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आरबीआई की घोषणाएं: जानिए 6 जरूरी बातें, कई समस्याओं का मिलेगा हल

Updated Feb 06, 2021 | 08:22 IST

भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने बैठक में नीतिगत ब्याज दरों में कोई भी परिवर्तन न करने का फैसला लिया। लेकिन कई नए फैसले भी लिए गए।

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तस्वीर साभार:&nbspPTI
आरबीआई की घोषणाएं

जैसी उम्मीद की जा रही थी, वैसे ही भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने अपनी द्विमासिक बैठक में नीतिगत ब्याज दरों में कोई भी परिवर्तन न करने का फैसला लिया। एमपीसी ने सर्वसम्मति से 4% की रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया और रिवर्स रेपो रेट को भी 3.35% पर रखते हुए किसी बदलाव की सिफारिश नहीं की। लेकिन, लोन देने की गतिविधि में सुधार किया जा सके, इसके लिए कुछ घोषणाएं की गईं। चलिए देखते हैं की आरबीआई की इन घोषणाओं का आम आदमी के लिए क्या मायने हैं:-

लेंडिंग रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया

आरबीआई द्वारा रेपो रेट्स समेत महत्वपूर्ण दरों के संबंध में 'स्टेटस' को बनाए रखा है। लेंडिंग रेट पहले ही ऐतिहासिक रूप से सबसे निचले स्तर पर हैं और आरबीआई का लेस्टेस्ट फैसला अप्रैल 2021 में होने वाली अगली बैठक बना रहेगा और किसी बदलाव की घोषणा किए जाने तक यह दरें स्थिर बनी रहेंगी। दरों में कोई बदलाव न किया जाने के चलते होम, पर्सनल और ऑटो लोन लेने वालों के लिए यह मायने हैं कि लेंडिंग दरें कम बनी रहेंगी और वे अपनी बड़ी उम्मीदों जैसे घर खरीदने को पूरा कर सकते है। मौजूदा समय में कम-से-कम 16 लैंडर 7.00% से कम ब्याज दर पर होम लोन दे रहे हैं। पहली बार घर खरीदने वालों के लिए यह एक शानदार समय है कि वे कम लागतों के कारण होम लोन ले सकते हैं। यहां यह बात नोट करनी भी उल्लेखनीय है कि सरकार ने अफार्डेबल घरों के लिए धारा 80 ईईए टैक्स लाभों को इस वर्ष के बजट में भी जारी रखने का निर्णय किया है। ऐसे लोग जिन्होंने पहले से ही होम लोन ले रखा है, उन्हें भी निम्न दरों से लाभ मिल सकता है क्योंकि वे अपने लोन को रिफाइनेंस करवा सकते हैं या अपनी कर्ज के भार को कम करने के लिए प्रीपेमेंट (समयपूर्व भुगतान) कर सकते हैं। आरबीआई की एक अन्य घोषणा जिस पर ध्यान दिया जाना जरूरी है वह यह है कि बैंक द्वारा मई 2022 तक 2 चरणों में कैश रिजर्व रेशियो (आरक्षित नकदी निधि अनुपात) को 3% से 4% में रिवर्स कर दिया जाएगा। सीआरआर केन्द्रीय जमाओं का वह न्यूनतम प्रतिशत है जिसे किसी भी वाणिज्यिक बैंक को केन्द्रीय बैंक के पास जमा रखना पड़ता है। इसके कारण बैंक अपनी लेंडिंग और जमा दरों में परिवर्तन करेंगे। महामारी की स्थिति के कारण सीआरआर नियमों में पिछले वर्ष छूट दी गई थी।

डिजिटल भुगतान सेवाएं

आरबीआई ने डिजिटल भुगतानों को और भी अधिक सुरक्षित रखने के लिए कदम उठाए हैं। केन्द्रीय बैंक की आज की नीति समीक्षा में यह घोषणा की गई कि विभिन्न डिजिटल भुगतान उत्पादों के संबंध में ग्राहकों के प्रश्नों के उत्तर देने के लिए एक 24X7 हेल्पलाइन की स्थापना की जाएगी। यह एक स्वागत योग्य कदम है क्योंकि इससे ग्राहकों को उत्पादों के संबंधित उनके डिजिटल भुगतान प्रश्नों के तत्काल उत्तर मिल जाएंगे। आरबीआई को डिजिटल सिस्टम को अधिक सुविधाजनक और सुरक्षित बनाने पर काफी समय से दबाव का सामना करना पड़ रहा था।

जमा दरें (डिपोजिट रेट्स)

महत्वपूर्ण दरों में कोई भी बदलाव न किए जाने के कारण जमा दरों में भी कोई बदलाव नहीं होगा। मई तक सीआरआर को 4% तक रिवर्स करने के कारण दरों पर थोड़ा प्रभाव पड़ सकता है। लेकिन अभी, जमा पर ब्याज दरें निम्न बनी रहेंगी। क्योंकि ये कई लोगों के लिए विश्वसनीय निवेश विकल्प है, एफडी लैडरिंग के द्वारा बेहतर रिटर्न पाए जा सकते हैं। आप अपनी सावधि जमाओं को अपनी आवश्यकता के अनुसार भिन्न भिन्न दरों वाली विभिन्न अवधियों में बांट सकते हैं, जिससे आपको बेहतर औसत रिटर्न प्राप्त होगा और साथ ही आप अपनी लिक्विडिटी (तरलता) संबंधी आवश्यकताओं का भी बेहतर प्रबंध कर पाएंगे। निजी, सरकारी और छोटे वित्त बैंकों की सावधि दरों की तुलना करें ताकि आप यह जान सकें कि आपके लिए क्या सही रहेगा। जिस वित्तीय संस्थान में आप अपनी पूंजी का निवेश करने जा रहे हैं, उनकी जोखिम संबंधी जांच पड़ताल कर लें।

खुदरा निवेशक गिल्ट खाते खोल सकते हैं

एक अन्य आकर्षक और रूचिकर कदम उठाते हुए आरबीआई ने सीधे केन्द्रीय बैंक से सरकारी सिक्योरीटीज (जी-सेक) में निवेश करने की अनुमति खुदरा निवेशकों को दे दी है। अभी तक, निवेशक जी-सेक को संस्थानों जैसे फंड हाउसेज से ही खरीदते थे। जी-सेक निवेश से संबंधित ब्यौरे को आरबीआई द्वारा बाद में शेयर किया जाएगा। इस लेटेस्ट कदम से खुदरा निवेशकों को प्राइमरी और सेकण्डरी सरकारी सिक्योरीटीज मार्केट दोनों की ऑनलाइन एक्सेस मिल सकेगी और उन्हें आरबीआई के पास अपनी गिल्ट सिक्योरीटीज खातों को खोलने की सुविधा मिल जाएगी।

एकीकृत लोकपाल स्कीम

एक अन्य अहम् कदम को उठाते हुए, आरबीआई ने शिकायत निवारण सिस्टम को मजबूत करने के लिए एकीकृत लोकपाल स्कीम की स्थापना करने की घोषणा की है। वर्तमान में, वैकल्पिक विवाद समाधान फ्रेमवर्क में बैंकों, एनबीएफसी और डिजिटल लेनदेनों के लिए तीन अलग लोकपाल स्कीमें हैं। इस एकीकरण से, खुदरा उपभोक्ताओं को खुदरा बैंकिंग से जुड़ी अधिकांश शिकायतों के समाधान के लिए एक ही सेंट्रलाइज्ड प्वाइंट से संपर्क करना होगा। एक कॉमन लोकपाल स्कीम के होने के मायने ये हैं कि आपको अधिकांश उत्पादों और सेवाओं, जिन्हें बैंक या एनबीएफसी द्वारा उपलब्ध कराया जाता है, उनके बारे में शिकायतें करने के लिए एक ही प्लेटफार्म उपलब्ध होगा। ऐसा करने से, किसी एक या समस्त डिजिटल लेनदेनों के संबंध में, फिर चाहे वे क्रेडिट या डेबिट कार्ड से लेकर मोबाइल या इंटरनेट बैंकिंग, या फिर वॉलेट और यूपीआई लेनदेन ही क्यों न हों, से संबंधित समस्याओं के मामले में शिकायत समाधान के लिए किस से संपर्क किया जाए, यह संशय दूर हो सकेगा।

एनबीएफसी के लिए टीएलटीआरओ ऑन टैप्स

अक्तूबर के दौरान नीति की समीक्षा के दौरान, आरबीआई ने स्ट्रेस सेक्टर्स की फाइनेंसिंग के लिए रेपो रेट पर तीन वर्षीय लोन लेने की अनुमति प्रदान की थी। बैंक द्वारा इस लिक्विडिटी का इस्तेमाल इन सेक्टर्स में निगमित बांड्स, वाणिज्यिक पेपर्स और गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर्स में किया जा सकता है। अब, आरबीआई ने इन सेक्टर्स में क्रेडिट की उपलब्धता को आसान बनाने के लिए टीएलटीआरओ ऑन टैप्स सुविधा को एनबीएफसी को भी उपलब्ध करा दिया है। इसके ऑटो और रियल एस्टेट सेक्टर्स के लिए सकारात्मक प्रभाव होंगे क्योंकि एनबीएफसी द्वारा इन दोनों सेक्टर्स को बहुत अधिक फाइनेंस किया जाता है और अब निवेश करने वाले और साथ ही मैन्यूफेक्चर्स दोनों को ही अधिक क्रेडिट उपलब्ध हो सकेगा।

इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: यह जानकारी एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर दी जा रही है। बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं, इसलिए निवेश के पहले अपने स्तर पर सलाह लें।) ( ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)

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