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Kushinagar International Airport: 53 करोड़ बौद्धों के लिए कनेक्टिविटी आसान, लिंग्विस्टिक से लेकर यहां पर बनेंगे रोजगार के मौके

Updated Oct 20, 2021 | 13:32 IST

Kushinagar International Airport Inauguration : दुनिया में बौद्ध धर्म को मानने वाली करीब 53 करोड़ अनुयायी हैं। ऐसे में उनके लिए नए एयरपोर्ट से भगवान गौतम बुद्ध के महापरिनिर्वाण स्थल पहुंचना आसान हो गया है।

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नए एयरपोर्ट से पूर्वांचल में विकास के नए अवसर बनेंगे
मुख्य बातें
  • पर्यटन बढ़ने से थाई,जापानी, वियतनामी, चीनी और अंग्रेजी भाषा जानने वाले लिंग्विस्टिक की मांग बढ़ेगी।
  • एयर टिकटिंग, एयर पोर्ट पर ग्राउंड स्टॉफ, कार्गो, ट्रांसपोर्ट सेवाओं का विस्तार होगा। इसके अलावा रियल एस्टेट इंडस्ट्री को बूस्ट मिलेगा।
  • कुशीनगर, देश के उन 54 जिलों में शामिल हैं, जहां से सबसे ज्यादा रोजगार की तलाश में पलायन होता है।

नई दिल्ली:  प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का उद्घाटन कर दिया है। यह प्रदेश का तीसरा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट है। एयरपोर्ट से जिले को न केवल नया एक्सपोजर मिलेगा बल्कि कारोबार के नए अवसर भी बनेंगे। कुशीनगर भगवान गौतम बुद्ध के महापरिनिर्वाण स्थल होने की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान रखता है। लेकिन विडंबना यह भी है कि यह उत्तर प्रदेश के सबसे पिछड़े जिले में से  एक है। ऐसे में नए एयरपोर्ट के बाद उम्मीद की जा रही है कि वह जिले और आसापास के इलाके लिए गेमचेंजर साबित होगा।

कैसा है नया एयरपोर्ट

एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड से मिली जानकारी के अनुसार कुशीनगर एयर पोर्ट 589 एकड़ में फैसला हुआ है। एक रन वे वाले इस एयरपोर्ट पर एक साथ A-321 साइज के 4 विमान उड़ान भर सकते हैं और 4 लैंड कर सकते हैं। टर्मिनल बिल्डिंग 3600 वर्गमीटर में फैली हुई और एक साथ 300 यात्रियों के प्रबंधन की क्षमता रखता है। एयरपोर्ट को 260 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है।

53 करोड़ बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए आना हुआ आसान

कुशीनगर अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के संचालन से दुनिया भर के करीब 53 करोड़ बौद्ध अनुयायियों के लिए गौतम बुद्ध के महापरिनिर्वाण स्थल पहुंचना आसान होगा। इसके अलावा  रामभर स्तूप, कुशीनगर संग्रहालय, सूर्य मंदिर, निर्वाण स्तूप, मठ कुआर श्राइन, वाट थाई मंदिर, चीनी मंदिर, जापानी मंदिर शामिल हैं। साथ ही यहां से लुंबिनी (भगवान बुद्ध का जन्म स्थान), कपिलवस्तु , सारनाथ, श्रावस्ती,वैशाली जाना आसान हो जाएगा।

लिंग्विस्टिक के लिए बनेंगे मौके

कुशीनगर आने वाले बौद्ध अनुयायी ज्यादातर थाइलैंड, वियतनाम,चीन, जापान, श्रीलंका आदि देशों से होंगे। ऐसे में थाई,जापानी, वियतनामी, चीनी और अंग्रेजी भाषा जानने वाले लिंग्विस्टिक की मांग बढ़ेगी। इसे देखते हुए युवाओं के लिए लिंग्विस्टिक का कैरियर बेहतरीन साबित हो सकता है।  इस अवसर को देखते हुए पर्यटन मंत्रालय 2023 तक 600 लोगों  को प्रशिक्षित करेगा।  

होटल और सर्विस और रियल एस्टेट इंडस्ट्री को बूस्ट

अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट शुरू होने से सबसे बड़ा बूस्ट होटल इंडस्ट्री को मिलने वाला है। इसके जरिए कुशीनगर और आसपास के इलाके में पांच  सितारा होटल से लेकर बजट होटल की मांग बढ़ सकती है। इसके अलावा एविएशन इंडस्ट्री से जुड़ी सेवाओं, जैसे एयर टिकटिंग, एयर पोर्ट पर ग्राउंड स्टॉफ, कार्गो, ट्रांसपोर्ट सेवाओं का भी विस्तार होगा। साथ ही रेस्तरां उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा आसपास इंफ्रास्ट्रक्चर विकास से रियल एस्टेट इंडस्ट्री को भी बूस्ट मिलेगा। हालांकि बड़े शहरों से सीधी रेल कनेक्टिविटी नहीं होना, जिले के विकास में एक बड़ी बाधा है।

अभी कैसा है कुशीनगर

साल 2011 की जनगणना के अनुसार कुशीनगर की करीब 35 लाख आबादी है। जिसमें से 82 फीसदी आबादी हिंदू धर्म मानने वाली है। करीब 0.13 फीसदी लोग बौद्ध धर्म मानने वाले हैं। यहां की 65 फीसदी आबादी साक्षर हैं। और प्रति 1000 पुरूषों पर 961 महिलाएं हैं। 

शहरी विकास मंत्रालय की 2017 की रिपोर्ट के अनुसार कुशीनगर, भारत के  उन 54 जिलों में शामिल हैं, जहां से सबसे ज्यादा रोजगार की तलाश में पलायन होता है। इसके अलावा राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश की सबसे पिछड़ी ग्रामीण आबादी वाले जिले में कुशीनगर का स्थान है। बोर्ड की रैंकिंग में इसका 9 वां स्थान है। यहां पर बच्चो में कुपोषण भी एक समस्या है।

उद्योग

कुशीनगर में सबसे प्रमुख उद्योग शुगर इंडस्ट्री है। जिसके जरिए चीनी के साथ डिस्टलरी और बिजली का उत्पादन किया जाता है। इसके अलावा सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार यहां पर फूड प्रोडक्ट्, रिपेयरिंग एंड सर्विस इंडस्ट्री, लकड़ी से जुड़ी छोटी इकाइयां हैं।  उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट स्कीम के तहत यहां से केले से बने  फाइबर उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है।


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