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चीन की कंपनी का ठेका रद्द करेगा भारतीय रेलवे, ये है वजह

Updated Jun 19, 2020 | 12:14 IST

भारतीय रेलवे ने चीनी कंपनी का ठेका रद्द करने का फैसला लिया है। कानपुर और मुगलसराय के बीच 417 किलोमीटर के बीच काम को लेकर कैंसिल करने का फैसला लिया है।

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चीन की कंपनी का ठेका रद्द करेगा भारतीय रेलवे
मुख्य बातें
  • भारतीय रेलवे ने चीन की एक कंपनी पर कार्रवाई करने का फैसला लिया है
  • भारतीय रेलवे ठेका रद्द करेगा
  • कंपनी ने समय पर काम पूरा नहीं किया है

नई दिल्ली: रेलवे ने कानपुर और मुगलसराय के बीच 417 किलोमीटर लंबे खंड पर सिग्नल व दूरसंचार के काम में धीमी प्रगति के कारण चीन की एक कंपनी का ठेका रद्द करने का फैसला लिया है। मालगाड़ियों की आवाजाही के लिए समर्पित इस खंड ‘ईस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर’ के सिग्नल व दूरसंचार का काम रेलवे ने 2016 में चीन की कंपनी बीजिंग नेशनल रेलवे रिसर्च एंड डिजायन इंस्टिट्यूट ऑफ सिग्नल एंड कम्युनिकेशन ग्रुप को दिया था। यह ठेका 471 करोड़ रुपए का है। रेलवे ने यह कदम ऐसे समय उठाया है, जब सोमवार की रात पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीन के सैनिकों के साथ भयंकर टकराव में एक कर्नल सहित भारतीय सेना के 20 जवानों की मौत हो गयी। यह दोनों देशों के बीच पिछले पांच दशक का सबसे बड़ा सैन्य टकराव है।

हालांकि, अधिकारियों ने कहा कि खराब प्रदर्शन और समय पर परियोजना को पूरा करने में असमर्थता के कारण अनुबंध को समाप्त करने का कार्यान्वयन एजेंसी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन लिमिटेड ने निर्णय लिया। डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन लिमिटेड ने कहा कि ठेका वापस लिये जाने का दोनों देशों के बीच हुए सैन्य टकराव से कोई संबंध नहीं है। अधिकारियों ने कहा कि कंपनी को 2019 तक काम पूरा कर लेना था, लेकिन अभी तक वह सिर्फ 20 प्रतिशत ही काम कर पायी है।

डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक अनुराग सचान ने कहा कि हम इस साल जनवरी से इस मुद्दे पर विश्व बैंक के साथ चर्चा कर रहे थे, क्योंकि उनकी प्रगति बहुत धीमी थी। हमने अप्रैल में उनसे अनुबंध समाप्त करने के अपने निर्णय के बारे में बताया। हमने अनुबंध को समाप्त करने का फैसला किया है और यदि विश्व बैंक असहमत है, तो हम राशि देने देने के लिये रेलवे से संपर्क करेंगे।

सचान ने कहा कि इस अनुबंध की समाप्ति और सीमा पर क्या हो रहा है, इसके बीच कोई संबंध नहीं है। यह पूरी तरह से संयोग है। उन्होंने कहा कि संबंधित खंड पर 60 प्रतिशत ट्रैक लिंकिंग का काम एक अन्य ठेकेदार द्वारा किया जा रहा है और वह पूरा हो चुका है। 100 प्रतिशत काम पूरा होने में देरी इसलिए हुई क्योंकि चीन की कंपनी ने अपने हिस्से का काम नहीं किया था। उन्होंने कहा कि अगर उन्होंने अपना काम कर दिया होता तो इस वित्त वर्ष तक यह खंड पूरा हो चुका होता।

इस बीच, विश्व बैंक के एक प्रवक्ता ने पीटीआई-भाषा के एक प्रश्न के उत्तर में ईमेल के जरिये कहा कि डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन लिमिटेड ने इस अनुबंध के कार्यान्वयन में देरी के बारे में अप्रैल में विश्व बैंक को बताया था। के संज्ञान में लाया था। विश्व बैंक ने अनुबंध कार्यान्वयन मुद्दों पर अधिक जानकारी मांगी थी। हमें नौ जून 2020 तक अधिकांश सूचनाएं मिल गयी थीं। हम उपलब्ध करायी गयी जानकारियों की समीक्षा कर रहे हैं।

चीन की इंजीनियरिंग कंपनी को सौंपे गये कार्यों में 417 किलोमीटर के खंड के लिये सिग्नलिंग, दूरसंचार और संबंधित कार्यों के डिजाइन, निर्माण, आपूर्ति, परीक्षण और चालू करने का काम शामिल था। अधिकारियों ने कहा कि प्रदर्शन के मुद्दों के अलावा, चीन की कंपनी ने अनुबंध संबंधी शर्त जैसे इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग के लॉजिक डिजाइन के अनुसार तकनीकी दस्तावेज प्रस्तुत करने में अनिच्छा दिखायी थी।

उन्होंने कहा कि परियोजना स्थल पर इंजीनियर या अधिकृत कर्मी नहीं थे, जो एक गंभीर चिंता का विषय था। अधिकारियों ने बताया कि कंपनी स्थानीय एजेंसियों के साथ गठजोड़ करने में विफल रही, जिसने काम की भौतिक प्रगति को नुकसान पहुंचाया। अधिकारियों ने कहा कि हर संभव स्तर पर उनके साथ बार-बार बैठक के बावजूद प्रगति में कोई सुधार नहीं हुआ है।

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