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आटे की बढ़ती कीमत पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने लिया फैसला, निर्यात पर लगी पाबंदी

Updated Aug 25, 2022 | 18:11 IST

Wheat Flour Price: रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की वजह से गेहूं की सप्लाई व्यवस्था प्रभावित हुई है। अब गेहूं के आटे की कीमत पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने फैसला लिया है।

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आटा एक्सपोर्ट पर सरकार का बड़ा फैसला, क्या होगा फायदा? (Pic: iStock)
मुख्य बातें
  • गेहूं के एक्सपोर्ट को लेकर नई पॉलिसी को मंदूरी मिली है।
  • सरकार ने आटा एक्सपोर्ट पर रोक लगा दी है।
  • DGFT जल्द नोटिफिकेशन जारी करेगी।

नई दिल्ली। डोमेस्टिक बाजार में गेहूं आटे के दाम (Wheat Flour Price) में तेजी पर अंकुश लगाने के लिए केंद्र सरकार ने गुरुवार को बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने मौजूदा नीति में एक बदलाव किया है, जिससे गेहूं के आटे के निर्यात पर प्रतिबंधित लग गया है। इस संदर्भ में एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने गेहूं या मेसलिन आटे (Meslin Flour) के निर्यात पर प्रतिबंध से छूट की नीति में संशोधन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

आटे की बढ़ती कीमतों पर लगेगा अंकुश 
आधिकारिक बयान के अनुसार, मंत्रिमंडल के इस निर्णय से अब गेहूं के आटे के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की अनुमति होगी। इससे आटे की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगेगा और समाज के सबसे कमजोर तबके के लिये खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होगी। विदेश व्यापार महानिदेशालय इस बारे में अधिसूचना जारी करेगा।

भारतीय गेहूं की बढ़ी मांग 
रूस और यूक्रेन गेहूं के प्रमुख निर्यातक हैं। दोनों देशों की वैश्विक गेहूं व्यापार में लगभग एक-चौथाई हिस्सेदारी हैं। दोनों देशों के बीच युद्ध से गेहूं की आपूर्ति व्यवस्था प्रभावित हुई है। इससे भारतीय गेहूं की मांग बढ़ गई है। इसके कारण घरेलू बाजार में गेहूं के दाम में तेजी देखने को मिली है।

प्रैल-जुलाई में बढ़ा भारत से गेहूं आटे का निर्यात 
सरकार ने देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये मई में गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी थी। हालांकि, इससे गेहूं के आटे की विदेशी मांग में उछाल आया। भारत से गेहूं आटे का निर्यात इस साल अप्रैल-जुलाई में सालाना आधार पर 200 प्रतिशत बढ़ा है।

बयान के अनुसार, इससे पहले गेहूं के आटे के निर्यात पर रोक या कोई प्रतिबंध नहीं लगाने की नीति थी। ऐसे में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और देश में गेहूं आटे की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिये इसके निर्यात पर प्रतिबंध/प्रतिबंधों से छूट को वापस लेकर नीति में आंशिक संशोधन की जरूरत थी।
(भाषा इनपुट्स के साथ)

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