नई दिल्ली। कुछ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स में कहा जा रहा है कि 18 जुलाई 2022 से धार्मिक या धर्मार्थ ट्रस्टों (Religious/ Charitable Trusts) द्वारा संचालित सरायों पर भी माल एवं सेवा कर (GST) वसूला जा रहा है। लेकिन वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि यह खबर झूठी है। मंत्रालय ने कहा है कि धार्मिक और परमार्थ संस्थानों द्वारा संचालित सरायों के कमरे के किराए पर कोई जीएसीटी नहीं लगेगा।
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने ट्वीट कर कमरों के किराए पर जीएसटी को लेकर भ्रम दूर करने के लिए स्पष्टीकरण जारी किया था। वित्त मंत्रालय का स्पष्टीकरण आम आदमी पार्ट (AAP) के सांसद राघव चड्ढा समेत कई तबकों की मांग के बाद आया। मांग की जा रही थी कि धार्मिक संस्थानों के कमरों के किराए पर जीएसटी को वापस लिया जाए।
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क्या है पूरा मामला?
मामले में गुरुवार को चड्ढा ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) से मुलाकात की थी और मांग की थी कि अमृतसर में गोल्डन टेंपल के पास स्थित धार्मिक परिसरों के सरायों पर 12 फीसदी कर लगाने के निर्णय को वापस लिया जाए। दरअसल इस साल जून में जीएसटी परिषद (GST Council) ने फैसला लिया था कि रोजाना 1000 रुपये से कम कीमत वाले होटल के कमरों पर 12 फीसदी की दर कर टैक्स लगेगा।
इसके बाद शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) द्वारा संचालित कुछ सरायों ने एक हजार रुपये से कम किराए वाले कमरों के लिए जीएसटी जुटाना शुरू किया था। लेकिन अब सीबीआईसी ने कई ट्वीट कर कहा है कि धार्मिक और परमार्थ संस्थानों द्वारा संचालित सरायों के कमरे के किराए पर माल एवं सेवा कर लागू नहीं है।
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