नई दिल्ली : मोदी सरकार निजीकरण की ओर तेजी से कदम बढ़ा रही है। इसमें अब सरकारी बैंकों को भी शामिल कर लिया गया है। सूत्रों के मुताबिक सरकारी बैंकों के निजीकरण के लिए रास्ता बनाने के लिए इस दो कानूनों में संशोधन किया जाएगा। सूत्रों ने कहा कि निजीकरण के लिए बैंकिंग कंपनियां (उपक्रमों का अधिग्रहण व हस्तांतरण) अधिनियम, 1970 और बैंकिंग कंपनियां (उपक्रमों का अधिग्रहण व हस्तांतरण) अधिनियम, 1980 में संशोधन जरूरी होगा। इन अधिनियमों के कारण बैंकों का दो चरणों में राष्ट्रीयकरण हो गया और बैंकों के निजीकरण के लिए इन कानूनों के प्रावधानों को बदलना होगा। उम्मीद है कि इन संशोधनों को मानसून सत्र में या बाद में सदन के पटल पर रखा जा सकता है।
उधर रॉयटर्स के मुताबिक 4 बैंकों का निजीकरण किया जाएगा। जिसमें ऑफ महाराष्ट्र, बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया हैं। हालांकि इसकी घोषणा अभी सरकार द्वारा नहीं किया गया है।
जैसा कि सरकार ने बजट सत्र के लिए विधायी कार्यों की लिस्ट पहले ही घोषित कर चुकी है, उम्मीद है कि इन संशोधनों को मानसून सत्र में या बाद में पेश किया जा सकता है। चालू बजट सत्र में वित्त विधेयक 2021, 2020-21 के लिए अनुदानों की अनुपूरक मांगों व संबंधित विनियोग विधेयक, नेशनल बैंक फॉर फाइनेंसिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड डेवलपमेंट विधेयक 2021 और क्रिप्टोकरेंसी व आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक 2021 सहित 38 से अधिक विधेयकों को पेश करने की योजना है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस महीने की शुरुआत में बजट 2021-22 पेश करते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के विनिवेश से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने की घोषणा की थी।