- रेलवे वायरस से बचने के लिए सस्ता मास्क का भी निर्माण कर रहा है
- यह मास्क बाजार मूल्य 7.50 रुपए के मुकाबले 5.94 रुपए में आता है
- रेलवे स्पेशल ड्रेस और सेनेटाइटर का भी उत्पादन कर रहा है
नई दिल्ली : कोरोना वायरस महामारी के खिलाफ लड़ाई में पूरा देश एक जुट हो गया है। केंद सरकार, राज्य सरकारें देश की सारी संस्थाएं एक साथ मिलकर इसे वायरस को खत्म करने में डटे हुए हैं। भारतीय रेलवे भी लॉकडाउन के बावजदू अपना योगदान दे रहा है। जरूरी चीजों और दवाइयों की ढुलाई तो पूरे देश में कर ही रहा है। इस बाद वह लोगों के इस वायरस से बचने के लिए सस्ता मास्क का भी निर्माण कर रहा है। ऐसा मास्क बना रहा है जिसे साबुन पानी से धोकर भी इस्तेमाल कर रहे हैं।
यह सस्ता मास्क कर्मचारियों की वर्दी वाले कपड़े से बना है और इसे धोया भी जा सकता है। यह मास्क नारंगी रंग में भी उपलब्ध हैं। रेलवे पटरियों का रखरखाव करने वाले कर्मचारी (ट्रैकमैन) ड्यूटी पर इसी रंग के कपड़े पहनते हैं। इसकी खूबी है कि इसका इस्तेमाल कई बार किया जा सकता है जबकि अन्य साधारण मास्क को हर उपयोग के बाद हटाना पड़ता है जिससे वह महंगा साबित होता है।
कर्मचारियों की वर्दी वाले बचे हुए कपड़े से बने हैं मास्क
उत्तर रेलवे के चीफ मेकेनिकल इंजीनियर अरुण अरोड़ा ने कहा कि ये मास्क अब इतने हिट हैं कि कुछ आरडब्ल्यूए ने उनमें रुचि दिखाई है और आदेश दे रहे हैं। वे हमारे कर्मचारियों के लिए वर्दी वाले बचे हुए कपड़े से बने हैं जिनका उपयोग नहीं हो पाता। जो अप्रयुक्त रह गए हैं। हमें एक आरडब्ल्यूए से आदेश मिले हैं और हम उन्हें आपूर्ति करेंगे।
स्पेशल ड्रेस और सेनेटाइटर भी बना रहा है रेलवे
रेलवे सिर्फ मास्क ही नहीं बना रहा बल्कि वह स्पेशल ड्रेस (कवरऑल) और सेनेटाइटर का भी उत्पादन कर रहा है। रेलवे का कवरऑल जहां 447 रुपए में आता है, वहीं बाजार में इस तरक के ड्रेस 808 रुपए में मिलते हैं। इसी तरह रेलवे ने 119 रुपए प्रति लीटर की दर से सेनेटाइजर का उत्पादन किया है, जबकि खुले बाजार में इसकी कीमत 468 रुपए है।
मास्क की कीमत 5.94 रुपए
सरकार ने सार्वजनिक स्थानों और कार्यस्थलों पर मास्क लगाना अनिवार्य कर दिया है। बाजार मूल्य 7.50 रुपए के मुकाबले यह मास्क 5.94 रुपए में आता है और यह आने वाले दिनों में मास्क की बढ़ती मांग को पूरा कर सकता है।
डिस्पोजेबल मास्क भी बनाए
उत्तर रेलवे की जगाधरी कार्यशाला ने वास्तव में रेलवे के मेडिकल कर्मचारियों के लिए भी डिस्पोजेबल मास्क बनाए हैं, जिसके लिए अलग से कपड़ा खरीदा जा रहा है। इन मास्क का उपयोग उत्तर रेलवे के पांच डिविजनों के अलावा कई अन्य स्थानों पर भी किया जा रहा है। अरोड़ा ने कहा कि हम चाहते हैं कि लोग जानें कि हम ये मास्क बना रहे हैं, जो उपलब्ध हैं और जरूरत पड़ने पर हम उत्पादन में तेजी लाएंगे।