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Loan moratorium : ब्याज पर ब्याज मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को दिया 1 हफ्ते का वक्त

Updated Oct 05, 2020 | 16:14 IST

कोरोना वायरस महामारी की वजह से दिए गए लोन मोरेटोरियम के दौरान ईएमआई में ब्याज पर ब्याज में छूट को लेकर सुप्रीम कोर्ट में फिर सुनवाई हुई। 

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लोन मोरेटोरियम पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने मोरेटोरियम के दौरान स्थगित ईएमआई में ब्याज पर ब्याज में छूट को लेकर सोमवार (05 अक्टूबर 2020) को फिर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को एक हफ्ते का वक्त दिया और यह बताने के कहा कि ब्याज माफी कैसे लागू करेंगे यह जानकारी दें।  कोर्ट ने कहा कि 12 अक्टूबर तक सभी हलफनामा दाखिल करें। अगली सुनवाई 13 अक्टूबर को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में आरबीआई को भी व्यापक उत्तर को दायर करने के लिए एक हफ्ते का समय दिया है। जस्टिस अशोक भूषण का कहना है कि सरकार के हलफनामे में कई मुद्दों पर बात नहीं हुई है या उनका उल्लेख नहीं किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को 1 अक्टूबर तक हलफनामा देने का समय दिया। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बैंकों से अभी एनपीए घोषित नहीं करने को कहा था। जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की 3-जजों की बेंच ने कोविड 19 महामारी के कारण लाई गई 6 महीने की मोहलत के दौरान लोन पर ब्याज वसूलने से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई की। 

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और आरबीआई द्वारा दायर की गई प्रतिक्रिया पर असंतोष व्यक्त किया, क्योंकि उन्होंने जबाव में कामत समिति की सिफारिश और उस पर कार्रवाई को शामिल नहीं किया था। कोर्ट ने कामत समिति की सिफारिशों पर केंद्र से 'स्पेशिफिक' जबाव मांगा है। जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली बैंच ने अब केंद्र को कामत समिति की सिफारिशों के कार्यान्वयन को स्पष्ट करने के मामले में एक अतिरिक्त हलफनामा दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है। पीठ ने कहा है कि कामत समिति की सिफारिशें का पालन भी पहले भी नहीं किया गया है। बैंच ने कहा कि इसे हमारे सामने क्यों नहीं रखा गया?

आरबीआई का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता वी.वी. गिरि ने कहा कि निर्णय उच्चतम स्तर पर लिए गए हैं और सरकार ने छोटे उधारकर्ताओं को हैंड-होल्डिंग का आश्वासन दिया है। कोईट ने जोर दिया कि आरबीआई को उन सिफारिशों को सार्वजनिक करना चाहिए जिन्हें स्वीकार किया गया है। बैंच ने मामले में अगली सुनवाई के लिए 13 अक्टूबर की तारीख दी है।

केंद्र ने एक हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि उसने 6 महीने की मोहलत के दौरान 2 करोड़ रुपए तक के कर्ज पर 'ब्याज पर ब्याज' माफ करने का फैसला लिया है। हलफनामे में कहा गया है कि एकमात्र समाधान यही है कि सरकार को चक्रवृद्धि ब्याज की छूट से होने वाले नुकसान का बोझ उठाना चाहिए।

केंद्र ने कहा कि सावधानी से विचार करने और सभी संभावित विकल्पों को तौलने के बाद, भारत ने छोटे उधारकर्ताओं के लिए हैंड-होल्डिंग की परंपरा को जारी रखने का फैसला किया है। गौर हो कि 2 करोड़ रुपए तक के लोन की श्रेणियों में एमएसएमई लोन, शिक्षा लोन, आवास लोन, उपभोक्ता टिकाऊ लोन, क्रेडिट कार्ड बकाया, ऑटो लोन, पेशेवर और व्यक्तिगत लोन शामिल हैं।

 

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