नई दिल्ली: आरबीआई ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। जिसके बाद रेपो रेट 5.15 फीसदी पर स्थिर है, जबकि रिवर्स रेपो रेट 4.90 फीसदी पर स्थिर है। वहीं मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) और बैंक रेट 5.40 फीसदी पर है। अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिये भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा लगातार छठी बार रेपो दर में कटौती की उम्मीद की जा रही थी। ये इस साल की आखिरी मॉनिटरी पॉलिसी है। मॉनिटरी पॉलिसी समिति ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला लिया है।
मॉनिटरी पॉलिसी के सभी सदस्यों ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने के पक्ष में वोट किया है। आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में दूसरी छमाही 2019-20 के लिए सीपीआई 3.5 से 3.7 फीसदी रहने का अनुमान जारी किया है। इसके साथ ही वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में बैंक ने सीपीआई 3.6 फीसदी रहने का अनुमान किया है। आरबीआई की अगली मॉनिटरी पॉलिसी की बैठक 4 से 6 फरवरी 2020 को होगी।
रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया, 'विदेशी मुद्रा भंडार तीन दिसंबर को उछलकर 451.7 अरब डालर की नई ऊंचाई पर पहुंचा।' रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किए जाने के बाद डालर के मुकाबले रुपया आठ पैसे गिरकर 71.61 रुपये प्रति डालर पर आया।
आरबीआई ने जीडीपी का अनुमान भी कम कर दिया है। शीर्ष बैंक ने ग्रोथ रेट को अक्टूबर में 6.1 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया है। वहीं दूसरी छमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट को 4.9 फीसदी से 5.5 फीसदी के बीच, वित्त वर्ष 2020-21 में जीडीपी ग्रोथ 5.9 से 6.3 फीसदी का अनुमान रखा है।
मंजू याग्निक, उपाध्यक्षा, नाहर ग्रुप और उपाध्यक्षा, नरेडको (महाराष्ट्र) ने बताया, 'एमपीसी ने 25 बेसिस पॉइंट्स कटौती की आशा के बावजूद रेपो दर 5.15 प्रतिशत रखने के अपने निर्णय की घोषणा की है। कुल मिलाकर, इस वित्तीय वर्ष में अब तक 100 बेसिस पॉइंट्स का समायोजन देखा गया है, और विकास के आसपास की समग्र चिंताओं को दूर करने के लिए केंद्र की जवाबदेही का संकेत है।'
रोहित पोद्दार, प्रबंध निदेशक, पोद्दार हाउसिंग एंड डेवलपमेंट लिमिटेड और संयुक्त सचिव, नरेडको महाराष्ट्र ने बताया, 'आरबीआई ने रेट कट में अस्थाई रोक लगाने के साथ ही आक्रामक भूमिका ली है। नियामक ऐसे समय में अगली कटौती करने का विचार कर रहा है, जब उसका अनुकूलतम प्रभाव होगा। जून के बाद से तरलता अधिशेष होने से और अब तक 135 बीपीएस कटौती का प्रभाव अंततः अपनी अपेक्षित वास्तविकता में दिखाई देगा, जो रियल एस्टेट क्षेत्र को लंबी अवधि में मदद करेगा।'
शोक मोहनानी, अध्यक्ष, एकता वर्ल्ड ने बताया, 'फरवरी 2019 से मौद्रिक नीति को आसान बनाने और पिछले कुछ महीनों में सरकार द्वारा शुरू किए गए उपायों से भावना और घरेलू मांग में सुधार की उम्मीद है। वर्ष भर में दिए गए 135 बीपीएस परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए और उद्योग के पुनरुद्धार के साथ हम अभी भी उद्योग के लिए सकारात्मक प्रसारण की उम्मीद कर रहे हैं।'
देश की सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में घटकर 4.5 प्रतिशत रह गई। यह दर पिछली 26 तिमाहियों में सबसे कम रही है। इस साल अगस्त में आरबीआई ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती की थी। रिजर्व बैंक ने इस साल फरवरी में रेपो दर में 0.25 फीसदी की कटौती की थी।
इसके साथ ही फरवरी में की गई 0.25 प्रतिशत की कटौती सहित अक्टूबर तक हुई पांच समीक्षाओं में कुल मिलाकर 1.35 प्रतिशत की कटौती की है। फरवरी से अक्टूबर 2019 तक की पांच समीक्षाओं में रेपो दर 6.50 प्रतिशत से घटकर 5.15 प्रतिशत पर आ गई। लेकिन इस दौरान बैंकों ने केवल 0.29 प्रतिशत कटौती ही आगे ग्राहकों तक पहुंचाई है।
रिजर्व बैंक ने हाल ही में कर्ज दरों का लाभ आगे पहुंचाने के लिये कई प्रयास किये हैं। इसके लिये उसने बैंकों की ब्याज दर को बाहरी बेंचमार्क दर से जोड़ने की भी जरूरत बताई है। रिजर्व बैंक की चालू वित्त वर्ष की पांचवीं मौद्रिक नीति समीक्षा बृहस्पतिवार को घोषित होनी है। तीन दिन की यह बैठक मंगलवार को शुरू हुई थी।