Petroleum Ministe Hardeep Singh Puri on Petrol Price Hike: भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों के साथ ही सीएनजी, पीएनजी की कीमतों में रोज ही इजाफा हो रहा है और आम आदमी इससे हलकान है क्योंकि इसका सीधा असर उसकी पॉकेट पर पड़ रहा है।
वहीं इस सबके बीच केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मिनिस्टर हरदीप सिंह पुरी ने मंगलवार को संसद में पेट्रोल-डीजल की कीमत पर बात करते हुए ग्लोबल लेबल पर पेट्रो पदार्थों की कीमतों में हो रहे इजाफे को उदाहरण के रूप में पेश करते हुए कहा कि भारत में तो बहुत कम प्रतिशत में बढ़ोत्तरी हुई है।
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हरदीप पुरी ने कहा कि भारत में ईंधन की कीमतों में बढ़ोतरी अन्य देशों में कीमतों में बढ़ोतरी का 1/10वां हिस्सा ( 1/10th of prices hiked in other countries) है। अप्रैल 2021 और 22 मार्च के बीच गैसोलीन (पेट्रोल) की कीमतों की तुलना में, अमेरिका में कीमतों में 51%, कनाडा में 52%, जर्मनी में 55%, यूके में 55%, फ्रांस में 50%, स्पेन में 58% लेकिन भारत में 5% की वृद्धि हुई है
ये पहली बार नहीं है इससे पहले 14 मार्च को भी हरदीप पुरी ने कहा था कि 'मेरे पास USA,कनाडा, जर्मनी, यूके, फ्रांस, स्पेन, श्रीलंका और भारत का डेटा है। उन सभी देशों में हाल के दिनों में पेट्रोल की कीमत में 50%, 55%, 58%, 55% की वृद्धि हुई है। वहीं भारत में यह केवल 5% बढ़ा है।'
Pterol की कीमत अब तक 8 रुपए से अधिक बढ़ चुकी है
5 अप्रैल 2022 को पेट्रोल-डीजल की कीमतों की बात करें तो पेट्रोल और डीजल की कीमतों में आज 15वें दिन भी इजाफा हुआ। 22 मार्च से कीमतों में बढ़ोतरी का जो दौर शुरू हुआ उसमें सिर्फ एक दिन राहत मिली। करीब 80 पैसे की बढ़ोतरी के साथ पेट्रोल की कीमत अब तक आठ रुपए से अधिक बढ़ चुकी है। अगर बात दिल्ली की करें तो यहां पर पेट्रोल और डीजल की कीमत आज क्रमश: 104.61 रुपये प्रति लीटर और 95.87 रुपये प्रति लीटर (80 पैसे की वृद्धि) है। मुंबई में, पेट्रोल और डीजल की कीमत प्रति लीटर 119.67 रुपये (84 पैसे की वृद्धि) और 103.92 रुपये (85 पैसे की वृद्धि) है।
पिछले वर्ष नवंबर में की थी कटौती
केंद्र सरकार ने नवंबर 2021 में पेट्रोल और डीजल के दाम पर लगाने के लिये एक्साइज ड्यूटी में कटौती की थी, जिसके बाद से इनके दाम स्थिर थे। हालांकि ,रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध ने स्थिति बदल दी और कच्चे तेल की कीमतों में तूफानी तेजी आ गयी। भारत कच्चे तेल का बहुत बड़ा आयातक है और ऐसे में वैश्विक बाजार की उथलपुथल का घरेलू बाजार पर खासा प्रभाव होता है।