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IRCTC : आईआरसीटीसी में और हिस्सेदारी बेचेगी सरकार, बोलियां आमंत्रित

Updated Aug 20, 2020 | 18:12 IST

IRCTC Sale : भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम (आईआरसीटीसी) में अपनी कुछ और हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रही है।

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Government will sell more stake in IRCTC, invites bids from merchant bankers

नई दिल्ली : सरकार चालू वित्त वर्ष में भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम (IRCTC) में अपनी कुछ और हिस्सेदारी बेचने की योजना बना रही है। उसने बिक्री प्रक्रिया के प्रबंधन के लिए मर्चेन्ट बैंकरों से बोलियां आमंत्रित की हैं। निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) ने अनुरोध प्रस्ताव आमंत्रित करते हुए कहा कि भारत सरकार भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के नियमों के तहत शेयर बाजारों के जरिए IRCTC में चुकता शेयर पूंजी का कुछ हिस्सा बिक्री पेशकश माध्यम से विनिवेश करना चाहती है। मर्चेन्ट बैंकरों को 10 सितंबर तक बोली जमा करनी है।

सरकार की फिलहाल IRCTC में 87.40% हिस्सेदारी है। सेबी के सार्वजनिक हिस्सेदारी नियम को पूरा करने के लिए सरकार को कंपनी में हिस्सेदारी कम कर 75% पर लानी है। IRCTC का शेयर बीएसई में कल के बंद भाव के मुकाबले 1.20% टूटकर 1,346.65 रुपये प्रति इक्विटी पर बंद हुआ। IRCTC ने अक्टूबर 2019 में आरंभिक सार्वजनिक निर्गम के जरिये 645 करोड़ रुपए जुटाये थे। कंपनी भारतीय रेलवे में खानपान सेवा, ऑनलाइन टिकट बुकिंग और रेलवे स्टेशनों पर बोतलबंद पेय जल उपलब्ध कराने के लिए एकमात्र अधिकृत संस्था है।

आईआरसीटी की ओएफएस से सरकार अपने विनिवेश लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ पाएगी। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में विनिवेश के जरिए 2.10 लाख करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है। इसमें से 1.20 लाख करोड़ रुपए सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश से तथा 90,000 करोड़ रुपए वित्तीय संस्थानों में हिस्सेदारी बिक्री के जरिए प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है।

कोरोना वायरस महामारी और उसका इक्विटी बाजार पर पड़े असर के कारण दीपम चालू वित्त वर्ष में अब तक किसी भी केंद्रीय लोक उपक्रम (सीपीएसई) में हिस्सेदारी बेच नहीं पाया है। हालांकि भारत बांड ईटीएफ-दो के जरिए सरकार ने सीपीएसई के ‘एएए’ रेटिंग वाले बांड के जरिए 11,000 करोड़ रुपए जुटाए हैं।

दीपम के सचिव तुहिन कांता पाडे ने पिछले महीने कहा था कि कोविड- 19 महामारी के कारण अंतरराष्ट्रीय यात्रा पर प्रतिबंध लगने के कारण केन्द्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के विनिवेश में रुकावट आई है। इससे एयर इंडिया और बीपीसीएल जैसे सार्वजनिक उपक्रमों की विनिवेश प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई। बहरहाल इन सौदों को पूरा करने सरकार की प्राथमिकता में रहेगा।
 

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