- चीन के बाद भारत चावल उत्पादन में दूसरे स्थान पर है।
- भारत इस खाद्यान्न के वैश्विक व्यापार में 40 फीसदी हिस्सेदारी रखता है।
- कुल चावल उत्पादन में खरीफ सत्र की फसल का करीब 80 फीसदी योगदान होता है।
नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी सरकार ने कुछ ही महीने पहले देश से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। अब हाल ही में सरकार ने रिटेल कीमत को काबू में रखने के लिए और डोमेस्टिक सप्लाई बढ़ाने के इरादे से टूटे चावल के निर्यात (Rice Export Ban) पर प्रतिबंध लगा दिया है। दरअसल सरकार ने खरीफ सत्र में धान की बुवाई के रकबे में गिरावट आने की वजह से चावल का उत्पादन 60 लाख टन से 70 लाख टन कम रहने का अनुमान लगाया है। मालूम हो कि वित्त वर्ष 2021-22 में भारत में रिकॉर्ड 13.029 करोड़ टन का चावल उत्पादन (Rice Production) हुआ था।
यह देश के कुल चावल निर्यात को कितना प्रभावित करेगा?
भारत ने अप्रैल से मार्च 2021-22 में 9.66 अरब डॉलर मूल्य के 21.21 मिलियन टन चावल का रिकॉर्ड निर्यात (Rice Export) किया था। इसमें 3.54 अरब डॉलर का 3.95 मिलियन टन बासमती चावल (जिस पर कोई प्रतिबंध नहीं है) और 6.12 अरब डॉलर मूल्य का 17.26 मिलियन टन गैर-बासमती शिपमेंट शामिल हैं। निर्यात शुल्क से गैर-बासमती चावल का निर्यात 30 लाख टन तक कम हो सकता है। वहीं 20 फीसदी निर्यात शुल्क से निर्यात से प्राप्ति पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
पिछले साल 150 से ज्यादा देशों को एक्सपोर्ट किया गया गैर-बासमती चावल
प्रतिबंध केवल शेष 9.83 मिलियन टन यानी 3.36 अरब डॉलर मूल्य के संबंध में लागू है। इसमें 3.89 मिलियन टन (1.13 अरब डॉलर) टूटे चावल शामिल हैं, जिनका निर्यात प्रतिबंधित कर दिया गया है और 5.94 मिलियन टन नॉन- पारबॉयल्ड गैर-बासमती चावल है, जिनके शिपमेंट पर अब 20 फीसदी शुल्क लगेगा। आसान शब्दों में कहें, तो प्रतिबंध मात्रा के मामले में भारत के चावल निर्यात को आधे से कम और मूल्य के एक तिहाई से ज्यादा को प्रभावित करेगा। साल 2021-22 के दौरान भारत ने विश्व के 150 से अधिक देशों को गैर-बासमती चावल का निर्यात किया।
भारत कहां करता है चावल का निर्यात?
पिछले साल 75 फीसदी से ज्यादा बासमती चावल (Basmati Rice) ईरान और अरब पेनिनसुला देशों को निर्यात हुआ था। यूएस, यूके, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया में 10 फीसदी तक निर्यात हुआ था। गैर-बासमती चावल में, लगभग 55 फीसदी अफ्रीकी देशों में निर्यात हुआ था, जिनमें बेनिन, आइवरी कोस्ट, सेनेगल, टोगो, गिनी, मेडागास्कर, कैमरून, जिबूती, सोमालिया और लाइबेरिया शामिल हैं। अफ्रीका और बांग्लादेश को होने वाले निर्यात में ज्यादातर पारबॉयल्ड चावल होते हैं, जबकि चीन के आयात में मुख्य रूप से टूटे हुए चावल होते हैं, जिन्हें अब प्रतिबंधित कर दिया गया है।