लाइव टीवी

मुद्रास्फीति की लगातार ऊंची दर है चिंता का कारण: आरबीआई गवर्नर

Updated Jun 23, 2022 | 11:23 IST

मौद्रिक नीति समिति की सदस्य आशिमा गोयल ने कहा कि आगे के निर्णय आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति के परिणामों पर निर्भर करेंगे। एमपीसी की अगली बैठक अब दो से चार अगस्त 2022 के बीच होगी।

Loading ...
कमजोर लोगों के लिए खतरा है वैश्विक मुद्रास्फीति (Pic: iStock)

नई दिल्ली। महंगाई से सिर्फ आम लोग ही परेशान नहीं है, बल्कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास के साथ- साथ मौद्रिक नीति समिति (MPC) के सभी सदस्यों के लिए भी उच्च मुद्रास्फीति पर चिंता का विषय बनी हुई है। केंद्रीय बैंक देश में महंगाई को तय सीमा के भीतर रखने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है। हाल ही में आरबीआई ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक के ब्योरे में इसकी जानकारी दी।

आर्थिक गतिविधियों में पुनरूद्धार जारी
हाल ही में महंगाई को काबू में लाने के लिए आरबीआई ने रेपो रेट में 0.50 फीसदी की वृद्धि की थी। मई में भी रेपो रेट में 0.40 फीसदी की वृद्धि की गई थी। यानी पिछले पांच हफ्तों में यह दूसरी वृद्धि है। तीन दिवसीय बैठक के ब्योरे के अनुसार, गवर्नर ने कहा कि महंगाई की ऊंची दर चिंता का कारण बनी हुई है। लेकिन आर्थिक गतिविधियों में पुनरूद्धार जारी है और इसमें गति आ रही है। मुद्रास्फीति से प्रभावी तरीके से निपटने के लिये यह समय नीतिगत दर में एक और वृद्धि के लिये उपयुक्त है।

दुनिया भर में सबसे कमजोर लोगों के लिए खतरा
दास ने कहा कि रेपो दर में वृद्धि मूल्य स्थिरता के प्रति आरबीआई की प्रतिबद्धता को मजबूत करेगी। केंद्रीय बैंक के लिये प्राथमिक लक्ष्य महंगाई को काबू में रखना है। यह मध्यम अवधि में सतत वृद्धि के लिये एक पूर्व शर्त है। एमपीसी के सदस्य और आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा ने कहा कि वैश्विक मुद्रास्फीति संकट हाल के इतिहास में सबसे गंभीर खाद्य और ऊर्जा संकटों में से एक है जो अब दुनिया भर में सबसे कमजोर लोगों के लिए खतरा है।

क्यों बढ़ी महंगाई?
उन्होंने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच आपूर्ति श्रृंखला में बाधा के कारण मुद्रास्फीति बढ़ी है। आपूर्ति श्रृंखला की स्थिति से निपटने के लिए मौद्रिक नीति का इस्तेमाल किया गया और इससे निपटने का कोई अन्य विकल्प नहीं है। आरबीआई के कार्यकारी निदेशक और समिति के सदस्य राजीव रंजन ने कहा कि लंबे समय तक भू-राजनीतिक संकट और संघर्ष का कोई जल्द समाधान नहीं होने के कारण अनिश्चितताओं के बढ़ने से मुद्रास्फीति बढ़ रही है।

समिति के स्वतंत्र सदस्य शशांक भिड़े ने कहा कि मार्च 2022 के बाद से जो मुद्रास्फीति का दबाव तेज हो गया है, वह वित्त वर्ष 2022-23 में चिंता का विषय बना रहेगा। यह स्थिति तब तक बनी रहेगी, जब तक अंतरराष्ट्रीय आपूर्ति की स्थिति में तेजी से सुधार नहीं होता है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)

Times Now Navbharat पर पढ़ें Business News in Hindi, साथ ही ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें ।