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Investment in Mutual Funds : म्यूचुअल फंड्स में निवेश कर रहे हैं? जानें सही फंड चुनने का तरीका

Updated May 19, 2021 | 20:06 IST

किसी म्यूचुअल फंड को सेलेक्ट करते समय आपके वित्तीय लक्ष्य मायने रखते हैं। इसलिए, सबसे पहले अपने वित्तीय लक्ष्यों की पहचान करें। आपके वित्तीय लक्ष्य या तो शॉर्ट टर्म, मीडियम टर्म या लांग-टर्म हो सकते हैं।

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म्यूचुअल फंड में निवेश का तरीका

म्यूचुअल फंड्स आपकी मेहनत से की हुई कमाई को बढ़ाने का बहुत ही शानदार तरीका है। मार्केट में बहुत सी म्यूचुअल फंड स्कीम उपलब्ध हैं। आपके म्यूचुअल फंड निवेश में से सबसे अच्छा रिटर्न पाने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि सही प्रोडक्ट को चुना जाए। प्रत्येक म्यूचुअल फंड स्कीम को निवेशकों के अलग-अलग वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए तय किया जाता है। इस लेख में, हम उन कुछ बातों पर विचार करेंगे जिससे सही म्यूचुअल फंड को चुनने में आपको मदद मिल सकती है।

निवेश करने से पहले अपने लक्ष्यों पर विचार करें

किसी म्यूचुअल फंड को सेलेक्ट करते समय आपके वित्तीय लक्ष्य मायने रखते हैं। इसलिए, सबसे पहले अपने वित्तीय लक्ष्यों की पहचान करें। आपके वित्तीय लक्ष्य या तो शॉर्ट टर्म, मीडियम टर्म या लांग-टर्म हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आप होम लोन की डाउन पेमेंट के लिए या फिर किसी दूसरे लांग-टर्म वित्तीय लक्ष्यों के लिए फंड इकठ्ठा करना चाहते हैं, तो आप ईक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। शॉर्ट टर्म वित्तीय लक्ष्यों के लिए, आप लिक्विड फंड या अल्ट्रा- शॉर्ट-टर्म फंड को चुन सकते हैं। मीडियम-टर्म लक्ष्यों के लिए, जैसे एक से तीन वर्ष के निवेश टाइमलाइन के लिए, आप जोखिम का गहन आकलन करने के बाद, शॉर्ट टर्म डेट फंड्स को चुन सकते हैं। इसलिए, म्यूचुअल फंड को चुनते समय अपने वित्तीय लक्ष्यों और टाइमलाइन पर विचार करें। अलग-अलग लक्ष्यों के लिए, विभिन्न अंडरलाईंग एस्सेट क्लासेज़ (जैसे ईक्विटी, डेट, गोल्ड आदि) और एक ही एस्टेट क्लाज में प्रोडक्ट्स में एक से अधिक टाइप के म्यूचल फंड में निवेश करके आप अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई कर सकते हैं। म्यूचल फंड को चुनते समय, टाइम हॉराइजन पर भी विचार करें। हॉराइज़न, वह अवधि है जिसके लिए आप म्यूचल फंड में अपना निवेश बनाए रखना चाहते हैं।

जोखिम उठाने की अपनी क्षमता का आकलन करें

म्यूचुअल फंड को चुनते समय, अपने आप से अपनी जोखिम को सहन करने की अपनी क्षमता के बारे में पूछें। जोखिम उठाने की अपनी क्षमता की पहचान करने से आपको अपनी पसंद को स्ट्रीमलाइन करने में मदद मिलेगी। क्योंकि अलग-अलग प्रकार की ज़रूरतों के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार के फंड्स हैं, और उन सभी में निम्न से उच्च जोखिम शामिल हैं। उदाहरण के लिए, लिक्विड फंड्स के साथ कम जोखिम जुड़े रहते हैं। जोखिम और रिटर्न एक दूसरे से सीधे तौर पर प्रोपोर्शनल होते हैं। इसलिए, निम्न जोखिम का अर्थ है, कम रिटर्न होता है, और इसके उलट भी सच होता है।

म्यूचुअल फंड का परफार्मेंस

आप चुने गए म्यूचल फंड का आकलन इसके पिछले परफार्मेंस के आधार पर कर सकते हैं। आपके लिए इस काम को आसान बनाने के लिए, विभिन्न रेटिंग एजेन्सियां जैसे CRISIL, ICRA आदि द्वारा म्यूचल फंड्स की रेटिंग की जाती है। आपको हमेशा टॉप रेटिंग वाले म्यूचल फंड को ही चुनना चाहिए। लेकिन, रेटिंग के अलावा, दूसरे महत्वपूर्ण फैक्टर्स की भी जांच कर लें जैसे फंड हाउस की रेपुटेशन, अंडरलाईंग एस्सेट्स, खर्चे का अनुपात आदि। साथ ही, यह बात भी ध्यान में रखें कि भावी रिटर्न के लिए पिछला परफार्मेंस कोई गारंटी नहीं होता है।

खर्च का अनुपात

खर्च का अनुपात वह राशि है जिसे फंड हाउस द्वारा किसी भी म्यूचुअल फंड स्कीम को मैनेज करने के की गई विभिन्न लागतों को निवेशकों से चार्ज किया जाता है। आमतौर पर यह, रिटर्न का प्रतिशत होता है। इसलिए, किसी फंड को चुनते समय, आपके लिए उस वैरिएंट को चुनना बेहतर होगा जिसमें कम खर्च को चार्ज किया जाता है, ताकि आप निवेश लाभ को अधिक से अधिक कर सकें।

टैक्स इम्प्लिकेशन

निवेश रिटर्न की गणना हमेशा टैक्स लाएबिलिटी के संदर्भ में की जानी चाहिए। टैक्स रेट, म्यूचल फंड की श्रेणी और निवेश अवधि पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, किसी ईक्विटी म्यूचल फंड में एक वर्ष से अधिक के लिए किए गए निवेश को लांग-टर्म माना जाता है। ईक्विटी म्यूचल फंड में शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स (एसटीसीजी) पर 15% की दर से टैक्स लगाया जाता है। लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (एलटीसीजी) के लिए किसी एक वित्तीय वर्ष में 1 लाख रुपए की राशि की छूट दी जाती है और 1 लाख रूपये से अधिक के रिटर्न के लिए 10% की दर से टैक्स लगाया जाता है। डेट फंड्स के लिए, एसटीसीजी के लिए टैक्स रेट निवेशक पर लागू होने वाले स्लैब रेट से लगाया जाता है और इन्डेक्सेशन लाभ के साथ एलटीसीजी पर 20% की दर से कर लगाया जाता है।

निष्कर्ष

म्यूचुअल फंड में सफलतापूर्वक निवेश की कुंजी ऑप्टिमल डायवर्सिफिकेशन और स्टेग्गर्ड निवेश करने से जुड़ी है ताकि निवेश से जुड़े जोखिम को प्रभावी रूप से मैनेज किया जा सके और वांछित रिटर्न प्राप्त किए जा सकें। किसी सिंगल एस्सेट क्लास में इसलिए निवेश न करें क्योंकि इसका परफार्मेंस अच्छा है। आपको अपने निवेश को डायवर्सीफाई करना चाहिए ताकि इससे आपको अपने शॉर्ट टर्म से लांग टर्म वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिल सके।

(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: यह जानकारी एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर दी जा रही है। बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं, इसलिए निवेश के पहले अपने स्तर पर सलाह लें।) ( ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)

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