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बड़ी कार्रवाई: NSE की पूर्व सीईओ के परिसरों पर आयकर विभाग के छापे, जानें क्या है मामला

Updated Feb 17, 2022 | 17:01 IST

SEBI ने चित्रा रामकृष्ण और अन्य पर सुब्रमण्यम की मुख्य रणनीतिक सलाहकार के तौर पर नियुक्ति और फिर समूह परिचालन अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक के सलाहकार के तौर पर उनकी पुन: नियुक्ति में नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया था।

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बड़ी कार्रवाई: NSE की पूर्व सीईओ के परिसरों पर आयकर विभाग के छापे, जानें क्या है मामाला
मुख्य बातें
  • NSE की पूर्व प्रमुख के खिलाफ आईटी विभाग ने छापे मारे।
  • कर चोरी के मामले में मुंबई स्थित परिसरों पर विभाग ने छापे मारे।
  • विभाग वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों की जांच कर रहा है।

नई दिल्ली। चीनी दूरसंचार कंपनी हुआवे (Huawei) के कई परिसरों पर छापेमारी के अगले दिन आयकर विभाग (Income Tax department) ने गुरुवार को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) चित्रा रामकृष्ण (Chitra Ramakrishna) के आवास पर छापेमारी की। इसके साथ ही एनएसई के पूर्व मुख्य परिचालन अधिकारी आनंद सुब्रमण्यम (Anand Subramanian) के आवास पर भी तलाशी चल रही है।

कर चोरी के मामले में विभाग ने मारे छापे
आधिकारिक सूत्रों ने जानकारी दी कि आयकर विभाग ने चित्रा रामकृष्ण और आनंद सुब्रमण्यम के खिलाफ कर चोरी के मामले में मुंबई स्थित उनके परिसरों पर छापे मारे। अधिकारियों ने कहा कि इस कार्रवाई का मकसद दोनों लोगों के खिलाफ कर चोरी और वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों की जांच करना तथा साक्ष्य जुटाना है। आयकर विभाग की मुंबई जांच शाखा ने रामकृष्ण और सुब्रमण्यम के परिसरों पर आज तड़के छापे मारे।

सेबी ने लगाया था आरोप
रामकृष्ण उस वक्त सुर्खियों में रही थीं, जब बाजार नियामक सेबी ने हाल में एक आदेश जारी किया था, जिसके मुताबिक एनएसई की पूर्व एमडी एवं सीईओ चित्रा रामकृष्ण ने एक योगी के प्रभाव में आकर आनंद सुब्रमण्यम को एक्सचेंज में समूह परिचालन अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक का सलाहकार नियुक्त किया। 

अप्रैल 2013 से दिसंबर 2016 के बीच NSE की CEO थीं रामकृष्ण 
सेबी ने रामकृष्ण पर तीन करोड़ रुपये, एनएसई और उसके पूर्व प्रबंध निदेशक तथा मुख्य कार्यपालक अधिकारी रवि नारायण और सुब्रमण्यम पर दो-दो करोड़ रुपये तथा मुख्य नियामक अधिकारी वी आर नरसिम्हन पर छह लाख रुपये का जुर्माना लगाया था। सेबी ने अपने आदेश में कहा था कि रामकृष्ण ने योगी के साथ विभागीय खुफिया जानकारियां साझा की थीं, जिनमें एनएसई की आर्थिक और कारोबारी योजनाएं शामिल हैं। रामकृष्ण अप्रैल 2013 से दिसंबर 2016 के बीच एनएसई की एमडी एवं सीईओ थीं।

रामकृष्ण और सुब्रमण्यम को तीन साल की अवधि के लिए किसी भी बाजार ढांचागत संस्थान या सेबी के साथ पंजीकृत किसी भी मध्यस्थ के साथ जुड़ने से निषिद्ध कर दिया गया हैं। जबकि नारायण के लिये यह पाबंदी दो साल के लिये है। सेबी ने एनएसई को रामकृष्ण के अतिरिक्त अवकाश के बदले भुगतान किये गये 1.54 करोड़ रुपये और 2.83 करोड़ रुपये के बोनस (डेफर्ड बोनस) को जब्त करने का भी निर्देश दिया था। इसके साथ ही नियामक ने एनएसई को कोई भी नया उत्पाद पेश करने से छह महीने के लिये रोक दिया है। इस खुलासे के बाद कांग्रेस ने सरकार से एनएसई के कामकाज के तरीके पर श्वेत पत्र लाने की मांग की।
(इनपुट एजेंसी- भाषा)

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