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इस राज्य में बन रही है देश की पहली अंडरवॉटर मेट्रो, जानें कब तक कर पाएंगे सफर

Updated Aug 09, 2022 | 17:32 IST

Kolkata Underwater Metro: अंडरवाटर मेट्रो ट्रेन की शुरुआत लाखों यात्रियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं होगी क्योंकि इससे यात्रा के समय में काफी कमी आने की संभावना है।

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खुशखबरी: देश की पहली अंडरवॉटर मेट्रो से जल्द कर पाएंगे सफर (Pic: iStock)
मुख्य बातें
  • वर्तमान में, कोलकाता में ग्रीन लाइन पूर्वी कोलकाता में सेक्टर V और फूलबगान के बीच 6. 97 किमी की एक छोटी दूरी को कवर करती है।
  • ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर प्रोजेक्ट हुगली नदी के नीचे सेक्टर V से हावड़ा तक की दूरी सिर्फ 27 मिनट में कवर कर लेगी।
  • मेट्रो यात्री पानी के नीचे आधा किलोमीटर की दूरी को एक मिनट से भी कम समय में पार कर लेंगे।

नई दिल्ली। भारतीयों को जल्द ही देश की पहली अंडरवाटर मेट्रो सर्विस में सवारी करने का मौका मिल सकता है। कोलकाता मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (KMRC) ने कहा है कि ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर प्रोजेक्ट (East-West corridor project) अगले साल जून तक पूरा हो सकता है। परियोजना की कुल 16.55 किलोमीटर लंबाई में से, सेक्टर V और सियालदह के बीच 9.30 किलोमीटर लंबाई चालू है। केसीएमआर ने कहा कि शेष 7.25 किमी लंबाई एक साल से भी कम समय के भीतर चालू होने की संभावना है।

अंडरवाटर मेट्रो का रूट (Underwater Metro Route)
समाचार एजेंसी पीटीआई ने कोट किया कि केएमआरसी ने कहा है कि, 'सियालदह से हावड़ा मैदान तक बैलेंस सेक्शन को चालू करने का लक्ष्य जून 2023 है।' अंडरवाटर मेट्रो कोलकाता के रास्ते साल्ट लेक (Salt Lake) को हावड़ा (Howrah) से जोड़ेगी, जो हुगली नदी (Hooghly River) के नीचे 500 मीटर की दूरी पर है। वर्तमान में यह सेक्टर V और सियालदह स्टेशनों के बीच परिचालित है।

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बनाए जाएंगे 4 और अंडरग्राउंड स्टेशन
प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद, एस्प्लेनेड, महाकरण, हावड़ा और हावड़ा मैदान में चार और अंडरग्राउंड स्टेशन जोड़े जाएंगे। केएमआरसी के एक अधिकारी के अनुसार, ईस्ट- वेस्ट मेट्रो लिंक कोलकाता और हावड़ा को जोड़ने के बाद, 2035 तक इसके जरिए 10 लाख यात्रियों द्वारा सफर पूरा करने की संभावना है।

मार्ग के लिए साल 2017 में एक सुरंग का निर्माण Afcons कंपनी द्वारा किया गया था। Afcons के प्रोजेक्ट मैनेजर सत्य नारायण कुंवर ने टीओआई को बताया था कि द रिवर सुरंग, एक इंजीनियरिंग मार्वल, भारत में पहली और दुनिया भर में एक दुर्लभ उद्यम है । ये 67 दिनों में पूरा हो गया था। हालांकि, पानी के अतिप्रवाह की वजह से परियोजना को समय और लागत में वृद्धि का सामना करना पड़ा।

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