- एमपीसी की बैठक में सभी छह सदस्यों ने आम सहमति से नीतिगत दर बढ़ाने का फैसला लिया।
- उदार रुख को भी कायम रखा गया है।
- मार्च में खुदरा महंगाई 6.9 फीसदी रही।
RBI Governor Statement: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को बड़ा ऐलान किया। महंगाई को नियंत्रित करने के लिए केंद्रीय बैंक ने एक अनिर्धारित पॉलिसी रिव्यू में बेंचमार्क ब्याज दर 40 बीपीएस बढ़ाकर 4.40 फीसदी कर दी है। बढ़ती महंगाई के मद्देनजर मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) ने सर्वसम्मति से रेपो रेट बढ़ाने का फैसला लिया।
शक्तिकांत दास ने ऐलान किया कि केंद्रीय बैंक ने रुख अकोमोडेटिव बरकरार रखा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि महंगाई लक्ष्य के भीतर बनी रहे। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने युद्ध के आर्थिक प्रभावों को ध्यान में रखा है। उन्होंने आगे कहा कि इस कैलेंडर वर्ष के लिए ग्लोबल ग्रोथ प्रोजेक्शन को 100 आधार अंकों तक संशोधित किया गया है।
सीआरआर भी बढ़ा
इसके अलावा केंद्रीय बैंक ने 21 मई 2022 से कैश रिजर्व रेश्यो (CRR) को 50 आधार अंक बढ़ाकर 4.5 फीसदी करने का फैसला लिया है। आरबीआई के गवर्नर ने मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद कहा कि भू-राजनीतिक तनाव के कारण महंगाई बढ़ रही है।
अचानक क्यों लिया ब्याज दर बढ़ाने का फैसला?
केंद्रीय बैंक ने बढ़ती मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिए यह कदम उठाया है। रिटेल इन्फ्लेशन पिछले तीन महीने से लक्ष्य की उच्चतम सीमा यानी छह फीसदी से ज्यादा है। अप्रैल में भी इसके ऊंचे स्तर पर रहने की संभावना है। आरबीआई को इसे दो फीसदी ऊपर या नीचे रखने के साथ चार फीसदी पर बरकरार रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है।
पौने चार साल बाद बढ़ी नीतिगत दरें
उल्लेखनीय है कि अगस्त 2018 के बाद पहली बार रिजर्व बैंक ने नीतिगत दर में बढ़ोतरी का फैसला लिया है। तब भारतीय रिजर्व बैंक ने इसके 25 आधार अंक बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया था।
रेपो रेट बढ़ने से क्या होगा?
रेपो रेट बढ़ना होम लोन, ऑटो लोन या फिर पर्सनल लोन लेने वालों के लिए अच्छा नहीं है। नीतिगत ब्याज दर बढ़ने से अब लोन महंगे हो जाएंगे। मालूम हो कि देश में 22 मई 2020 से दरों में कोई बदलाव नहीं हुआ था। ग्राहकों पर ईएमआई का बोझ बढ़ जाएगा। जिस दर पर कमर्शियल बैंक आरबीआई से उधार लेते हैं, उसे रेपो रेट कहा जाता है।