था सुनिश्चित करें। बाद में सरकार ने दिसंबर 2019 में रुपे वाले डेबिट कार्ड, यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI/ भीम-UPI) और UPI क्विक रिस्पांस कोड (QR कोड) को निर्धारित इलेक्ट्रॉनिक माध्यम अधिसूचित किया।

सीबीडीटी ने सर्कुलर में कहा कि बैंकों को सलाह दी जाती है कि यदि उन्होंने एक जनवरी 2020 को या उसके बाद निर्धारित इलेक्ट्रॉनिक मोड का उपयोग करते हुए किए गए ट्रांजेक्शन पर यदि किसी तरह शुल्क वसूला है, तो वे इसे तत्काल वापस करें और भविष्य में इस प्रकार के ट्रांजेक्शन पर कोई शुल्क नहीं लें। सीबीडीटी ने कहा, दिसंबर 2019 में स्पष्ट किया गया था कि एक जनवरी 2020 से मचेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) समेत किसी भी प्रकार का शुल्क निर्धारित इलेक्ट्रॉनिक मोड से किये गए ट्रांजेक्शन पर लागू नहीं होगा।

हालांकि, कई पक्षों से यह जानकारी मिली है कि कुछ बैंक UPI के माध्यम से किए गए ट्रांजेक्शन पर शुल्क लगा रहे हैं। वे एक निश्चित सीमा तक नि:शुल्क ट्रांजेक्शन की सुविधा दे रहे हैं, लेकिन इसके बाद शुल्क वसूल रहे हैं। इस तरह की हरकतें भुगतान एवं निपटान सिस्टम एक्ट की धारा 10A और इनकम टैक्स अधिनियम की धारा 269SU का उल्लंघन है। इस तरह के उल्लंघन पर दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान है।

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