इस अप्रत्याशित कोविड-19 वैश्विक महामारी की घड़ी में देश की अर्थव्यवस्था को संभालकर रखने के लिए, फाइनेंस मिनिस्ट्री ने पिछले महीने कुछ उपायों की घोषणा की जिससे देश के नागरिकों को लाभ होगा। इनमें से एक महत्वपूर्ण उपाय के तौर पर, टैक्सपेयर्स को थोड़ी राहत देने के लिए कुछ टैक्स सम्बन्धी डेडलाइन्स को बढ़ा दिया गया है। फाइनेंसियल इयर 2019-20 के लिए टैक्स-सेविंग इन्वेस्टमेंट की डेडलाइन को 31 मार्च 2020 से बढ़ाकर 30 जून 2020 कर दिया गया है। इसलिए, यदि एक टैक्सपेयर होने के नाते आपने FY19-20 के लिए अपनी टैक्स देनदारी को कम करने के लिए अभी तक पर्याप्त उपाय नहीं किया है तो आपके पास इसे करने के लिए अभी भी कुछ सप्ताह का समय है। ये मानते हुए कि लॉकडाउन के कारण इन दिनों आप कम खर्च कर रहे होंगे (क्योंकि आप वर्तमान में दैनिक आवागमन, गैर-जरूरी शॉपिंग, रेस्टोरेंट और मूवी थिएटरों में जाना, हॉलिडे, इत्यादि जैसी चीजों पर खर्च नहीं कर रहे हैं), इसलिए इस बचे हुए पैसे को अपने टैक्स सेविंग इंस्ट्रूमेंट्स में इन्वेस्ट करना बेहतर होगा।
यहाँ आपकी सुविधा के लिए टैक्स बचाने के कुछ उपाय बताए गए हैं।
कम्प्रीहेंसिव हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी
एक हेल्थ इंश्योरेंस, मेडिकल इमरजेंसी में आपके फाइनेंसियल हेल्थ को सुरक्षित करने के अलावा आपको इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80D के तहत टैक्स बेनिफिट भी देता है। एक व्यक्तिगत टैक्सपेयर को अपने, अपने जीवनसाथी और अपने आश्रितों के लिए दिए गए हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर 25,000 रु. तक का टैक्स डिडक्शन बेनिफिट मिल सकता है। यदि आपने पहले ही एक स्टैण्डर्ड पॉलिसी ले रखी है तो आप अपने माता-पिता के लिए भी एक पॉलिसी ले सकते हैं। ऐसा करने से, आपको 25,000 रु. तक का एक्स्ट्रा डिडक्शन मिलेगा। यदि आपके माता-पिता की उम्र 60 साल से अधिक है तो आप 50,000 रु. तक के डिडक्शन के लिए क्लेम कर सकते हैं। इसके अलावा, सम्पूर्ण सुरक्षा के लिए एक कम्प्रीहेंसिव कवरेज वाली पॉलिसी लेने की कोशिश करें जिसका कवरेज 5 लाख रु. से कम नहीं होना चाहिए यदि आप शहर में रहते हैं। इसके अलावा आप एक एडिशनल या कम्प्रीहेंसिव मेडिकल प्लान भी ले सकते हैं जो कोविड-19 ट्रीटमेंट को कवर करता हो।
लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी
लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसियां, आपकी गैर-मौजूदगी में भी आपके परिवार को एक फाइनेंसियली स्टेबल फ्यूचर देने में मदद करती हैं। इसके अलावा, आपको इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C और 10D के तहत अपने इंश्योरेंस प्रीमियम पर टैक्स डिडक्शन बेनिफिट भी मिलता है। सेक्शन 80C के तहत, आपको अधिक से अधिक 1.5 लाख रु. तक का टैक्स डिडक्शन बेनिफिट मिलता है। सेक्शन 10(10D) के तहत, मैच्योरिटी के समय मिलने वाला अमाउंट, टैक्स-फ्री हो जाता है। लेकिन, ऐसा सिर्फ तभी हो सकता है यदि प्रीमियम, इंश्योरेंस अमाउंट के 10% से अधिक न हो। आप सस्ते प्रीमियम के लिए, ख़ास तौर पर अपनी नौजवानी में इसकी शुरुआत करने पर, अपनी मौजूदा सालाना आमदनी कम से कम 10 गुना बराबर इंश्योरेंस अमाउंट वाली एक टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी भी ले सकते हैं।
वोलंटरी प्रोविडेंट फंड
वोलंटरी प्रोविडेंट फंड, एक कॉन्ट्रिब्यूशन है जिसे आप अपने प्रोविडेंट फंड अकाउंट में कर सकते हैं और उस पर इंटरेस्ट कमा सकते हैं। VPF, वेतनभोगी और रिस्क परहेजी इन्वेस्टर्स के लिए काफी फायदेमंद है जो एक बहुत बढ़िया रिटायरमेंट प्लानिंग टूल की तरह काम कर सकता है। VPF कॉन्ट्रिब्यूशन पर सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रु. तक का टैक्स डिडक्शन बेनिफिट भी मिलता है; लेकिन, आप चाहें तो टैक्स बेनिफिट के बिना और ज्यादा इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं। अधिकांश संगठनों में उनके कर्मचारियों के लिए अपने VPF कॉन्ट्रिब्यूशन को शुरू करने, बंद करने, बढ़ाने या घटाने की प्रक्रिया काफी आसान है।
इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ELSS)
ELSS, जो तीन साल के लॉक-इन के साथ आता है, इकलौता ऐसा म्यूच्यूअल फंड प्रोडक्ट है जिस पर टैक्स डिडक्शन बेनिफिट मिलता है। टैक्सपेयर, ELSS में इन्वेस्ट करके सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रु. तक के टैक्स डिडक्शन के लिए क्लेम कर सकते हैं। इसके अलावा, एक अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड और फाइव-स्टार रेटिंग वाले ELSS में इन्वेस्ट करने पर, लम्बे समय में स्मॉल सेविंग्स स्कीम्स और यहाँ तक कि डेब्ट फंड्स जैसे अन्य डेब्ट इंस्ट्रूमेंट्स से भी ज्यादा रिटर्न मिल सकता है। लेकिन, मार्केट लिंक्ड प्रोडक्ट होने के नाते, ELSS में मध्यम या अधिक इन्वेस्टमेंट रिस्क होता है। यह एक बेहतरीन लास्ट-मिनट टैक्स-सेविंग टूल साबित हो सकता है क्योंकि इसमें इन्वेस्टमेंट शुरू करने के लिए बस कुछ ही मिनट लगते हैं यदि आपके पास एक KYC कम्प्लायंट बैंक अकाउंट है। यह बहुत टैक्स कुशल भी होता है क्योंकि एक फाइनेंसियल इयर में 1 लाख रु. से ज्यादा मुनाफा बुक करने पर ही उस पर 10% लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगता है। इसके अलावा, इसमें सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के माध्यम से इन्वेस्ट करना बेहतर होता है क्योंकि इससे लम्बे समय में मार्केट वोलेटिलिटी के प्रभाव को समाप्त करने और मनचाहा रिटर्न पाने में मदद मिलती है लेकिन आप चाहें तो इसमें एक लम्प सम तरीके से भी इन्वेस्ट कर सकते हैं क्योंकि FY19-20 की बढ़ी हुई डेडलाइन को ख़त्म होने में अब कुछ ही महीने बाकी रह गए हैं। इस तरह, अधिक रिटर्न मिलने की सम्भावना, अधिक लिक्विडिटी की सुविधा और इन्वेस्ट करने में आसानी के कारण, यह एक सही लास्ट-मिनट टैक्स-सेविंग टूल बन जाता है।
पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF)
पैसे को सुरक्षित रखने के साथ-साथ पैसे को बढ़ाने की इच्छा रखने वाले रिस्क परहेजी इन्वेस्टर्स को पब्लिक प्रोविडेंट फंड जैसे स्मॉल सेविंग्स स्कीम में इन्वेस्ट करने के बारे में सोचना चाहिए। हाल ही में, स्मॉल सेविंग्स स्कीम्स के रेट्स कम हुए हैं, लेकिन अभी भी इन पर सुनिश्चित रिटर्न मिलता है जो एक बैंक डिपोजिट से काफी हद तक अधिक ही होता है। इससे भी जरूरी बात, PPF सबसे अधिक टैक्स कुशल इन्वेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट्स में से एक है जिस पर सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रु. तक का टैक्स डिडक्शन बेनिफिट भी मिलता है। असल में, इसमें इन्वेस्ट किया जाने वाला अमाउंट, इस पर मिलने वाला रिटर्न और मैच्योरिटी अमाउंट सब टैक्स फ्री होता है। लेकिन, यह एक लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट है जिसमें कम से कम 15 साल का लॉक-इन होता है, इसलिए यह एक लिक्विडिट प्रोडक्ट नहीं है। लेकिन, कम्पाउंडिंग इंटरेस्ट की मदद से, इन्वेस्टमेंट पीरियड के अंत में एक बहुत बड़ी रकम तैयार हो जाती है। आप एक पार्टिसिपेटिंग बैंक या पोस्ट ऑफिस में आसानी से एक PPF अकाउंट खोल सकते हैं। कुछ बैंक, ऑनलाइन के माध्यम से अप्लाई करने की सुविधा भी देते हैं।
इसलिए, यदि आपने अभी तक FY19-20 के लिए अपने टैक्स सेविंग उपायों को अंतिम रूप नहीं दिया है तो आपके पास खोने के लिए ज्यादा समय नहीं है। टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट करने से पहले अपने मौजूदा टैक्स सेविंग उपायों पर गौर करें और पता लगाएं कि अपने टैक्स डिडक्शन बेनिफिट का भरपूर लाभ उठाने के लिए आपको और कितना इन्वेस्ट करने की जरूरत है। इसके अलावा, हमेशा अपने फाइनेंसियल लक्ष्य, रिस्क उठाने की चाहत, और लिक्विडिटी की जरूरत के हिसाब से ही टैक्स सेविंग इन्वेस्टमेंट करें। क्योंकि आपके फाइनेंसियल लक्ष्य, न कि आपके टैक्स सेविंग लक्ष्य, आपके इन्वेस्टमेंट का मुख्य उद्देश्य होना चाहिए। कोई संदेह होने पर, अपने इन्वेस्टमेंट एडवाइजर से बात करें।
(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: यह जानकारी एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर दी जा रही है। बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं, इसलिए निवेश के पहले अपने स्तर पर सलाह लें।)