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दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला, ईएमआई नहीं चुकाने पर घर खरीदारों को मिली राहत

Updated Feb 04, 2022 | 18:47 IST

दिल्ली हाई कोर्ट ने अधूरी आवासीय परियोजनाओं के चलते बैंकों और वित्तीय कंपनियों को खरीदारों से ईएमआई नहीं चुका पाने पर कड़ी कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है।

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तस्वीर साभार:&nbspBCCL
दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला, ईएमआई नहीं चुकाने पर घर खरीदारों को मिली राहत
मुख्य बातें
  • दिल्ली हाई कोर्ट ने घर खरीदारों को बड़ी राहत दी है।
  • बैंकों और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों को घर खरीदारों से ईएमआई वसूलने के लिए कठोर कार्रवाई करने से रोका गया है।
  • अधूरी आवासीय परियोजनाओं के चलते यह फैसला लिया गया।

नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने ईएमआई नहीं चुकाने पर घर खरीदारों को बड़ी राहत दी है। दिल्ली हाई कोर्ट ने होम बायर्स के एक समूह की याचिका पर बैंकों और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों को अधूरी आवासीय परियोजनाओं पर होम खरीदारों से ईएमआई वसूलने के लिए कोई भी कठोर कार्रवाई करने से रोक दिया है।

जानें पूरा मामला
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने हाल के एक अदालत के आदेश में, इन खरीदारों की याचिका से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। इन सभी ने उन परियोजनाओं में निवेश किया था, जहां उन्हें कब्जा मिलने तक बिल्डरों को ईएमआई का भुगतान करना था, लेकिन उन्होंने भुगतान बीच में ही रोक दिया था । उन्होने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और राष्ट्रीय आवास बैंक की सलाह पर ध्यान दिए बिना ऋण वितरित किए गए थे।

संकटग्रस्त घर खरीदारों के पक्ष में है मामला 
न्यायाधीश ने कहा, इस अंतरिम चरण में मामला इन संकटग्रस्त घर खरीदारों के पक्ष में है और सभी को पता है कि उनकी कोई गलती नहीं है फिर भी उन्हें दंडित किया जा रहा है। अदालत ने यह भी कहा कि अगर याचिकाकर्ताओं को कोई अंतरिम संरक्षण नहीं दिया गया तो उन्हें गंभीर और अपूरणीय क्षति होगी।

याचिकाकर्ताओं की वकील एडवोकेट आदित्या परोलिया ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने शुरूआती अग्रिम किश्त देकर अपने फ्लैट बुक करा लिए थे। उन्होंने तर्क दिया कि इस तथ्य के बावजूद कि कोई भी परियोजना पूरी नहीं हुई थी या बिल्डर्स दिवालिया हो गए थे, घर खरीदारों को अब ईएमआई का भुगतान करने के लिए कहा जा रहा था। घर खरीदार अभी भी अपने सपनों के घर के कब्जे की प्रतीक्षा कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने परियोजनाओं की वास्तविक स्थिति को जाने बगैर बिल्डरों को एक ही बार में ऋण वितरित कर दिया था। इससे ऐसी स्थिति पैदा हो गई, जहां बैंक घर खरीदारों से ईएमआई के भुगतान की मांग कर रहे हैं जबकि बिल्डरों ने कब्जे तक इस दायित्व का निर्वहन करने का वचन दिया था।
(इनपुट एजेंसी- आईएएनएस)

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