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Mutual Fund Investment : कोविड-19 संकट काल में ऐसे चुनें सही म्यूच्युअल फंड

Updated Jul 09, 2020 | 17:44 IST

Mutual Fund Investment : रिस्क क्षमता का पता अक्सर किसी फाइनेंसियल संकट में ही चलता है। जैसे, यदि आप किसी इक्विटी म्यूच्युअल फंड में इन्वेस्ट करते हैं और मार्केट गिर जाता है। ऐसे समय में सही म्यूच्युअल फंड चुनन

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ऐसे चुनें सही म्यूच्यूअल फंड

Mutual Fund Investment : सही इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट चुनने से अपने इन्वेस्टमेंट को मौजूदा संकट की तरह किसी गंभीर फाइनेंसियल संकट से बचाने में मदद मिल सकती है। अब, म्यूच्युअल फंड्स में तरह-तरह के इन्वेस्टमेंट ऑप्शन मिलने लगे हैं। आपके फाइनेंसियल लक्ष्यों को पूरा करने में प्रत्येक म्यूच्युअल फंड स्कीम की एक अलग भूमिका होती है। आप अपने सभी शॉर्ट और लॉन्ग-टर्म लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एक ही म्यूच्युअल फंड स्कीम का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं। आपकी रिस्क क्षमता और फाइनेंसियल लक्ष्य, आपकी जिंदगी के अलग-अलग पड़ाव में अलग-अलग होंगे, इसलिए आपको अपनी जरूरत के मुताबिक सही म्यूच्युअल फंड चुनना चाहिए। कोविड-19 वैश्विक-महामारी के कारण मौजूदा अनिश्चित परिस्थिति में, एक म्यूच्युअल फंड प्रोडक्ट चुनते समय सावधानी बरतना जरूरी है। यहाँ मौजूदा परिस्थिति में सही म्यूच्युअल फंड चुनने से जुड़े कुछ जरूरी और उपयोगी सुझाव दिए गए हैं।

अपनी रिस्क क्षमता के अनुसार इन्वेस्ट करें

रिस्क क्षमता का पता अक्सर किसी फाइनेंसियल संकट में ही चलता है। जैसे, यदि आप किसी इक्विटी म्यूच्युअल फंड में इन्वेस्ट करते हैं और मार्केट गिर जाता है तो अपने पोर्टफोलियो में गिरावट देखकर आप भयभीत हो सकते हैं यदि आपकी रिस्क क्षमता कम है। रिस्क क्षमता कम होने पर दो कारणों से डर लग सकता है। पहला, जब आप अपनी क्षमता से अधिक इन्वेस्ट करते हैं और आपके पोर्टफोलियो में गिरावट दिखाई देता है। दूसरा, जब आप किसी प्रोडक्ट के सही होल्डिंग पीरियड पर विचार किए बिना उसमें इन्वेस्ट करते हैं। जैसे, मान लीजिए, आपने एक ऐसे म्यूच्युअल फंड स्कीम में थोड़े समय के लिए इन्वेस्ट किया है जिसमें मनचाहा परिणाम पाने के लिए लम्बे समय तक इन्वेस्टेड रहना जरूरी है। कम रिस्क क्षमता के कारण, आप शॉर्ट-टर्म वोलेटिलिटी को बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे।

इसलिए, मौजूदा मार्केट कंडीशन में किसी म्यूच्युअल फंड स्कीम में इन्वेस्ट करने से पहले अपनी रिस्क क्षमता को समझना जरूरी है। आपके लाइफस्टाइल में बदलाव, इनकम पैटर्न, और इसी तरह के अन्य कारणों की वजह से आपकी रिस्क क्षमता बदल सकती है। ऐसी परिस्थिति में पोर्टफोलियो को रिबैलेंस करना जरूरी है। यदि आपकी रिस्क क्षमता कम हो गई हो तो कम रिस्की म्यूच्युअल फंड स्कीम्स में अपने इन्वेस्टमेंट को बढ़ाना और ज्यादा रिस्की स्कीम्स में घटाना बेहतर होता है। लेकिन, मौजूदा परिस्थिति में पूरी तरह रिस्क परहेजी बनने से बचना भी बहुत जरूरी है वरना ऐसी परिस्थिति में बहुत कम NAV पर म्यूच्युअल फंड्स यूनिट्स खरीदने का मौका हाथ से चला जाएगा।

सही एसेट होल्डिंग पीरियड का पता लगाएं

आप सोच रहे होंगे: विभिन्न प्रकार के म्यूच्युअल फंड्स के लिए सही एसेट होल्डिंग पीरियड क्या है? यदि आप बहुत कम समय, जैसे, नौ महीने के लिए इन्वेस्ट करना चाहते हैं तो आपको ऐसे म्यूच्युअल फंड स्कीम्स में इन्वेस्ट करना चाहिए जो कम रिस्की, और वोलेटिलिटी की समस्या से मुक्त हो, जैसे एक लिक्विड फंड या एक अल्ट्रा-शॉर्ट-टर्म फंड। मीडियम-टर्म इन्वेस्टमेंट होराइजन, यानी, एक से तीन साल के लिए, आप शॉर्ट-टर्म डेब्ट फंड्स में इन्वेस्ट कर सकते हैं। लॉन्ग-टर्म, जैसे, तीन साल से ज्यादा समय के लिए, आप इक्विटी म्यूच्युअल फंड्स में इन्वेस्ट कर सकते हैं।

यदि आप रिस्क को कंट्रोल में रखते हुए लम्बे समय में ज्यादा रिटर्न पाना चाहते हैं तो लम्प सम इन्वेस्टमेंट की जगह सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान के माध्यम से इन्वेस्ट करना बेहतर होगा। लेकिन, यदि आप मौजूदा मार्केट कंडीशन में लम्प सम इन्वेस्टमेंट करना चाहते हैं तो कम रिस्क लेकर अच्छा रिटर्न पाने के लिए आप टॉप-रेटेड डेब्ट फंड्स में भी इन्वेस्ट कर सकते हैं।

सारा पैसा एक ही स्कीम में इन्वेस्ट न करें

मौजूदा मार्केट कंडीशन में, अपने इन्वेस्टमेंट को अलग-अलग एसेट क्लास में, और एक एसेट क्लास के भीतर अलग-अलग कंपनियों में अच्छी तरह डाइवर्सिफाई करना भी जरूरी है। जैसे, यदि आप लार्ज-कैप इक्विटी फंड्स में इन्वेस्ट करना चाहते हैं तो अपने इन्वेस्टमेंट को एक ही स्कीम केटेगरी में अलग-अलग कंपनियों में मल्टीपल फंड्स में बाँट दें। इसके अलावा, अपनी रिस्क क्षमता, रिटर्न सम्बन्धी जरूरत, और उम्र के आधार पर, अपने पोर्टफोलियो में इक्विटी और डेब्ट स्कीम्स का अच्छा बैलेंस बनाकर रखने की कोशिश करें।

अपनी पैसे की जरूरत को समझें

पर्याप्त कैश रिजर्व रखना बहुत जरूरी है, ख़ास तौर पर ऐसे अनिश्चित समय में। इसलिए, म्यूच्युअल फंड्स में इन्वेस्ट करते समय, आपको अपने इन्वेस्टमेंट का एक पर्याप्त हिस्सा ऐसी स्कीम्स में इन्वेस्ट करना चाहिए जहाँ से जल्दी से पैसा निकाला जा सके। अचानक पैसे की जरूरत पड़ने पर इससे काफी मदद मिलेगी। इसलिए, जिस पैसे की अचानक जरूरत पड़ सकती है उस पैसे को लॉन्ग-टर्म स्कीम्स में इन्वेस्ट न करें।

फंड रेटिंग्स पर गौर करें

किसी भी म्यूच्युअल फंड स्कीम में इन्वेस्ट करने से पहले यह जरूर देख लें कि CRISIL, ICRA, जैसी रेटिंग एजेंसियों ने उसे कैसी रेटिंग दी है। मौजूदा परिस्थिति में कम रेटिंग वाले म्यूच्युअल फंड्स में इन्वेस्ट करने से बचना चाहिए। इसके अलावा, सिर्फ रेटिंग के आधार पर म्यूच्युअल फंड स्कीम का चुनाव नहीं करना चाहिए; आपको फंड पोर्टफोलियो, जैसे अन्य मापदंडों पर भी गौर करना चाहिए। जैसे, एक डेब्ट फंड के पोर्टफोलियो में एसेट्स की क्रेडिट रेटिंग और उसके पोर्टफोलियो कंसंट्रेशन की जांच करें। यह पर्याप्त रूप से डाइवर्सिफाइड होना चाहिए। मौजूदा परिस्थिति में किसी म्यूच्युअल फंड का चुनाव करते समय फंड मैनेजर के ट्रैक रिकॉर्ड, रेपुटेशन, एक्सपेंस रेशियो जैसी बातों पर भी ध्यान देना चाहिए।

(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: यह जानकारी एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर दी जा रही है। बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं, इसलिए निवेश के पहले अपने स्तर पर सलाह लें।) ( ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)

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