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MSP पर अगर कानून बनता है तो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए पैदा हो जाएगा संकट:  अनिल घनवट

Updated Nov 22, 2021 | 21:00 IST

सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त पैनल के सदस्य अनिल घनवट का कहना है कि अगर एमएसपी पर कानून बनता है तो भारतीय अर्थव्यवस्था को संकट का सामना करना पड़ेगा।

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तस्वीर साभार:&nbspANI
MSP पर कानून बना तो अर्थव्यवस्था के लिए पैदा होगा संकट: घनवट
मुख्य बातें
  • सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति के सदस्य एवं शेतकारी संगठन के अध्यक्ष हैं अनिल घनवट
  • अनिल घनवट बोले- MSP हल नहीं, कानून बना तो अर्थव्यवस्था पर आएगा संकट
  • सरकार के कृषि कानूनों को निरस्त करने के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बता चुके हैं घनवट

नई दिल्ली : कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति के सदस्य अनिल घनवट ने कहा है कि फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी के लिए कानून बनाए जाने पर भारतीय अर्थव्यवस्था को संकट का सामना करना पड़ेगा। उनकी टिप्पणी ऐसे समय पर सामने आई है जब तीन कृषि कानूनों को सरकार ने वापस ले लिया है और किसान एमएसपी पर कानून बनाने की मांग पर अड़े हुए हैं।

एमएसपी समाधान 

एएनआई से बात करते हुए अनिल घनवट ने कहा, 'अगर कोई कानून (एमएसपी पर) बनने जा रहा है, तो हम (भारत) एक संकट का सामना करेंगे। कानून के साथ, अगर किसी दिन (खरीद) प्रक्रिया कम हो जाती है, तो कोई भी इसे खरीद के रूप में नहीं खरीद पाएगा। एमएसपी से कम कीमत अवैध होगी और उन्हें (व्यापारी) इसके लिए जेलों में डाल दिया जाएगा।' शेतकारी संगठन के अध्यक्ष अनिल घनवट ने कहा ने कहा कि केंद्र सरकार और किसान नेता दोनों को कृषि आय को बढ़ावा देने के लिए किसी अन्य तरीके के बारे में सोचना चाहिए और एमएसपी पर कानून कोई समाधान नहीं है।

बाजार हो जाएगा बदहाल

घनवट ने कहा, 'यह एक संकट पैदा होने जा रहा है क्योंकि न केवल व्यापारियों को बल्कि स्टॉकिस्टों और इससे जुड़े सभी लोगों को भी नुकसान होगा। यहां तक ​​​​कि कमोडिटी बाजार भी परेशान होगा और यह बदहाल हो जाएगा। हम एमएसपी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन खुली खरीद एक समस्या है। हमें बफर स्टॉक के लिए 41 लाख टन अनाज की आवश्यकता है लेकिन 110 लाख टन की खरीद की है। यदि एमएसपी कानून बनता है, तो सभी किसान अपनी फसलों के लिए एमएसपी की मांग करेंगे और कोई भी इससे कुछ भी कमाने की स्थिति में नहीं होगा।' 

सरकार का निरस्त करना अच्छा कदम नहीं

घनवट ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के कदम को 'दुर्भाग्यपूर्ण' करार दिया। उन्होंने कहा, 'किसान पिछले 40 सालों से सुधार की मांग कर रहे थे। यह अच्छा कदम नहीं है। कृषि की मौजूदा व्यवस्था पर्याप्त नहीं है। यहां तक ​​​​कि अगर पेश किए गए नए कानून बहुत सही नहीं थे, तो कुछ खामियां थीं जिन्हें ठीक करने की आवश्यकता थी। मुझे लगता है कि इस सरकार में कृषि में सुधार करने की इच्छा थी क्योंकि पहले की सरकारों में राजनीतिक इच्छाशक्ति नहीं थी। मुझे उम्मीद है कि एक और समिति सभी राज्यों के विपक्षी नेताओं और कृषि नेताओं को मिलाकर बनाई जाएगी और फिर संसद में नए कृषि कानूनों पर चर्चा की जाएगी और इसे पेश किया जाना चाहिए।'

घनवट का सुझाव

घनवट ने कहा, 'तो शायद उन्होंने (सरकार) सोचा होगा कि अगर स्थिति ऐसे ही बनी रही, तो आगामी उत्तर प्रदेश चुनाव उनके लिए आसान नहीं होगा और उन्हें नुकसान हो सकता है। इसलिए नुकसान से बचने के लिए उन्होंने यह कदम उठाया होगा।' घनवट ने यह भी सुझाव दिया कि किसानों को अपनी उपज में विविधता लानी चाहिए और उच्च मूल्य वाली फसलों के लिए जाना चाहिए जिससे उन्हें अधिक लाभ मिले।

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