- ब्याज आय जीएसटी रजिस्ट्रेशन सीमा के आकलन में शामिल की जाएगी?
- एक व्यक्ति ने एएआर की गुजरात पीठ के समक्ष आवेदन देकर यह जानना चाहा था
- प्राधिकरण ने कहा कि टैक्स योग्य आपूर्ति और छूट वाली सेवा आपूर्ति दोनों के मूल्य को विचार करने की जरूरत है
नई दिल्ली : एडवांस रूलिंग अथॉरिटी (एएआर) ने कहा है कि जीएसटी रजिस्ट्रेशन के लिए सीमा का आकलन करते समय पीपीएफ (लोक भविष्य निधि), बचत बैंक खाते तथा परिवार/दोस्तों को दिए गए कर्ज पर मिलने वाले ब्याज को टैक्स योग्य आपूर्ति में शामिल किया जाएगा। माल एवं सेवा कर (जीएसटी) कानून के तहत 20 लाख या उससे अधिक के सकल कारोबार वाली कंपनियों और व्यक्तियों को जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराने की आवश्कता होती है।
किसी भी कारोबार से नहीं जुड़े एक व्यक्ति ने एएआर की गुजरात पीठ के समक्ष आवेदन देकर यह जानना चाहा था कि क्या बचत बैंक खाता, पीपीएफ और परिवार के सदस्यों को दिए गए कर्ज पर मिलने वाले ब्याज पर जीएसटी कानून के तहत रजिस्ट्रेशन के लिए 20 लाख रुपए की सीमा के आकलन के मकसद से विचार किया जाना चाहिए? व्यक्ति ने अपने आवेदन में कहा था कि 2018-19 में उसकी कुल प्राप्ति करीब 20.12 लाख थी। इसमें 9.84 लाख रुपए किराया जबकि शेष बैंक जमा, पीपीएफ जमा और दोस्तों तथा परिवार के सदस्यों को दिए गए कर्ज पर ब्याज से प्राप्त हुई।
एएआर ने व्यवस्था देते हुए कहा कि ब्याज आय जीएसटी रजिस्ट्रेशन सीमा के आकलन में शामिल की जाएगी। प्राधिकरण ने कहा कि आवेदनकर्ता को जीएसटी के तहत रजिस्ट्रेशन के लिए सीमा के निर्धारण को लेकर सकल कारोबार की गणना करनी होगी। इसके लिए टैक्स योग्य आपूर्ति और छूट वाली सेवा आपूर्ति दोनों के मूल्य को विचार करने की जरूरत है। टैक्स योग्य आपूर्ति का मूल्य यानी अचल संपत्ति का किराया तथा जमा, कर्ज पर ब्याज से प्राप्त आय छूट की श्रेणी में आने वाली सेवा आपूर्ति हैं।
एएआर ने कहा कि आवेदनकर्ता को जीएसटी कानून के तहत रजिस्ट्रेशन को लेकर 20 लाख रुपए की सीमा का आकलन करने के लिए छ्रट वाली ब्याज आय यानी पीपीएफ और बैंक बचत खाते तथा परिवार के सदस्यों/दोस्तों को दिए गए कर्ज पर मिलने पर ब्याज के मूल्य को टैक्स योग्य आपूर्ति यानी अचल संपत्ति के किराए के साथ जोड़ना होगा।
एएमआरजी एंड एसोसएिट्स के वरिष्ठ भागीदार रजत मोहन ने कहा कि इस व्यवस्था से सेवानिवृत लोगों तथा अन्य को जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराने की जरूरत पड़ सकती है। उन्होंने कहा कि प्राधिकरण व्यक्तिगत तौर पर और व्यापार के जरिए कमाई के बीच अंतर करने में विफल रहा।